ये बिल्कुल बेमतलब बात है कि राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद में जबरदस्त घोटाला हुआ है। भला उस प्रधानमंत्री के राज में घोटाला कभी हो सकता है, जो न खाता हो, न खाने देता हो, सिर्फ़ योगा करता हो और करने देता हो। और हा यदा कदा झोला लेकर जाता हो और दोस्तो को भी झोला भर भर के विदेश पहुँचा देता हो।  साहेब पर उंगली उठाना किसी भी तरह से  सही नहीं है।  तब भी जब इनके वकील भरी अदालत में भर भर कर गलत जानकारियां और झूठे दस्तावेज दें।

तो फाइनली राफेल मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया।  जज साहब ने राफेल मामले में अपनी सीमाएं भी बता दी।  जज साहब खुद से ही अपनी सीमाएं भी निर्धारित कर लेते हैं और खुद से ही अपनी शक्तियां भी बढ़ा लेते हैं ।शायद इसीलिए संसद में अरुण जेटली ने एक बार कहा था कि "सुप्रीम कोर्ट को अपनी सीमा में रहना चाहिए। हर मामले में सुप्रीम कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए"।  यह सही भी है क्योंकि जज साहब ने यह कहा है कि राफेल की प्राइसिंग को डिस्कस करना उनका काम नहीं है ।

राहुल गांधी ने राफेल के लिए जो इल्जाम सरकार पर लगाए , वह इल्जाम जस के तस पड़े हुए हैं ।राहुल गांधी का मेन मुद्दा राफेल की प्राइसिंग को लेकर था  , और आप सेट पार्टनर को घुसाने को लेकर था।  ना कि कितने जहाज खरीदे जाएं उसकी जरूरतों के लिए था । राहुल गांधी ने यह आरोप नहीं लगाया कि जहाज कम या ज्यादा खरीदे जा रहे हैं।  माननीय न्यायालय ने खूब जांच की नौ सेना के अधिकारियों को बुला बुला कर पूछताछ की। और अपने जो फैसले दिए उन फैसलों में जो कमेंट किया वह अपने आप में परमपूज्य कमैंट्स हैं।

जिस सीएजी की रिपोर्ट की जिक्र माननीय न्यायालय ने अपने फैसले में किया। वो सीएजी रिपोर्ट पीएसी के चेयरमैन तक को मिली ही नहीं है । और न ही संसद के पटल पर वो रिपोर्ट गयी है। पीएसी के चेयरमैन और पीएसी के अन्य सदस्य सीधे-सीधे यही कह रहे हैं कि उनके पास इस तरह की कोई रिपोर्ट नहीं आई । और अब सरकार का भी यही बयान आया है कि एक चूक की वजह से ऐसा लिखा गया । मने हम यह माने क्या यही बात है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में गलत हलफनामा दिया  ? सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में गलत जानकारी दी । और सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किया । अब किस मुंह से देश में 70 जगह साहिब कॉन्फ्रेंस करवाएंगे ,यह भगवान ही जाने ।

सुप्रीम कोर्ट ने कहीं भी यह नहीं कहा है कि रुपए को लेकर घोटाला नहीं हुआ है । सुप्रीम कोर्ट ने सीधी सीधी अपनी सीमा निर्धारित कर दी । और कहा कि वह प्राइसिंग के डिटेल में नहीं जाएंगे ।उसी फैसले के दो दिन पहले ही प्रधानमंत्री जी सारे प्रोटोकॉल तोड़कर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के घर पर जाकर चाय पिलाकर आते हैं। यह चाय का भी असर हो सकता है ।लेकिन चुकी अब जब गलत जानकारी ही दी है सरकार ने तो इसमें मुख्य न्यायाधीश और माननीय सुप्रीम कोर्ट का कोई दोष नहीं है।

