धड़कन भर गया

ना  जाने कितने नगमे, ना  जाने कितने सुखन भर गया
वो संतरास इस  बुत में अपने नाम की धड़कन भर गया

मेरी गुजारिश चांद से  बस एक नजर देखने भर की थी
उसने इतनी मोहब्बत बरसाई, मेरा पूरा आंगन भर गया

बेफिक्रियां,अंजुरी में लिए मैं घूमता था इन मयखानों में
ये प्रेम पंजीरी पिलाकर वो मुझमें अपनी लगन भर गया

एक रोज मैंने विरानियों  की शिकायत किया था उससे
उसने बस छुआ, और दिल में हजारों अंजुमन भर गया

इन हाथो में अपने रिश्ते की बेशकीमती रसन भर गया
वो बाहों में आया और रूह तक अपनी छुवन भर गया

आंखे बंद कर  तनहाई में जब  सिमरा  उसके नाम को
मेरी बातों में अपनी यादों के वो हजारों जतन भर गया

मै जितनी भी दफा उसके छत पर उससे मिलने गया हूं 
वो मेरे  कानो  में अपनी  चूंड़ियों  की खनखन भर गया
 
उसके आने के आहट से मेरा खुशबू ए चमन भर गया
मैं दीद का प्यासा था,बारिश से मेरा मौलवन भर गया





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