गजब का परिवेश
गजब का परिवेश चला है अब देश में, पहले एक साहेब आये, खुद की तारीफ करने लगे बोलने लगे " मित्रो मैं 4 घंटे सोता हु सिर्फ" एक रिपोर्ट के अनुसार लगातार 7घंटे से कम नींद लेने वाला व्यक्ति दिमागी रूप से अस्वस्थ हो जाता है, पागल नही कहियेगा, सिर्फ" अस्वस्थ " । दोनों में फर्क की उतनी ही महीन रेखा है जितनी आत्मसम्मान और घमंड में।
खैर दिमागी अस्वस्थता तो देश को कई फैसलो से समझ आ गयी होगी,
फिर साहेब आगे बढ़े और एक कदम बढ़ते हुए, नया शिगूफा निकाल दिया " आज़ादी के बाद पहली बार" जैसे पहली बार इस्राइल गए, पहली बार जन्मदिन मनाये इत्यादि इत्यादि।
कई बार तो ऐसा लगता है कि मानव जाति का जन्म भी साहेब के आने के बाद हुई,
अपने पीछे भक्तो की एक लंबी चौड़ी लाइन लगा दिया, सिर्फ भक्त कहने से अपमान हो जाएगा, पूरा सम्मान दीजिये, "अंधभक्त" कहिये ।
ये बड़ी ही विचित्र बिरादरी होती है, इनके पास आंख, कान , दिमाग नाम के हार्डवेयर तो है, लेकिन उनको चलाने का सॉफ्टवेयर वाला पासवर्ड साहेब के पास है, और तरह तरह की फाइलें जैसे गौरक्षा, पद्मावती , गोबर, देश का बाप, मुसलमान को मारो, जातिवाद, धार्मिक नफरत, भक्तो के हार्डवेयर में वही से डाली जाती है। साहेब भी कमाल के है, इतने कमाल के की राष्ट्रीय पुरष्कार विजेता एक्टर भी साहेब को खुद से बड़ा एक्टर मानता है, अब जब से उसने ये बोला है, साहेब थोड़ा कंफ्यूज है कि इसे तारीफ समझे या तंज, इसी उलझन में लगे हुए है , इसीलिए अंधभक्तो की टोली के निशाने पर वो एक्टर आया नहो अभी तक, जिस दिन साहेब की उलझन सुलझ जाएगी, अंधभक्तो का नजरिया भी उसी दिन उस एक्टर के लिए क्लियर हो पायेगा, मतलब उसके बाद ही आप को ये सुनने को मिल सकता है, " देश भक्त प्रकाश " या " खानदानी मुसलमान और गद्दार राज "
अब आते है दूसरे वाले बाबा पे, पुरानी फिल्मों में विलेन का एक डायलॉग होता था " ये मेरी अदालत है यहां जज भी मैं ही हूं , वकील भी मैं ही हूं, अपराधी भी मैं ही हूं, पेशकार भी मैं ही हूं, और सिपाही भी मैं ही हूं " ।खुद के केस में दोनों तरफ से पक्षकार बन कर खुद को मुक्त कराने की याचिका करते हुए खुद को निर्दोष करार दिया, और फिर फैसले की कॉपी खुद को दे दिया,
अगर ये समझ न आये तो ज्यादा दिमाग मत लगाइएगा, समझने के बाद भी आप कुछ नही कर सकते, हा बस लोकतंत्र में आस्था रखने वालों का दुख थोड़ा जरूर बढ़ सकता है।
यकीन नही होता आज के वक़्त में ऐसा कोई मुमकिन करके दिखा सकता है। बाबा ने कमाल कर दिया कई मामलों में। उन्होंने 9 महीने के अंदर प्रदेश को 2 मेट्रो ट्रेन दे दिया,
और पूरे प्रदेश में बालू के खनन और बिक्री पे रोक के बावजूद इन्होंने 8 महीने में 11 लाख घर बनवा कर गरीबो को आवंटित कर दिया।
बाबा के इस कमाल के बाद दूसरे ग्रह के प्राणी भी हैरान है,
तो अगली बार अगर लखनऊ के आसपास कोई उडनतश्तरी नजर आ जाये, या सचिवालय के बाहर पार्क में दिख जाये तो बिल्कुल हैरान मत होइएगा।
हो सकता है उडनतश्तरी में सवार होकर आए दूसरे ग्रह के प्राणी बाबा के इन कमालों का रिसर्च करने आये हो, या फिर बाबा से टिप्स लेने आये हो।
इंतेज़ार करिये साहब , अभी इस सृंखला में बहुत नाम जुड़ेंगे,
ये लोग उसी कड़ी में आगे आएंगे, जहाँ पर बिना एक दिन भी छुट्टी लिए 350 रैलियां कर दी जाती है, जहा पे "अंतरात्मा की आवाज " नाम का लौंगलता ,लालच की चासनी के साथ सुनाई और खिलाई जाती है । जहा पर संसद में दूसरे देश के बॉर्डर को अपने देश का बॉर्डर बताया जाता है,
