इतने सारे नामो को भी बदलने में भी खूब मेहनत लगती है, मज़ाक है क्या ? कुछ मदद हमे भी कर देनी चाहिए। चहिये क्या , मैं तो अपनी तरफ से मदद कर भी रहा हू । कुछ नाम हमारे तरफ से ले लो जैसे दीवाली का नाम पंडित दीन दयाल उपाध्यय धूम धड़ाका योजना, कुतुबमीनार का नाम पंडित दीन दयाल उपाध्यय का खंभा , मोब लीनचिंग का नाम "वीर" सावरकर सामूहिक मार काट प्रतियोगिता, रेलवे प्रतीक्षालय का नाम आडवाणी हाल , पागलखाने का नाम गिरिराज गृह और एनपीए का अम्बानी अडानी सामूहिक मदद योजना नाम करना चाहिए।  हो सकता हो विकास का पहिया यही रुका हो।

बताओ तो जरा इस दुनिया का सबसे फालतू और मूर्ख आदमी ही रहा होगा शेक्सपियर , जिस ने लिख दिया कि "नाम में क्या रखा है"।  और यह लाइन लिखने के बाद उसने नीचे अपना ही नाम लिखा।

शेक्सपियर को मूर्ख मैं अपनी मर्जी से नहीं बोल रहा।  बल्कि मुझे जबरदस्ती  उसको मूर्ख मनाने के लिए फ़ोर्स किया गया। वैसे ही जैसे फैजाबाद को अयोध्या मनाने के लिए किया गया, इलाहाबाद को प्रयागराज मानने के लिए किया गया, इकाना को अटल बिहारी वाजपई स्टेडियम मानने के लिए किया गया।  ठीक वैसे ही शेक्सपियर को मूर्ख  मानने के लिए विवश किया गया। इसमें मेरी कोई मर्जी नहीं है यह मेरे साथ एक जबरदस्ती है।

खैर शेक्सपियर भी क्या करता,  उसे कहां मालूम था कि उसके जाने के बाद माननीय श्री योगी आदित्यनाथ जी जन्म लेंगे और उत्तर प्रदेश की कायाकल्प ही कर देंगे । ना ना कायाकल्प से मतलब यह न समझिए कि प्रदेश की कायाकल्प, यहां पर कायाकल्प का तात्पर्य सिर्फ नामों के कायाकल्प से है।

अब तो मन करता है कि उत्तर प्रदेश में कुछ बहुत चर्चित लोगों का नाम विन डीजल के नाम पर भी रख दिया जाए। करे भी क्या हम, उस बहुचर्चित आदमी की शक्ल मिलती है , कि आदमी एक बार को कंफ्यूज हो कर कपार पटक ले ।

कई लोगों को यह भी कहते सुना गया कि बाबा यह एक-एक गली, चौराहे, मोहल्लों का नाम बदलना छोड़ दो । सीधे पृथ्वी का नाम ही बदल कर नया नाम रख दो "पंडित दीनदयाल उपाध्याय का गोला"। बस सब कुछ अपने आप सेट हो जाएगा । भले ही पंडित जी ने एक नलकूप भी कहीं लगवाया हो या नहीं ।

अगर आप दूसरों के आदर्श और दूसरों के नेताओं पर राजनीति कर सकते हैं,  तो आप इस चीज के लिए भी तैयार रहिए कि लोग आप के नेताओं पर भी राजनीति कर सकते हैं । और दूसरों के पास तो कंटेंट भी बहुत ज्यादा है । जैसे सावरकर के बाईस पत्र,  श्यामा प्रसाद मुखर्जी का शपथ पत्र,  बहुत कुछ है , जो आप को सरेआम नंगे करने के लिए काफी है ।

बाबा ने पिछले डेढ़ साल से भी ज्यादा समय में बहुत काम किए हैं , सिर्फ नाम बदलने वाले।  कई काम तो उन्होंने नई परंपराओं के साथ किया । जैसे शिलान्यास का भी शिलान्यास करवा दिया।  बताओ जरा इसके पहले कभी कुछ ऐसा हुआ था  ? किसी ने किया था ?  भाई इतने क्रिएटिव पहले कोई था ?

