वो आये है
अमावश की घोर अंधेरी रात में चांदनी एक मेरे छत पे चमकने लगी है
अब तक ये हवाएं चल रही थी, किसी के आने से अब बहकने लगी है
कौन है जिनके आने से ये पतझड़ का मौसम भी गुलज़ार हो गया है
कोई तो आया है मेरे शहर में, ये धड़कने बड़ी जोर से धड़कने लगी है
जहाँ भी जाऊँ किसी की खुशबू अब हर पल साथ साथ रहती है मेरे
ना कोई कंगन है ना कोई चूड़ी, फिर भी कानो में ये खनकने लगी है
यहाँ की बंजर सी ये जमीनें सारी अब हरी भरी सी नज़र आने लगी है
ये मौसम तो नही है फिर भी कोई बारिस मेरे शहर में बरसने लगी है
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