यदुवंश " वीरता और इतिहास"
माननीय मुख्यमंत्री जी ,आपने यदुवंशियो की तुलना औरंगजेब से कर दिया, मैं आपको आज यदुवंशियो के इतिहास और उनके योगदान की एक छोटी से झलक दिखाना चाहूंगा।
भारत की 125 करोड़ जनसंख्या की कुल आबादी का 22% भाग यादव वंश का है| और इतने ही प्रतिशत की यादव समाज की आबादी नेपाल में रहती है| भारत का 12.7% व्यापार यादव समाज के लोग करते है| यादव समाज के 423 से भी ज्यादा उपनाम है| 16% से भी ज्यादा अनिवासी भारतीय यादव है| भारत के अलावा तीन अन्य देशों में इनकी आबादी 24 करोड़ है| इस तरह से ये दुनिया के इतिहास की सबसे बड़ी जाति कहा गया है| इसलिए यह मात्र एक समाज नही, बल्कि अपने आप में एक देश है|
कुछ लोग तर्क देते है कि वासुदेव (राजपूत)और नंदबाबा (यादव\अहीर) अलग अलग अलग जाति से थे जबकि सच ये है की दोनों क्षत्रिय यादव थे ।जबकि राजपूत शब्द तो 12वी शताब्दी तक कही भीअस्तित्व में ही नही था।
क्षत्रियों का प्रधान वंश यादव वंश है...यादव-कुल की एक अति-पवित्र शाखा ग्वालवंश है जिसका प्रतिनिधित्व नन्द बाबा करते थे .. .. बहुत से अज्ञानी दोनों को अलग -अलग वंश का बताते हैं....मूर्खों को ये मालूम नहीं की नन्द बाबा और कृष्ण के पिता वासुदेव रिश्ते में भाई थे जिसे हरिवंश पुराण में पूर्णतः स्पष्ट किया गया है....
भागवत पुराण में भी इस बात का जिक्र है.....ठीक इसी प्रकार वासुदेव की दूसरी पत्नी रोहिणी (बलराम जी की माता ) और माता यशोदा सगी बहने थी ।
ग्वालवंश में ही समस्त यादवों की कुल-देवी माँ विंध्यवासिनी देवी ने जन्म लिया था..
भागवत पुराण के अनुसार तो भगवान् श्रीकृष्ण के गोकुल प्रवास के दौरान सभी देवी-देवताओं ने ग्वालों के रूप में अंशावतार लिया था...
इसीलिए ग्वालवंशको अति-पवित्र माना जाता है।
कुछ महामूर्ख यादव और अहीर को भी अलग बताते है..अहि का अर्थ संस्कृत में सर्प होता है और अहीर का मतलब सर्प दमन होता है...ऋग वेद में राजा यदु का वर्णन है..इसीलिए उनके वंशज यादव-वैदिक क्षत्रिय है...ऋग वेद में महाराज यदु को वन में एकसांप को मारने की वजह से 'अहीर' की संज्ञा दी गयी है..बाद में कालिया नाग के दमन के पश्चात् श्रीकृष्ण को भी अहीर कहा गया .अहीर का अर्थ निर्भय भी होता है .