बाबा नई क्रिएटिविटी लेकर मठ से आए हैं , उद्घाटन का उद्घाटन कर दिए । और तो और इंसान को भगवान से बड़ा बना दिया । इकाना का नाम बदलकर पंडित अटल बिहारी वाजपेई रख दिया । जबकि शास्त्रों पुराणों में इकाना का मतलब भगवान विष्णु के पर्यायवाची नाम से है ।

लेकिन बाबा के लिए भगवान विष्णु या राम नहीं,  एक व्यक्ति,  या यह कह सकते हैं कि उस व्यक्ति के नाम पर मिलने वाला वोट ही सबसे ज्यादा जरूरी है।  अरे काहे के मठाधी,  और काहे के बाबा,  और काहे के मुख्यमंत्री ? इनके तो इंसान होने पर भी होता है हमको ।

खैर ये परम्परा बाबा ने नही सुरु किया, तर परम्परा बाबा के राजनीति गुरुओ ने सुरु किया। और इसका शुरुआत साल 2016 में हरियाणा की साइबर सिटी का गुड़गांव का नाम बदलकर गुरुग्राम कर दिया गया।जबकि सच्चाई ये है कि पहली बार गुड़गांव का नाम गुरुग्राम रखने की कवायद 2010 में शुरु की गई थी।

7 रेस कोर्स रोड से लोक कल्याण मार्ग का भी यही हाल हुआ । राजधानी नई दिल्ली में स्थित रेस कोर्स रोड राजनीतिक लिहाज से काफी चर्चित और अहम रही है क्योंकि यहीं भारत के प्रधानमंत्री का निवास होता है। हालांकि, नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद इस सड़क का नाम बदलकर लोक कल्याण मार्ग कर दिया गया।

औरंगजेब रोड से ए पी जे अब्दुल कलाम रोड का मामले में भी लुटियन की दिल्ली में मुगल शासक औरंगजेब के नाम पर बनी सड़क औरंगजेब रोड का नाम बदलकर पूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम के नाम पर रख दिया गया।

साल 2017 में दिल्ली में स्थित डलहौजी रोड का नाम बदलकर दारा शिकोह रोड कर दिया। दारा शिकोह पांचवें मुगल बादशाह शाहजहां के सबसे बड़े बेटे थे। इन्हें हिंदू-मुस्लिम एकता और भाईचारे के लिए जाना जाता है।

खैर, देखिए शहर से नाम बदलने का ये सिलसिला गांवों, कस्बों, गलियों, पर्यटक स्थलों, बैंकों, रेलवे स्टेशन, विश्वविद्यालयों, संस्थानों, सड़कों आदि से होता हुआ फिर व्यक्तियों के नामों तक जाएगा।  जल्द ही इलाहाबाद बैंक का नाम भी प्रयागराज बैंक होगा।  सराय, शाह, शाही, बाद जैसे शब्द जिस भी चीज के नाम में मिलेंगे बाबा वे सब बदल देंगे।

यहां तक कि कुछ समय बाद आपको बालूशाही मिठाई भी बालूमलाई या बालूकेसरी जैसे ही किसी नाम से ही बिकती हुई मिलेगी। अगले महीने से उत्तर प्रदेश में आपको शाही पनीर की जगह ‘मलाई पनीर’ ही मिलेगा। 

करीब 8 महीने पहले उत्तर प्रदेश चुनाव के समय भी एक टीवी शो पर चर्चा करते हुए योगी आदित्यनाथ ने भी ताजमहल का नाम बदले की बात कही थी। हालांकि तब वो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री नहीं बने थे। उन्होंने गोरखपुर में मोहल्लों के नाम बदलने पर जवाब देते हुए कहा था कि, “हमने किया है हुमायूंपुर को हनुमानपुर किया है। और भी करेंगे जो हमारे अनुकुल होगा वो करेंगे।"

इसके बाद योगी ने कहा कि " अगर किसी विदेशी आक्रांता के द्वारा कोई ऐसा काम किया है तो ऐसा किया जाना चाहिए।"  इसके बाद जब पत्रकार ने उनसे कहा कि फिर आप ताजमहल को राम महल भी कर सकते हैं तो योगी बोले की "क्यों नहीं करेंगे। आवश्यकता होगी तो जरूर करेंगे।"

और फिर बाबा जी ने इलाहाबाद का नाम बदल कर प्रयागराज कर दिया। बाबा जी को हम ये बताना चाहते है कि हमारे लिये इलाहबाद धर्म है, प्रयागराज नही। इलाहबाद सनातनी सभ्यता से उभरा नाम है। इसको प्रयागराज बना कर, योगी सनातन धर्म का अपमान कर रहे हैं। प्रयाग प्रचीन है। इसका मतलब कुर्बानी से जुड़ा है। यानी ये एक यज्ञस्थल था। वेद-पुराण मे भी प्रयाग किसी शहर नही, बल्कि यज्ञस्थल का नाम है।प्रचीन पुस्तकों मे प्रयाग को त्रिवेणी भी कहा गया है।