यह भी एक मजेदार बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है उसे सभी लोग अपने अपने तरीके से पढ़ रहे हैं। जहाँ बीजेपी इसे अपनी जीत बता रही है,  कांग्रेसी से अपनी जीत बता रही है । और हमारे कुछ एनालिसिस करने वाले पत्रकार इसे अपनी ही जीत बता रहे हैं। दरअसल यह देखना चाहिए कि अदालत ने यह क्यों लिखा कि राफेल की प्राइसिंग उसकी अधिकार सीमा में नहीं आता है।  राफेल के मामले में जो याचिका डाली गई थी उसमें मनोहर लाल शर्मा एनएफआईआर दर्ज करने के लिए याचिका दी थी।  विनीत ढांडा ने अपनी वजहों से याचिका दायर की ।संजय सिंह खरीद में पारदर्शिता ना होने की याचिका दायर किए तो। यशवंत सिंह और प्रशांत भूषण और अरुण शौरी ने यह याचिका दायर की कि सीबीआई ने उनकी शिकायत पर एफ आई आर दर्ज नहीं किया और इसमें भ्रष्टाचार हुआ है। इसलिए कोर्ट एफ आई आर दर्ज करने का आदेश दे ।

अदालत ने अपने फैसले में यह लिखा है कि "यह सड़क पुल बनाने का टेंडर नहीं है,  यह रक्षा मामलों का टेंडर है । इसलिए अदालत इसके प्राइसिंग में कुछ नहीं बोल सकती ।" तो क्या हम अब यह मान ले कि आने वाले सारे दिनों में अब सभी रक्षा सौदों में कितने भी रुपए का घोटाला करके अदालत से बचा जा सकता है,क्योंकि अदालत की अपनी सीमाएं हैं , और अदालत रक्षा सौदों के प्राइसिंग कि मैं नहीं जाएगी ?  अदालत ने अपने फैसले में यह भी नहीं बताया की सरकार ने अदालत को यह नहीं बताया कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को बाहर क्यों किया गया।

खरीदने की प्रक्रिया के फैसले पर अदालत कहती है कि "हम इस बात से संतुष्ट हैं की प्रक्रिया को लेकर संदेह करने का कोई मौका नहीं है।अगर कोई मामूली विचलन हुआ होगा, तो अदालत की समीक्षा की जरूरत नहीं है । हम इसकी समीक्षा नहीं कर सकते ।सरकार ने 126 की जगह 36 विमान ही क्यों खरीदे।  यह कहना पर्याप्त होगा कि सरकारी कागजात में दावा किया गया है कि 36 विमानों के सरकार की खरीद में व्यवसाई के लाभ है।  यह भी दावा किया गया है कि रख रखाव हथियारों के पैकेज के बारे में भी शर्ते बेहतर है।  निश्चित रूप से या कोर्ट का काम नहीं है कि वह इस तरह के मामले में कीमतों को लेकर तुलना करें , हम नहीं करेंगे क्योंकि इस मामले को गुप्त रखना जरूरी है ।"

सरकार ने कीमतों को लेकर कुछ भी नहीं कहा। जी हां इस बात को ध्यान से देखिए सरकार ने कीमतों को लेकर कुछ भी नहीं कहा,  कि कीमतें सही है या गलत । सरकार ने सीधा यह कहा कि हम उस में नहीं जाएंगे । साथ ही में अदालत ने जो सबसे बड़ी बात कही वह यह थी कि कीमतों को लेकर और इस डील को लेकर सीएजी ने अपनी ऑडिट पूरी कर ली है।  और यह ऑडिट रिपोर्ट पीएसी के पास दी गई है। अतः इस मामले में अब कोर्ट कुछ नहीं करेगी।  अदालत का इसारा साफ था कि अगर कीमतों में या डील में कोई कमी होती तो पीएसी जरूर एक्शन लेती। और उसे पार्लियामेंट की कमेटी में रखा जाता है ।

शायद यही बात अदालत के सारे फैसलों का बेस बनी । और इसी आधार पर अदालत ने फैसले लिए।  लेकिन सोचने वाली बात यह है कि पीएससी में कई सारी पार्टी के सदस्य हैं । और इसके अध्यक्ष कांग्रेस के मलिकार्जुन खरगे जी हैं। भरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में मलिकार्जुन खरगे अपने दोनों हाथ खड़े करके कहते हैं कि 'मैं पीएसी का चेयरमैन हूं , और मेरे पास सीएजी की राफेल मामले में कोई रिपोर्ट नहीं आई है"।  और इसी के साथ यह भी दावा करते हैं कि ना तो उनके पास ना ही किसी अन्य सदस्य के पास राफेल की इस डील की कोई रिपोर्ट गई है । पीएसी के अन्य सदस्य शिवसेना के सांसद भी यही बात कहते हैं कि पीएसी के पास राफेल डील से संबंधित कोई भी रिपोर्ट नहीं आई है ।

