बेटियों के लिए नर्क , अबका उत्तर प्रदेश
मां बहुत दर्द सहकर तुमने अपने आंचल से विदा किया होगा।
पाला था जिसको अब तक फूलों सा उसे कैसे आग में दिया होगा।
मैं तो खेलती मुस्कुराती बचपन की गलियों में चलती थी अपने सपनों के आंगन में
जाने किसकी नजर पड़ी मेरे मासूमियत पर किस बेरहमी से मेरी जिंदगी लिया होगा।
मुझे निर्भया, रागिनी, गीता जैसे बनाकर सिर्फ तस्वीरों में मत टांग देना।
जब भी मिले मेरे अपराधी, उनसे मेरी जिंदगी का हिसाब मांग लेना।
लाश को देख कर मेरी, न जाने तुमने कैसे अपने कलेजे को सिया होगा।
मां बहुत दर्द सहकर तुमने अपने आंचल से विदा किया होगा।
चुप किया गया मुझे सदा के लिए, खोला गया मेरे लिये मौत का आगोश।
चुप मत रहना माँ, उठो और करो इन हत्यारो को अब तुम खामोश।
भैया उठो अब तुम भी , राखी पर तुमने तो मेरी रक्षा का वचन मुझे दिया होगा।
मां बहुत दर्द सहकर तुमने अपने आंचल से विदा किया होगा।
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