शमशीर के आगे आने की गर्दन ने हिमाकत की है

शमशीर के आगे आने की गर्दन ने हिमाकत की है
लहरों के ऊपर चढ़ कर ने कश्ती ने बगावत की है

ये आसमान सुन ले अब तुझको भी  झुकना होगा
बादलों पर चलने की अब हमने भी  हरकत की है

मुश्किलों से कह दो थोड़ा बच कर रहे हमने हमसे
आज दिल ने उन  सब  से मिलने की चाहत की है

किस्मत की क्या  मजाल जो  लिखे मेरा फलसफा
अपने नसीब पे मैंने अपने हाथों से दश्तखत की है

बिना आये ही आज भीगा दिया इस  पूरे शहर को
इन बादलों ने भी अबकी  कुछ ऐसी शरारत की है

ये झूठ सच का तराजू जरा संभल  कर  पकड़ना
अब  चोरो  ने भी  ईमानदारी  की वकालत की है






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