ये हार भी क्या कमाल है,ये हार भी क्या कमाल है
न इस हार की कोई वेधना न ही कोई सवाल है
ये हार भी क्या कमाल है,ये हार भी क्या कमाल है
लाल है गुलाल है, रक्तरंजित सा ये भाल है
ना कोई लोभ जीत का,न हार का मलाल है
न दुखों का उबाल है न खुशी का अकाल है
ये हार भी क्या कमाल है,ये हार भी क्या कमाल है
अभी तो शुरू किया की सामने ही हार है
संभावनाओं का पल पल हो रहा संहार है
अभी तो ये कहानी ये इंकलाब भी बेकार है
ये हार भी क्या कमाल है,ये हार भी क्या कमाल है
जीत की आस है, संघर्ष भी बेमिशाल है
न्याय भी मुहाल है, ये सत्य भी निढाल है
वक्ष पर पड़ रहे, वो हर वार बेमिशाल है
ये हार भी क्या कमाल है,ये हार भी क्या कमाल है
जीत एक सवाल है पर हार का धमाल है
बढ़ रहे कदम, शरीर भी ये लाल लाल है
पस्त हुए हौसले में ये नयी एक उछाल है
ये हार भी क्या कमाल है,ये हार भी क्या कमाल है
अन्याय का खयाल है, रक्त में उबाल है
यही मेरा ढाल है बस यही मेरा मनाल है
बुला रहा हमे नया सवेरा नया उजाल है
ये हार भी क्या कमाल है,ये हार भी क्या कमाल है
Comments
Post a Comment