हरियाणा राज्य का नाम भी अहीरों के नाम पर पड़ा है पहले इसको अभिरयाणा बोला जाता था समय के साथ भाषा के बदलाव के कारण अहिराना - हीराना -हरियाणा हो गया ।
आज कल राजपूत जाती के कुछ मुर्ख लोग बोल रही है श्री कृष्ण राजपूत है और ये खुद को यदुवंश से जोड़ने लगे इसके लिए तर्क देते है कि मथुरा Vrindavan और काफी जगह कृष्ण जी के साथ "ठाकुर" शब्द प्रयोग होता है इसलिए वो राजपूत है उन महामुर्खो को बता दू कि ठाकुर एक उपाधि है जिसका अर्थ होता है पालन करता ( जो गरीब और असहाय लोगो की सहयाता करता हो ) ये ठाकूर शब्द इसलिए ही प्रयोग होता है । और ठाकुर शब्द ठीक उसी प्रकार की उपाधि है जेसे चौधरी राव नम्बरदार मुखिया etc. ठाकुर मध्यप्रदेश में हरिजन जाती और up में नाई जाती भी प्रयोग करती है । वैसे भी महाभारत में साफ साफ लिखा कृष्ण जी यादव थे ।
आमतोर पर कहा जाता है कि कृष्ण जी ने 16000 शादिय की थी मगर सच ये है की प्राग्ज्योतिष के राजा नरकासुर ने 16000 राज कन्याओ को कैद कर रखा था श्री कृष्ण ने इस राक्षस को मारकर इन राजकन्याओ को आजाद करवाया और उनको समाजिक सुरक्षा देने के लिए आज के नारी निकेतन की तरह उनके रहने का प्रबध किया था । ये बात विष्णु पुराण और महाभारत में प्रमाणित है ।
तर्क दिया जाता है कि गंधारी के श्राप के कारण श्री कृष्ण के शरीर त्याग (सरस्वती नदी के तट पर) के बाद सारे यादव मर गये थे परन्तु आज भी भारत देश में यादव सबसे बड़ी जाति के रूप में मोजूद है हां श्री कृष्ण के बाद यादवी संघर्ष हुए थे (सोमनाथ के करीब) लेकिन उनमे कुछ मुर्ख यादव राजा मारे गये थे वहा आज भी 110 में से 88 गाव मोजूद है जो बादलपुरा अहीर से तलाला तक फेले है
अब थोड़ा इतिहास पे आते है।
राजा ययाति के पांच पुत्र हुए, जो थे ।
i. यदु से यादव
ii. तुर्वसु से यवन
iii. दुह्यु से भोज
iv. अनु से म्लेक्ष
v. पुरु से पौरव
महाराज यदु के सहस्त्रजित, क्रोष्टा,नल और रिपु नामक चार पुत्र थे। उनके बड़े पुत्र का नाम सहस्त्रजित था। सहस्त्रजित के वंशज हैहयवंशी यादव क्षत्रिय कहलाये। इस वंश में आगे चलकर सहस्त्र भुजाओं से युक्त अर्जुन नामक एक राजा हुए, जो बहुत बलशाली थे। यदु के दूसरे पुत्र का नाम क्रोष्टा था। क्रोष्टा के वंश में आगे चलकर सात्वत नामक एक राजा हुए। सात्वत के भजमान,.भजि , दिव्य, वृष्णि , देवावृक्ष, महाभोज ,और अन्धक नामक सात पुत्र थे । भगवान श्रीकृष्ण का अवतार वृष्णि वंश में और उनकी माता देवकी का जन्म अन्धक वंश में हुआ था। सात्वत के सात पुत्रों में से वृष्णि और अन्धक के वंशजों ने बहुत ख्याति प्राप्त की।
वसुदेव और नन्द दोनों वृष्णि वंशी यादव थे तथा दोनों चचेरे भाई थे। अक्रूर भी वृष्णि -वंशी यादव थे। वे भगवान कृष्ण के चाचा थे।
और सनातन धर्म के सबसे बड़े रक्षक , गीता जैसी ज्ञानगंगा के उद्घोषक यदुकुल शिरोमणि भगवान श्री कृष्णा ने यदुवंश को आगे बढ़ाने और उसे सशक्त करने का कार्य किया।
अब मैं बाबा को यादवो के कुछ योगदान बताना चाहूंगा।
1 :- भगवान बुद्ध की पत्नी यशोधरा यादव थी
2 :- महावीर जी व जैन धर्म के संस्थापक यादव थे
3 :- जिस सम्राट के नाम पर इस देश का नाम भारत
रखा गया वो सम्राट भरतेश भी यादव थे
4 :- विश्व विजेता सिकंन्दर को हराने वाले सिंन्ध नरेश महाकाज पोरस या पुरु या पुरुषोत्तम भी यादव थे।
5 :- पृथ्वीराज चौहान को जिवनदान देने वाले आल्हा व ऊदल यादव थे
6 :- भारत व विश्व के सबसे बड़े शहर व राज्य विजय नगर का निर्माण करने वाले हरिहरदेव व बुक्काराय यादव थे
