मेरी ग़ज़ल का हर शेर मैने ऐसे बनाया है

उनके  चेहरे को  खुदा का नूर भी बताया है
मेरी  ग़ज़ल का हर  शेर मैने  ऐसे बनाया है

फरिश्तों फिर से तुम इब्तेता ए इबादत तो करो
उनके आने की खबर फिर से किसी ने सुनाया है

उनके सजदे में हर दर पर सर को झुकाया है
इश्क़  में एक इंसान को खुदा हमने बनाया है

देख  कर  मेरे  सजदे , देख  कर  मेरा  वजू
वो खुदा भी उनकी तस्वीर में उतर आया है

उसके हिस्से का गिला तो खुदा से कर डाला
हाल ए ताबीर भी तस्वीह में मैंने गुनगुनाया है




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