मुझे न बतलाओ की ये हिंदुस्तान किसका

ये जमीन किसकी है ये आसमान  किसका है
मुझे न बतलाओ की ये हिंदुस्तान  किसका है

इस मिट्टी की पैदाइश है हम इसी में मिटना है
फिर न पूछो बत्रा किसका है कलाम किसका है

जो एक ही मुल्क में हो  तो बेकार ये  सोचना
की वो खुदा किसका और ये  राम किसका है

जब भी  आखिरी हिचकी आये तो देख लेना
मेरे इन होंठो पे  सबसे पहले नाम किसका है

जहाँ सुकूँ मिले सो जाते है,मुसाफिर नही पूछते
ये दरख़्त किसकी है और मकान किसका है

जब सभी को पसंद है चैन-वो-सुकून से रहना
तो पता करो ये नफरत भरा एलान किसका है

मैंने एक उम्र खर्च की है तिनको को जोड़ने में
और तुम आके पूछते हो ये मकान किसका है 

जरूरी है जो पूछा गया  है उसका जवाब देना
ये देखना बेकार है की  ये  सवाल  किसका है

कपड़े  से  भी  लोगो के  मजहब  ढूढने वालो
अब तुम्ही देख लो की ये इम्तेहान  किसका है

दबी दबी सी जुबाँ में आया  सलाम किसका है
कबूतर अब तू ही बता की ये पैगाम किसका है




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