7 :- अँग्रेजों के खिलाफ युद्ध की शुरुआत करने वाले यादव ही थे ( अहीरवाल के रॉव ने सब से
पहले अंग्रेजो के खिलाफ युद्ध किया था)
8 :- मुम्बई हमले मे कसाब को पकड़ने वाला झिल्लुराम भी एक यादव ही है
9 :- भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले अन्ना हजारे भी यादव ही है
10 :- माउन्ट एवेरस्ट फतह करने वाली पहली भारतीय महिला संतोष जी भी यादव थी
11 :- एशिया की पहली ट्रेन चलाने वाली महिला भी एक यादव ही है
12 :- हाल ही में लॉन्च हुए मंगलयान
की टीम के प्रमुख अमित व अभिनव यादव
ही है।
इतिहास गवाह रहा है कि हम यदुवंशियो ने देश से बड़ा कुछ नही समझा, युद्ध जैसी आपात स्थिति में होश से वीरता दिखाकर योगेंद्र यादव परमवीर चक्र लिया।
और थोड़ा और पीछे जाए तो हम 1962 में भारत चीन युद्ध मे देखते है, जहा पर हमारा देश चीन से हर मोर्चे पर रहा था, लेकिन उस वक़्त भी रेजांगला का चुशूल एक ऐसा मोर्चा था जहाँ पर चीन को कई बार हार का सामना करना पड़ा, वहां पर 13 कुमाऊ की वीर अहीर बटालियन थी, जिसमे 120 जवान थे, चीन की सेना के आक्रमण होने पर उनको पीछे हटने का विकल्प दिया गया, लेकिन उन्होंने उसे न चुनकर मातृभूमि की रक्षा किया, चीन को वहां से आगे नही बढ़ने दिया, और सर्वोच्च बलिदान को प्राप्त किया।
114 सैनिको ने मेजर शैतान सिंह भाटी के नेतृत्व में शहादत दिया।
एक युद्ध को "लास्ट मैन लास्ट राउंड " का भी युद्ध कहा जाता है।
दुनिया के 5 सबसे बड़े युद्धों में इसे शामिल किया गया है,।
आज़ादी से पहले भी यदुवंशियो ने देशबके लिए मर मिटने का काम किया ।
चौरी-चौरा काण्ड से भला कौन अनजान होगा। इस काण्ड के बाद ही महात्मा गाँंधी ने असहयोग आन्दोलन वापस लेने की घोषणा की थी। कम ही लोग जानते होंगे कि अंग्रेजी जुल्म से आजिज आकर गोरखपुर में चैरी-चैरा थाने में आग लगाने वालों का नेतृत्व भगवान यादव ने किया था। इसी प्रकार भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान गाजीपुर के थाना सादात के पास स्थित मालगोदाम से अनाज छीनकर गरीबों में बांँटने वाले दल का नेतृत्व करने वाले अलगू यादव अंग्रेज दरोगा की गोलियों के शिकार हुये और बाद में उस दरोगा को घोड़े से गिराकर बद्री यादव, बदन सिंह इत्यादि यादवों ने मार गिराया। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने जब ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा‘ का नारा दिया तो तमाम पराक्रमी यादव उनकी आई0एन0एस0 सेना में शामिल होने के लिए तत्पर हो उठे। रेवाड़ी के राव तेज सिंह तो नेताजी के दाहिने हाथ रहे और 28 अंग्रेजों को मात्र अपनी कुल्हाड़ी से मारकर यादवी पराक्रम का परिचय दिया। आई0एन0ए0 का सर्वोच्च सैनिक सम्मान ‘शहीद-ए-भारत‘ नायक मौलड़ सिंह यादव को हरि सिंह यादव को ‘शेर-ए-हिन्द‘ सम्मान और कर्नल राम स्वरूप यादव को ‘सरदार-ए-जंग‘ सम्मान से सम्मानित किया गया। नेता जी के व्यक्तिगत सहयोगी रहे कैप्टन उदय सिंह आजादी पश्चात दिल्ली में असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर बने एवं कई बार गणतंत्र परेड में पुलिस बल का नेतृत्व किया।