जब यह बात सरेआम बताई गई उसके बाद सरकार शायद नींद से जागी और अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सरकार से बताने में चूक हुई है । और तकनीकी गलती के कारण उन्होंने पीएससी और सीएजी का नाम ले लिया।  हो सकता हो टाइपराइटर में कोई गलती रही हो , या प्रिंटर में कोई गलती रही हो , अटार्नी जनरल लिखना कुछ और रहे हो कुछ और लिखा गया हो , या जो टाइप कर रहा होगा भांग खाकर बैठा हो,  या चरस पीकर बैठा हो।  उसने कुछ और टाइप कर दिया।  और अटॉर्नी जनरल ने उसे पढ़ने तक की जहमत नहीं उठाई ।

माननीय अदालत ने भी दी गई जानकारियों को क्रॉस एग्जामिन करने की जरूरत नहीं समझी ।सीधे-सीधे सरकारी वकील ने यह बात मानी कि उन्होंने कोर्ट में गलत हलफनामा दिया है ।और कोर्ट को गलत जानकारी दी है । इस मामले में कोर्ट को गुमराह किया है। यह मामला इतना भी सीधा अब नहीं है । जितना सोचा जा रहा थाम यह बहुत ही पेचीदा मामला है। और इसमें बड़े-बड़े नाम फसने वाले हैं। "चौकीदार ही चोर है" वाली कहावत अब आगे सच होती हुई दिख रही है।

वैसे साहेब जी को चोर कहना या सरकार को चोर कहना बेहद गलत है।  भाजपा सरकार एक दूध की धुली हुई और हरिश्चंद्र के डीएनए से बनी हुई सरकार है । इसका एक एक मंत्री, एक एक सदस्य और एक एक पदाधिकारी बोलने से पहले हरिश्चंद्र को याद करके ही बोलता है । कभी किसी भी तरह का कोई झूठ या कोई घोटाला इनसे उम्मीद करना बेकार है ।स्वयं भगवान के बाद यही है जो गलती नहीं करते।

चाहे तो पिछले 5000 सालों के इतिहास उठा कर देख लो, चाहे वो हर्षवर्धन हो , या समुद्रगुप्त, या विक्रमादित्य हो, या चंद्रगुप्त हो या अशोक हो , या पृथ्वीराज चौहान हो , या अकबर हो या पिछले सत्तर सालो में हुए सारे प्रधानमंत्री ही क्यों न हो, आज तक कोई ईमानदार , सच्चा, जुबान का पक्का और पॉपुलर राजा या प्रधानमंत्री हुआ क्या ?  साहेब की ईमानदारी का आलम और रुतबा तो वो है कि सम्राट अशोक से लेकर अकबर तक सब लोग साहेब के आगे पानी कम है।

फिर भी कहते हो, हर विमान पर एक हजार करोड़ का घोटाला हुआ है? ये कहते राहुल बाबा आपको शर्म नही आती ?  हे भगवान, हे अल्लाह, हे गॉड, तूने मुझे ये सब सुनने के लिए अभी अभी तक भक्तो को जिंदा रखा है ?  ये सुनने से पहले उनके कान फट क्यों नही गए ? ये धरती क्यों नही फटी ?  भक्त उसमे समा क्यों नही गये ? मरने क्यों नहीं दिया ऐसी बातें सुनने से पहले?

