किस्से अब हम लिखेंगे
एक कागज पर रुसवाई के कितने मौसम लिखेंगे
ये कलम के बस की बात नहीं जो मेरे गम लिखेंगे
एक हर्फ भी कहना मयस्सर नहीं है मौसिकारों से
अपने शेरों में बेवफाई के किस्से अब हम लिखेंगे
रिंदो की क्या बिसात,मैंखाने पे तवाफ ए रुजू लिखें
ये लिखेंगे मैकसी की इबारत,पर हमसे कम लिखेंगे
सुखनवरो से कहो कि अपने मतले संभाल के रखे
मयखानों पे शराब से हम आब ए जम जम लिखेंगे
शराब क्या , नशा क्या, साकी क्या , रिन्द क्या
इनकी तरबियत के किस्से जार वो चमन लिखेंगे
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