अभी ऐसे लोगो का भविष्य सुनहरा है, क्योकि यही लोग देश को उसकी मूल भावना से अगल दिशा प्रदान करेंगे
बृजेश यदुवंशी
खैर दिमागी अस्वस्थता तो देश को कई फैसलो से समझ आ गयी होगी,
फिर साहेब आगे बढ़े और एक कदम बढ़ते हुए, नया शिगूफा निकाल दिया " आज़ादी के बाद पहली बार" जैसे पहली बार इस्राइल गए, पहली बार जन्मदिन मनाये इत्यादि इत्यादि।
कई बार तो ऐसा लगता है कि मानव जाति का जन्म भी साहेब के आने के बाद हुई,
अपने पीछे भक्तो की एक लंबी चौड़ी लाइन लगा दिया, सिर्फ भक्त कहने से अपमान हो जाएगा, पूरा सम्मान दीजिये, "अंधभक्त" कहिये ।
ये बड़ी ही विचित्र बिरादरी होती है, इनके पास आंख, कान , दिमाग नाम के हार्डवेयर तो है, लेकिन उनको चलाने का सॉफ्टवेयर वाला पासवर्ड साहेब के पास है, और तरह तरह की फाइलें जैसे गौरक्षा, पद्मावती , गोबर, देश का बाप, मुसलमान को मारो, जातिवाद, धार्मिक नफरत, भक्तो के हार्डवेयर में वही से डाली जाती है। साहेब भी कमाल के है, इतने कमाल के की राष्ट्रीय पुरष्कार विजेता एक्टर भी साहेब को खुद से बड़ा एक्टर मानता है, अब जब से उसने ये बोला है, साहेब थोड़ा कंफ्यूज है कि इसे तारीफ समझे या तंज, इसी उलझन में लगे हुए है , इसीलिए अंधभक्तो की टोली के निशाने पर वो एक्टर आया नहो अभी तक, जिस दिन साहेब की उलझन सुलझ जाएगी, अंधभक्तो का नजरिया भी उसी दिन उस एक्टर के लिए क्लियर हो पायेगा, मतलब उसके बाद ही आप को ये सुनने को मिल सकता है, " देश भक्त प्रकाश " या " खानदानी मुसलमान और गद्दार राज "
अब आते है दूसरे वाले बाबा पे, पुरानी फिल्मों में विलेन का एक डायलॉग होता था " ये मेरी अदालत है यहां जज भी मैं ही हूं , वकील भी मैं ही हूं, अपराधी भी मैं ही हूं, पेशकार भी मैं ही हूं, और सिपाही भी मैं ही हूं " ।खुद के केस में दोनों तरफ से पक्षकार बन कर खुद को मुक्त कराने की याचिका करते हुए खुद को निर्दोष करार दिया, और फिर फैसले की कॉपी खुद को दे दिया,
अगर ये समझ न आये तो ज्यादा दिमाग मत लगाइएगा, समझने के बाद भी आप कुछ नही कर सकते, हा बस लोकतंत्र में आस्था रखने वालों का दुख थोड़ा जरूर बढ़ सकता है।
यकीन नही होता आज के वक़्त में ऐसा कोई मुमकिन करके दिखा सकता है। बाबा ने कमाल कर दिया कई मामलों में। उन्होंने 9 महीने के अंदर प्रदेश को 2 मेट्रो ट्रेन दे दिया,
और पूरे प्रदेश में बालू के खनन और बिक्री पे रोक के बावजूद इन्होंने 8 महीने में 11 लाख घर बनवा कर गरीबो को आवंटित कर दिया।
बाबा के इस कमाल के बाद दूसरे ग्रह के प्राणी भी हैरान है,
तो अगली बार अगर लखनऊ के आसपास कोई उडनतश्तरी नजर आ जाये, या सचिवालय के बाहर पार्क में दिख जाये तो बिल्कुल हैरान मत होइएगा।
हो सकता है उडनतश्तरी में सवार होकर आए दूसरे ग्रह के प्राणी बाबा के इन कमालों का रिसर्च करने आये हो, या फिर बाबा से टिप्स लेने आये हो।
इंतेज़ार करिये साहब , अभी इस सृंखला में बहुत नाम जुड़ेंगे,
ये लोग उसी कड़ी में आगे आएंगे, जहाँ पर बिना एक दिन भी छुट्टी लिए 350 रैलियां कर दी जाती है, जहा पे "अंतरात्मा की आवाज " नाम का लौंगलता ,लालच की चासनी के साथ सुनाई और खिलाई जाती है । जहा पर संसद में दूसरे देश के बॉर्डर को अपने देश का बॉर्डर बताया जाता है,
अभी ऐसे लोगो का भविष्य सुनहरा है, क्योकि यही लोग देश को उसकी मूल भावना से अगल दिशा प्रदान करेंगे
बृजेश यदुवंशी
Very creative interpretation?
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