मातादीन यादव (जार्ज क्रास मेडल), नामदेव यादव (विक्टोरिया क्रास विजेता), राव उमराव सिंह(द्वितीय विश्व युद्ध में उत्कृष्ट प्रदर्शन हेतु विक्टोरिया क्रास), हवलदार सिंह यादव (विक्टोरिया क्रास विजेता), प्राणसुख यादव (आंग्ल सिख युद्ध में सैन्य कमाण्डर), हवलदार राम सिंह यादव (मरणोपरान्त वीर चक्र), मेजर शैतान सिंह भाटी (मरणोपरान्त परमवीर चक्र), कैप्टन राजकुमार यादव (वीर चक्र, 1962 का युद्ध), बभ्रुबाहन यादव (महावीर चक्र, 1971 का युद्ध), ब्रिगेडियर राय सिंह यादव (महावीर चक्र), चमन सिंह यादव (महावीर चक्र विजेता), जहा ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव के (1999 में कारगिल युद्ध में उत्कृष्टम प्रदर्शन के चलते सबसे कम उम्र में 19 वर्ष की आयु में 7 गोली लगने के बाद भी 10 पाकिस्तानी सैनिकों को मार कर उनकी सूचना अपने कैम्प तक पहुचकर सर्वोच्च सैन्य पदक परमवीर चक्र प्राप्त किया तो वही हवलदार राम सिंह ने रेज़ांगला के चुशूल में गोली खत्म हो जाने के बाद चीनियों का गला दबा दबा कर और चट्टानों पे पटक पटक के मार कर वीर चक्र प्राप्त किया । और सर्वोच्च बलिदान को प्राप्त किया। ऐसे न जाने कितने यादव जाबांजों की सूची शौर्य-पराक्रम से भरी पड़ी है। कारगिल युद्ध के दौरान अकेले 91 यादव जवान शहादत को प्राप्त हुए। गाजियाबाद के कोतवाल रहे ध्रुवलाल यादव ने कुख्यात आतंकी मसूद अजगर को नवम्बर 1994 में सहारनपुर से गिरतार कर कई अमेरिकी व ब्रिटिश बंधकों को मुक्त कराया था। उन्हें तीन बार राष्ट्रपति पुरस्कार (एक बार मरणोपरान्त) मिला। ब्रिगेडियर वीरेन्द्र सिंह यादव ने नामीबिया में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पूर्व सांसद चैधरी हरमोहन सिंह यादव को 1984 के दंगों में सिखों की हिफाजत हेतु असैनिक क्षेत्र के सम्मान ‘शौर्य चक्र‘ (1991) से सम्मानित किया जा चुका है। संसद हमले में मरणोपरान्त अशोक चक्र से नवाजे गये जगदीश प्रसाद यादव, विजय बहादुर सिंह यादव अक्षरधाम मंदिर पर हमले के दौरान आपरेशन लश आउट के कार्यकारी प्रधान कमाण्डो सुरेश यादव तो मुंबई हमले के दौरान आर0पी0एफ0 के जिल्लू यादव तथा होटल ताज आपरेशन के जाँबाज गौरी शंकर यादव की वीरता यदुवंशियों का देशप्रेम और त्याग सबके सामने पेश किया।
इतने सारे त्याग और बलिदान देने के बाद भी आज हमेंं आपके द्वारा औरंजेब की संज्ञा दी जा रही है, जबकि आपके खुद के आका सावरकर और श्यामा प्रसाद मुखर्जी अंग्रेजो के तलवे चाटते रहे,। और आपका भी हाल इससे अलग नही है।आप आये है हम यदुवंशियो को देश भक्ति का पाठ पढ़ाने ? हम मेहनत लगन और ईमानदारी में विश्वाश रखते है।
सेना और पुलिस में सबसे ज्यादा हमारी भर्री किया जाता है, क्योकि हम सुबह उठकर दूध पीकर दौड़ने जाते है ।
न कि सुबह सुबज उठकर बेड टी मांगते है।
आज भी पट्टिआहिरान और पूर्वांचल में ज्यादा से ज्यादा संख्या में यादव जवान सेना में जा रहे है, देश की सेवा कर रहे है।
जब हम देश की कुल आबादी के 22% है तब तो हर जगह बेशक हम ही दिखेंगे।
कथित देशभक्तो को यादवो की नौकरों सेना और पुलिस में ज्यादा दिखती है, लेकिन उन जाहिलो को शहीदों के नाम मे यादव नही दिखाई देता। क्योकि उन्हें अपना जातिगत स्वार्थ जो सिद्ध करना होता है।
तो सुनो बाबाजी अगली बार यदुवंशियो कुछ कहने से पहले रेज़ांगला, राम सिंह, शैतान सिंह भाटी, अहीर कंपनी, योगेंद्र यादव, संजय कुमार सबको याद कर लेना, यकीनन इन शूरवीरो ने तम्हारे कथित वीरो की तरफ पीठ नही दिखाया, ये आगे बढ़े और सीने पे गोली खाये। मुझे गर्व है कि मैं ऐसे वंश में जन्मा हु, जिसका इतिहास और वर्तमान वीरता और शौर्य से भरा हुआ है, जिसपे कही से एक भी दाग नही है।
बृजेश यदुवंशी
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