मेरे घर में कभी कभी बिन बताये भी आना

मेरे  महबूब  अपनी चाहत तुम ऐसे जताना
मेरे घर में कभी कभी बिन बताये भी आना

कभी बारिस बन कर, कभी बन कर ताना
बहाना  कोई भी  हो, तुम बस चली आना

है कसम ये तुम्हे देखो  चाहे बदले जमाना
किया जो वादा है मुझसे उसे तुम निभाना

ना कोई कसमे हो , ना  हो  कोई फ़साना
बस दिल्कशी हो,दिल्लगी हो, हो उन्साना

बहुत ही  कमजोर  है देखो  दिल  ये हमारा
खबर अपने आने की तुम आहिस्ता बताना

नही है जरूरत हमे ,आब ओ गुलिस्तां की
हवा तू, उनकी  खुशबू ही बस साथ लाना

जहां  पर  कन्हैया  बांसुरी का छेड़े तराना
किशोरी अपनी पायल तुम वही छमकाना



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