त्रिवेणी, यानी तीन नदियों, गंगा, यमुना, सरस्वती, के मिलन का स्थल, एक भौगोलिक स्तिथि का वर्णन है। त्रिवेणी नाम का कभी कोई शहर नही था।उत्तर प्रदेश मे आज के कई जिले प्रचीन हैं। और उनके नाम के राज्य बिफोर क्राइस्ट से हैं। काशी, कोशल नाम के राज्य थे। पर प्रयाग नाम का कोई राज्य  नही था। आज के इलाहबाद छेत्र मे  बिफोर क्राइस्ट के राज्य का नाम, कौशाम्भी था, ना कि प्रयाग। कौशाम्भी अब एक अलग जिले का नाम है।

मौर्य काल मे प्रयाग नाम के किसी शहर का नाम नही मिलता। गुप्त काल मे भी प्रयाग एक अडमिनिस्ट्रस्टीव डिवीज़न था, पाटिलीपुत्र या कन्नौज की तरह शहर नही था। अकबर ने एक नये शहर की स्थापना की जिसका नाम ‘इलाहाबस’ रखा गया। ‘इलाह’ भगवान का नाम होता है, अल्लाह का नही। आईन-ए-अकबरी मे ‘इलाहबाद’ का नाम आता है, ‘अल्लाहबाद’ का नही। ये कहना की इलाहबाद का नाम अल्लाहबाद है, सरासर झूठ और शरारतपूर्ण है।इला, मनु की बेटी का भी नाम था।

अकबर ने भारत की सुरक्षा के लिये, संगम पर एक किले और शहर के महत्व को समझा। अकबर ने जो शहर बसाया, उसके पहले, प्रयाग या अन्य किसी नाम से, कोई शहर था ही नही।एक नज़र से देखा जाये तो इलाहबाद एक सनातनी हिन्दू नाम है, अकबर खुद सनातनी लाईन पर चल रहा था।  इलाहबाद सिर्फ एक शहर का नाम नही है। यह एक अदा, अंदाज, कल्चर, एट्टीट्यूड है।

प्रयाग इलाहबाद का हिस्सा है, इलाहबाद नही है। पूरे भारत मे ‘बकैती’, ‘कसस गुरु’,  ' कर दिस जैसी भाषा आपको बस इलाहबाद मे मिलेगी। ‘इलाहाबादी’ होना बिल्कुल वैसी ही है जैसे भोपाली, बनारसी, लखनवी या मुंबईकर होना।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि "इस बैठक में हर तबके खासकर अखाड़ा परिषद, प्रबुद्ध वर्ग से एक प्रस्ताव आया है कि इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किया जाए। जिसपर योगी आदित्यनाथ ने संतों की बात मानते हुए कुंभ नगरी इलाहाबाद का नाम फिरसे ‘प्रयागराज’ करने का ऐलान कर दिया है। ये सुनकर संतों में काफी उत्साह देखने को मिला। योगी ने कहा, जब हम प्रयाग की बात करते हैं तो जहां दो नदियों का संगम होता है, वह अपने आप में एक प्रयाग हो जाता है. स्वभाविक तौर पर यह सभी प्रयागों का राजा है, इसलिए यह प्रयागराज कहलाता है।

अखिलेश यादव ने भी बीजेपी सरकार पर जमकर हमला बोला है।अखिलेश ने ट्वीट कर कहा की -
    "राजा हर्षवर्धन ने अपने दान से ‘प्रयाग कुम्भ’ का नाम किया था और आज के शासक केवल ‘प्रयागराज’ नाम बदलकर अपना काम दिखाना चाहते हैं। इन्होंने तो ‘अर्ध कुम्भ’ का भी नाम बदलकर ‘कुम्भ’ कर दिया है।  ये परम्परा और आस्था के साथ खिलवाड़ है। "

उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने योगी सरकार के मुगलसराय स्टेशन, इलाहाबाद और फैजाबाद का नाम बदले जाने के फैसले का विरोध करते हुए इसे मुद्दों से भटकाने के लिए किया गया 'नाटक' करार दिया। साथ ही नसीहत भी दी कि भाजपा सरकार शहरों का नाम बदलने से पहले अपने मुस्लिम नेताओं का नाम बदलें।

