शहरी अखबार
जो जज्बात दिल मे थे वो शहरी अखबार हो गए
हम दर्द बेचने वालों की जमात में सुमार हो गए
एक कागज पर हमने गमो का हिसाब लिखा था
सबने समझा की हम कलम के फनकार हो गए
बस एक रोज अफवाह फ़ैली हमारी नासाज़ी की
लोगो ने इतनी दुआ दी, की हम बीमार हो गए
उनके साथ तो बड़े हुनरमंद बन कर रहते थे हम
पर जो उनसे बिछड़े तो बिछड़ के बेकार हो गए
अदालत में उनकी गवाही का ऐसा असर हुआ
बेगुनाह साबित होकर भी हम गुनाहगार हो गए
जो कुछ भी था वो सब लुटाने को तैयार हो गए
शिकारी थे हम कभी, पर आज शिकार हो गए
बस यूँ ही दिल ये घायल नही नही हुआ है मेरा
नज़र के निशाने थे,लगे तो दिल के पार हो गये
Comments
Post a Comment