अब तो भक्तो को  मोदी-मोदी-मोदी मंत्र का जाप करना ही पड़ेगा, वरना  नरक में भी जगह नहीं मिलेगी। वो जगह भी कोई  हड़प जाएगा। है प्रभू साहेब के ऊपर आरोप लगाने वालों को सद्बुद्धि दो। इन अज्ञानियों को ज्ञान दो भगवान। इन नादान मनुष्यो को अपनी शरण में ले लेना प्रभू। 

चाहे नरक भेज देना मगर इस पृथ्वी पर और उसमें भी भारतभूमि पर फिर आने का मौका कभी मत देना। अगर भेजना ही चाहो तो इस बार सीधे अमेरिका में पैदा करना। वैसे भी वहां का ग्रीन कार्ड बड़ी बकैती पेलने के बाद मिलता है।

और तो और  अटल जी की कैबिनेट में रहे मंत्री भी साहेब के ऊपर आरोप लगाने का पाप कर रहे है। बताओ तो अटल जी को कितना दुख होता होगा। उनकी आत्मा को कितनी ठेस पहुचती होगी। जिस साहेब से उन्होंने राजधर्म पालन करने का पाठ पढ़ा , उन्ही के मंत्री साहेब पर चोरी का इल्जाम लगा रहे है ।

वो मंत्री कौन थे वो ? यशवंत सिन्हा?  अरुण जेटली ? नहीं यार , जेटली नहीं, वो क्या सरनेम है उनका - हां,अरुण शौरी जी। क्या शौरी जी आपने तो कुछ सोचा होता। आपने तो अपना रिकॉर्ड भी खराब कर दिया । खैर प्रशांत भूषण का तो रिकॉर्ड आपसे पहले से ही बहुत खराब है।

फिर भे एक बार सिलसिले वार तरीके से समझने की कोसिस करते है कि आखिर चल क्या रहा है। 
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि उसके सामने पेश किए गये दस्तावेज बताते हैं कि केंद्र सरकार ने राफेल लड़ाकू जेट के मूल्य निर्धारण ब्योरे से संसद को अवगत नहीं कराया, लेकिन उसने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के सामने इसका खुलासा किया शीर्ष अदालत ने कहा कि कैग रिपोर्ट को संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) परख भी चुकी है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पीएसी  को कैग रिपोर्ट दी गई है,। जबकि पीएसी को कोई रिपोर्ट नहीं मिली ये कैसे हो सकता है कि जो कैग रिपोर्ट फैसले की बुनियाद है वो पीएसी में किसी को नहीं दिखी लेकिन सुप्रीम कोर्ट में दिखी? जब कोई झूठ बोलता है तो वह कहीं न कहीं नजर आ जाता है अब सरकार हमें बताए कि सीएजी रिपोर्ट कहां हैं? हमें यह दिखाएं’’ पीएसी के चेयरमैन कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे हैं।
राफेल डील में सीबीआई जांच की मांग कर रहे याचिकाकर्ता यशवंत सिन्हा और प्रशांत भूषण ने तो यहां तक पूछा है कि आखिर कैग की रिपोर्ट कहां है। जिसके बाद सूत्रों ने बताया कि राफेल पर कैग रिपोर्ट जनवरी के आखिर में आएगा।

राफेल पर कैग की रिपोर्ट अन्य रक्षा सौदों पर आने वाली कैग रिपोर्ट के साथ दिया जाएगा।याचिकाकर्ता यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आश्चर्य जताया। उन्होंने कहा, "हमें यह नहीं पता कि सीएजी को कीमत का ब्यौरा मिला है या नहीं, लेकिन बाकि सारी बातें झूठ हैं न ही सीएजी की तरफ से पीएसी को कोई रिपोर्ट दी गई है, न ही पीएसी ने ऐसे किसी दस्तावेज का हिस्सा संसद के समक्ष प्रस्तुत किया और न ही राफेल सौदे के संबंध में ऐसी कोई सूचना या रिपोर्ट सार्वजनिक है लेकिन सबसे हैरत की बात है कि इन झूठे आधार पर देश की शीर्ष अदालत ने राफेल पर फैसला सुना दिया!"