मंत्री राजभर ने कहा कि बीजेपी ने मुगलसराय, इलाहाबाद और फैजाबाद का नाम बदल दिया, क्योंकि वह मुगल के नाम पर थे, यह सरासर गलत है। उन्होंने भाजपा के तीन मुस्लिम नेताओं राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन, केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और प्रदेश सरकार के मंत्री मोहसिन रजा का नाम लेते हुए कहा कि भाजपा के तीन मुस्लिम चेहरे हैं। भाजपा शहरों का नाम बदलने से पहले इन मुस्लिम नेताओं का नाम बदले।

राजग में शामिल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ने कहा, 'यह सब नाटक है, जब भी पिछड़े और शोषित वर्ग अपने अधिकार मांगने के लिए अपनी आवाज बुलंद करते हैं तो उनका ध्यान भटकाने के लिए भाजपा कोई न कोई नया मुद्दा छेड़ देती है।'
उन्होंने कहा कि मुस्लिमों ने जो निर्माण कार्य देश में कराया, वह किसी और ने नहीं कराया।

राजभर ने भाजपा सरकार से सवाल किया कि 'क्या हम जीटी रोड उखाड़कर फेंक दें? लालकिला और ताजमहल को गिरा दें? इलाहाबाद और फैजाबाद का नाम सिर्फ इसलिए बदल देना, क्योंकि वह मुस्लिमों के नाम पर है, यह सरासर गलत है।

अगर यही सब करना है तो भाजपा 'सबका साथ सबका विकास' का नारा देकर जनता को बेवकूफ बनाना छोड़ दे।'राजभर ने बीजेपी के तीन मुस्लिम नेताओं शाहनवाज हुसैन, केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और मोहसिन रजा का नाम लेते हुए कहा कि शहरों का नाम बदलने से पहले इन मुस्लिम नेताओं का नाम बदलें।

राजभर इलाहाबाद और फैजाबाद का नाम योगी सरकार द्वारा बदले जाने को लेकर नाराज थे। उन्होंने कहा कि मुस्लिमों ने जो निर्माण कार्य देश में कराया वह किसी और ने नहीं कराया। इलाहाबाद और फैजाबाद का नाम सिर्फ इसलिए बदल देना क्योंकि वह मुगल के नाम पर हैं, सरासर गलत है।

बीजेपी सरकार इस तरह के नाटक पिछड़े वर्ग के लोगों की आवाज को दबाने और उनका ध्यान मुद्दों से भटकाने के लिए कर रही है। जब भी शोषित वर्ग अपनी आवाज उठाने की कोशिश करता है, बीजीपी कोई न कोई नया मुद्दा छेड़ देती है।  बीजेपी सरकार तो हमे बस यही बात दे कि लाल किला और ताजमहल किसने बनवाया?

सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस मार्कण्डेय काटजू ने इलाहाबाद का नाम बदलने पर योगी सरकार पर तंज कसते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कई अन्य शहरों के भी नाम बदलने का सुझाव दिया । इसके साथ ही काटजू ने 18 जिलों की लिस्ट भी बीजेपी को भेज दी जो है -

1. अलीगढ़ को अश्वत्थामा नगर
2. आगरा को अगस्तीनागर
3. गाजीपुर को गणेशपुर
4. शाहजहांपुर को सुग्रीवपुर
5. मुजफ्फरनगर को मुरलीमनोहर नगर
6. आज़मगढ़ को अलकनंदपुर
7. हमीरपुर को हस्तीपुर
8. लखनऊ को लक्ष्मणपुर
9. बुलंदशहर को बजरंगबलीपुर
10. फैजाबाद को नरेन्द्र मोदी पुर
11. फतेहपुर से अमितशाह नगर
12. फतेहपुर सीकरी को योगी आदित्यनाथपुर
13. फिरोज़ाबाद को द्रोणाचार्यनगर
14. फरुखाबाद को अंगदपुर
15. गाजियाबाद से घाटोतकचनगर
16. सुल्तानपुर को सरस्वती नगर
17. मोरादाबाद को मन की बात नगर
18. मिर्जापुर को मीराबाई नगर

अच्छा मजे की बात ये है कि सिर्फ योगी बाबा ही नही, सारे के सारे भाजपाई इसी एक सूत्रीय कार्यक्रम में लगे हुए है । राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार ने प्रदेश के गांवों के नाम बदलना शुरू कर दिया है। इस प्रक्रिया के तहत बाड़मेर के मियां का बाड़ा गांव का नाम महेश नगर कर दिया गया है।

