तुम कहो तो
जो गीत दिल के कागज पे है बस वही गुनगुनाउंगा
नगमे कई सुने होंगे मैं तो अपने दिल की सुनाऊंगा
तुम्हारी निगाहों और लहराती जुल्फों के क्या कहने
कुछ लिखा है मैंने इनपे जो तुम कहो तो सुनाऊंगा
सुना है चाँद को बड़ा गुरूर है अपनी खूबसूरती पे
जो जमीं पे आये तो तुम्हारी भी तस्वीर दिखाऊंगा
परियो और फरिश्तों की चमक फीकी पड़ जाएगी
जिस दिन तुम्हारी कोई तस्वीर मैं छत पे बनाऊंगा
आपके आंखों का काजल,या इस माथे की बिंदिया
जो इशारा कर दो तो इनमें से कुछ भी बन जाऊँगा
तुम किसी परी सी सितारों के आगोश में लेती हो
मैं तुम्हे पाने खातिर सारे तारे जमीन पर लाऊँगा
तुम्हारा साथ न सही तुम्हारी आदत ही काफी है
बस इसी एक आदत पर मैं तमाम उम्रें गुजरूँगा
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