मुझे बस एक किनारा चाहिए
मैं तबाह हूँ तेरे इश्क़ में, मुझे तेरा सहारा चाहिए
मैं इन आँखों में डूबा हूँ, मुझे बस एक किनारा चाहिए
ये मौसम,ये दरख्तों के छांव,ये गालियां, ये गाँव
ये सब मैं छोड़ दूं, मुझे बस एक तेरा इशारा चाहिए
वैसे तो कोई शर्त नही है तेरे पास लौट आने की
मेरे रहबर मुझे बस पहली सी मोहब्बत दुबारा चाहिए
इबादत, अदावत, खुशामद, बगावत,हिमाकत
हम ये सब कर लें, पर हमे महबूब भी हमारा चाहिए
यूँ तो बस एक नज़र काफी है बेकशी के लिए
फिर भी हमें आपका आगोश सारा का सारा चाहिए
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