सरकार मुस्लिम नामों वाले गांवों के नाम हिंदू नामों से बदल रही है। झुंझनू जिले का इस्माइलपुर अब पिछानवा खुर्द और जालौर का नरपाड़ा नरपुरा हो गया है।

वसुंधरा राजे सरकार ऐसे समय में गांवों के नाम बदल रही है जब विधानसभा चुनाव पास ही हैं। मियां का बाड़ा का नाम बदलने को लेकर राज्य के राजस्व मंत्री अमरा राम का अपना तर्क है। उनका कहना है, ‘मियां का बाड़ा में केवल तीन मुस्लिम परिवार रहते हैं। तो फिर इसका नाम मियां का बाड़ा क्यों हो?’ वहीं, गांव के पूर्व सरपंच हनुमंत सिंह ने बताया, ‘देश को आजादी मिलने तक गांव का नाम महेश रो बाड़ो था। लेकिन बाद में नाम बदलकर मियां का बाड़ा कर दिया गया। अब इसे महेश नगर कर दिया गया ।

राजस्थान सरकार ने इस बाबत प्रस्ताव दिया था जिसे गृह मंत्रालय ने मंजूरी दे दी।राज्य के राजस्व विभाग की सिफारिशों के आधार पर केंद्र ने करीब 15 गांवों के नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके तहत जमीनी स्तर की कार्यवाही में गांवों के नाम वाले साइनबोर्ड बदल दिए गए हैं।

राजस्थान सरकार का कहना है कि ऐसा पंचायत स्तर पर की गईं सिफारिशों के आधार पर किया जा रहा है।उसके मुताबिक कई गांव सालों से नाम बदलने की मांग कर रहे थे।उसके बाद गांवों का नाम बदलना शुरू किया गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जनता के सामने इतने भोले बन जाते हैं कि क्या बताएं। मोदी अपने हर भाषण में एक ही बात बोलते हैं, “मित्रों, यह जो अब तक मैंने योजनाएं शुरू की हैं, इससे सिर्फ और सिर्फ फायदा जनता को ही है।” मोदी ने अपने पीएम बनने के बाद एक से एक योजनाएं शुरू की जैसे जन-धन योजना, पेंशन योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना आदि।

इन सभी योजनाओं को लागू करने का क्रेडिट मोदी सरकार अपने सिर पर ले रही है। लेकिन इसके पीछे की सच्चाई क्या है, इसका आपको शायद ही पता हो। मोदी सोचते हैं कि जनता है, भारत की जनता तो बेवकूफ है, कुछ भी करते जाएंगे और लोगों को कुछ पता नहीं चलेगा। लेकिन इस बात से अनजान हैं कि देश में अभी कई ऐसे लोग बैठे हैं जो उनकी पोल खोलने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

आपको बता दें कि मोदी अब तक ऐसी 24 योजनाएं व स्कीम आदि लॉन्च कर चुके हैं। दरअसल यह सभी योजनाएं व स्कीमें कांग्रेस की सरकार के समय पूर्व पीएम डा. मनमोहन सिंह ने शुरू की थी। लेकिन मोदी इतने चतुर हैं कि उन्होंने आते ही कांग्रेस की इन सभी योजनाओं के नाम बदले और उस पर अपना क्रेडिट ले लिया। मोदी एकाएक इन योजनाओं को लॉन्च करते गए और अपना क्रेडिट लेते गए।

ऐसी ही दी गई लिस्ट में आप देख सकते हैं कि कैसे मोदी ने चालाकी के कांग्रेस सरकार के प्रयासों पर अपनी मुहर लगाकर जनता से झूठी वाहवाही लूटी है। कांग्रेस की सभी योजनायें जिनके नाम मोदी सरकार ने बदल दिए आप यहाँ कांग्रेस की सारी योजनायें देख सकते है।

2013 एलपीजी के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण अब हुआ पहल

2013 निर्मल भारत अभियान , स्वच्छ भारत मिशन

2012 में आईप्रधानमंत्री अनुसंधान फैलोशिप योजना (पीपीपी मॉडल)  अब हुआप्रधानमंत्री फैलोशिप योजना

2011 में आई  राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवक जिसका नाम बदल कर हुआ भारतनेट