इस मसले पर सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट को गुमराह नहीं किया गया है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने कहा कि राफेल मामले में कैग परीक्षण कर रही है, ये सुप्रीम कोर्ट में नहीं बताया है कि पीएसी ने रिपोर्ट देखी है। केंद्र सरकार ने एक संशोधित हलफनामा फिर से कोर्ट में सौंपा है और उसकी कॉपी सभी याचिकाकर्ताओं को दी है। फैसले के बाद जब केंद्र सरकार पर ये आरोप लगने लगे कि उसने सुप्रीम कोर्ट को गलत जानकारी दी है तो सरकार की तरफ से अगले ही दिन उसमें सुधार के लिए कोर्ट में हलफनामा सौंपा गया।

हलफनामे में कहा गया है कि पहले सौंपे गए एफिडेविट में टाइपिंग में गलती हुई थी, जिसकी कोर्ट ने गलत व्याख्या की है। सरकार ने नए हलफनामे में साफ किया है कि सीएजी की रिपोर्ट अभी तक पीएसी ने नहीं देखी है। अब ये नही बताया कि जब कैग की रिपोर्ट पीएसी ने नही देखी तो सरकार के कैसे देख लिया ? सरकार ने पहले सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि राफेल लड़ाकू विमान की कीमत निर्धारण और उससे जुड़े अन्य विवरण की रिपोर्ट नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने लोक लेखा समिति (पीएसी) को सौंपी थी, जिसकी समीक्षा पीएसी द्वारा की गई है। उसकी रिपोर्ट भी बाद में कोर्ट को सौंपी गई है। कांग्रेस ने इसे झूठा करार दिया था। इसके बाद सौंपे गए हलफनामे में सरकार ने कहा है कि उसने केवल रिपोर्ट और रिपोर्ट दर्ज करने की प्रक्रिया का हवाला दिया है।

कई बार कई मामलों पर अदालतें खुद ब खुद संज्ञान लेती हैं।  मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर या चर्चाओं के आधार पर या खबरों के आधार पर। लेकिन अब जबकि मीडिया में सरकार ने यह माना है कि उन्होंने गलत तथ्य कोर्ट के सामने पेश किए।  तो क्या अब माननीय सुप्रीम कोर्ट इस मामले में खुद ब खुद कोई संज्ञान लेगा ? वैसे कांग्रेस ने और प्रशांत भूषण ने इस मामले में पुनर्विचार की याचिका डाल दी है।  वह भी इस आधार पर कि सरकार ने माननीय कोर्ट को गलत जानकारी उपलब्ध कराई क्या वह गलत है।

अब ये सोचने की बात है कि ये गलत जानकारी सिर्फ सीएजी रिपोर्ट तक ही सीमित है ? क्या गारंटी है इस बात की और मामलों में गलत जानकारी कोर्ट को नहीं दी गई ? जहाज की टेक्नोलॉजी से लेकर के खरीद-फरोख्त और पार्टनर तक चुनने के बारे में हो सकता हो कि सारी जानकारी ही सरकार ने कोर्ट को गलत जानकारी दी हो ? और यह जानकारी इसलिए पकड़ी गई क्योंकि जिस पीएसी का उन्होंने जिक्र किया उसी के अध्यक्ष कांग्रेस के मलिकार्जुन खरगे हैं। और बाकी जानकारियो का क्रॉस एग्जामिन तो हुआ ही नही फिर 

अब ये सब रोज रोज होते जा रहा है, कही से पूर्व राष्ट्रपति बयान दे रहा है तो कही से वर्तमान राष्ट्रपति की पत्नी, इसे विपक्ष पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बयान दे रहा है तो कहीं से पीएसी का अध्यक्ष।  सब मिल के साहेब को फसा देते हो ।ये रोज रोज प्रेस कॉन्फ्रेंस करके लोगो को जहाजो के दाम बताते हुए शर्म नही आती तुम लोगो को? हमारे साहेब की गणित उल्टी है तो क्या उसका फायदा तुम लोग इस तरह से उठाओगे ?  एक अनपढ़ या कुपढे सीधे साढ़े भोले व्यक्ति के ऊपर तुम लोग गणित के गुणा गणित से वार करोगे ?