2011 में आईराष्ट्रीय विनिर्माण नीति जिसका नाम बदल कर हुआमेक इन इंडिया

2010 में आई इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना जिसका नाम बदल कर हुआ प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना

2010 में आई स्वावलंबन योजना जिसका नाम बदल कर हुआअटल पेंशन योजना

2010 में आईराष्ट्रीय कौशल विकास कार्यक्रम जिसका नाम बदल कर हुआ स्किल इंडिया

2010 में आई बीपीएल परिवारों के लिए मुफ्त एलपीजी कनेक्शन जिसका नाम बदल कर हुआ प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना

2010 में आई संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (एमएनएआईएस)जिसका नाम बदल कर हुआ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

2009 में आईराजीव आवास योजना जिसका नाम बदल कर हुआ शहरी आवास के लिए सरदार पटेल राष्ट्रीय मिशन

2008 में आईनेशनल गर्ल चाइल्ड डे प्रोग्राम जिसका नाम बदल कर हुआ बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना

2008 में आईमृदा स्वास्थ्य और उर्वरता के प्रबंधन पर राष्ट्रीय परियोजना जिसका नाम बदल कर हुआमृदा स्वास्थ्य कार्ड

2008 में आईजन औषधि योजना जिसका नाम बदल कर हुआ प्रधानमंत्री जन औषधि योजना

2008 में आईजन औषधि जिसका नाम बदल कर हुआ प्रधानमंत्री भारतीय जन-औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी)

2007 में आई राष्ट्रीय कृषि विकास योजना और अन्य कार्यक्रम जिसका नाम बदल कर हुआपरम्परागत कृषि विकास योजना

2007 में आईद्रुत सिंचाई लाभ कार्यक्रमजिसका नाम बदल कर हुआ प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना

2006 में आईराष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्लान जिसका नाम बदल कर हुआ डिजिटल इंडिया

2005 में आई राष्ट्रीय समुद्री विकास कार्यक्रम जिसका नाम बदल कर हुआ सागरमाला

2005 में आई राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (आजीविका) जिसका नाम बदल कर हुआ दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण योजना

2005 में आई राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना जिसका नाम बदल कर हुआदीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना

2005 में आई जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण जिसका नाम बदल कर हुआ मिशनअमृत

2005 में आईबुनियादी बचत बैंक जमा खाताजिसका नाम बदल कर हुआ जन-धन योजना

2005 में आई विरासत क्षेत्रों का विकास (जेएनएनयूआरएम के तहत उप-योजना) जिसका नाम बदल कर हुआ हृदय

2004में आई नीम कोटेड यूरिया जिसका नाम बदल कर हुआविकास का दावा

2004में आई न्यू डील फॉर रूरल इंडिया जिसका नाम बदल कर हुआ ग्राम उदय से भारत उदय

1985 में आई सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रमजिसका नाम बदल कर हुआ मिशन इंद्रधनुष

1985 में आई व्यापक फसल बीमा योजना जिसका नाम बदल कर हुआ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

1985 में आई इंदिरा आवास योजनाजिसका नाम बदल कर हुआ प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना
1975 में आई आईसीडीएस के तहत सेवाएंजिसका नाम बदल कर हुआ राष्ट्रीय पोषण मिशन (पोषण अभियान)

राजीव गांधी खेल अभियान (आरजीकेए), शहरी खेल बुनियादी ढांचा योजना (यूएसआईएस)जिसका नाम बदल कर हुआ खेलो इंडिया कार्यक्रम।

इतने सारे नामो को भी बदलने में भी खूब मेहनत लगती है, मज़ाक है क्या ? कुछ मदद हमे भी कर देनी चाहिए। चहिये क्या , मैं तो अपनी तरफ से मदद कर भी रहा हू ।
कुछ नाम हमारे तरफ से ले लो जैसे दीवाली का नाम पंडित दीन दयाल उपाध्यय धूम धड़ाका योजना, कुतुबमीनार का नाम पंडित दीन दयाल उपाध्यय का खंभा , मोब लीनचिंग का नाम "वीर" सावरकर सामूहिक मार काट प्रतियोगिता, रेलवे प्रतीक्षालय का नाम आडवाणी हाल , पागलखाने का नाम गिरिराज गृह और एनपीए का अम्बानी अडानी सामूहिक मदद योजना नाम करना चाहिए।  हो सकता हो विकास का पहिया यही रुका हो।

Comments

Popular Posts