अरे हमारे साहेब तो इतने सीधे है कि बेचारे को तीन का पहाड़ा भी मुश्किल से आता है । ये तो सोच लेते कि वह घोटाला भी करेंगे तो पद की प्रतिष्ठा के अनुकूल ही करेंगे न! और क्या 50000 करोड़ का घोटाला उनकी पद की प्रतिष्ठा-गरिमा के अनुरूप नहीं है ? फिर दिक्कत क्या है, सवाल क्या है, यही हमें और मोदीजी को समझ में आ रहा है। आपको भी समझ में नहीं आ रहा होगा। समझो इनकी चाल, ये चाहते हैं मोदीजी पद की प्रतिष्ठा गिराकर  घोटाला किया करें। ऐसा वह कभी नहीं करेंगे।

न करेंंगे और भाइयों-बहनों और वह किसी को करने भी नहीं देंगे। उनका मानना है  की झूठ भी बोलो तो विज़न बडा रखी। और पैसे के मामले में 'आलवेज थिंक बिग, डू बिग"।  और तुम लोग उनपे सिर्फ 50 हज़ार करोड़ के चोरी का आरोप लगा रहे हो ? देश की प्रतिष्ठा का सवाल है।  उसकी पुनर्प्रतिष्ठा का प्रश्न है। सबसे बढ़कर देशभक्ति का सवाल है। इस पर कोई समझौता नहीं हो सकता और राहुल जी, राहुल जी की जानें, मोदीजी ऐसा नहीं करेंगे और न करने देंगे।अब कोई दोस्त झोला भर कर चला जाये तो साहेब क्या कर सकते है, साहेब तो फकीर है। फकीर और झोले का रिश्ता साहेब जानते है । फिर भला वो झोले को कैसे रोक सकते है ? 

अब अधर्मी साहेब की इस दुविधा को चोरी का नाम दे रहे है । घोटाले का नाम दे रहे है ।  साहेब ने घोटाला किया भी है तो देश की गरिमा और प्रतिष्ठा के अनुरूप किया है । ये घोटाला देश भक्ति के श्रेणी में आता है। इस घोटाले से साहेब की साख दुनिया भर में बढ़ जाएगी । और अब से जो प्रधानमंत्री इससे कम का घोटाला करेगा, समझो पक्का देशद्रोही है और देश कभी ऐसे देशद्रोहियों को बर्दाश्त नहीं करनेवाला।

मोदी जी ने संस्थाओं की धज्जियां उड़ा दी हैं सच्चाई यह है कि यहां पर 30 हजार करोड़ रुपये की चोरी हुई है । ये बात सही है कि देश का चौकीदार चोर है और प्रधानमंत्री जी ने अनिल अंबानी को 30 हजार करोड़ रुपये की चोरी कराई है। मोदी जी जितना छिपना है, छिप लें जिस दिन जेपीसी की जांच हो गई उस दिन दो नाम निकलेंगे-अनिल अंबानी और नरेंद्र मोदी। साथ में यह भी पता चलेगा कि कितने हजार करोड़ रुपए साहेब ने अपनी जेब के अंदर घुसे और कितने हजार करोड़ रुपए साहब ने अनिल अंबानी की जेब में ठूंस ठूंस कर भरे ।

देश की रक्षा की गुप्ता के नाम पर जो ठगी और बेईमानी और जो चोरी देश की तिजोरी के साथ हुई वह अपने आप में एक इतिहास है। ऐसी चोरी ना पहले हुई थी ना कभी होगी। जहां सरेआम साहेब अपने देश की एक पुरानी कंपनी को हटा करके अपने दोस्त कि 3 महीने पहले बनी हुई कंपनी को घुसा कर 30 हजार करोड़ से भी ज्यादा का फायदा दिलवा देते हैं ।और उससे बचने के लिए साहेब सुप्रीम कोर्ट में अपने वकील के हाथों झूठा हलफनामा और झूठी जानकारियां तक देते हैं । इन झूठी जानकारियों की सीमा सिर्फ पीएसी रिपोर्ट तक नहीं है। जहाज की टेक्निकल जानकारी से लेकर के प्राइसिंग तक की सारी जानकारियां सुप्रीम कोर्ट में झूठी दी गई है , यह मेरा दावा है । सत्ता पलटी और दूसरी सरकार बनेगी तब राफेल घोटाला पूरी तरह से उजागर होगा। तब तक इंतजार करिए और साहेब के नाम का गुण गाते रहिए।

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