अंधभक्त
2014 के आम चुनाव के बाद एक शब्द बहुत तेजी से राजनीतिक और सामाजिक दुनिया में आया है , वह है "भक्त"। हालांकि यह एक ऐसा शब्द है जो की भक्ति भावना और भगवान से जुड़ा हुआ होता है । लेकिन 2014 के आम चुनावों के बाद हमें यह लगता है कि हमने कोई प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि कोई आराध्य चुन लिया है। जिसके इतने सारे भक्त बने हैं।
भक्त नहीं कहिएगा पूरा सम्मान दीजिए "अंधभक्त" कहिए ।
यह इस समय मनुष्यों की सबसे खतरनाक प्रजाति बन चुके हैं। यह एक भीड़ में एकत्रित हो चुके हैं, क्योंकि इनकी संवेदनशीलता खत्म हो चुकी है। यह एक व्यक्ति विशेष या एक मानसिकता विशेष के गुलाम बन चुके हैं। इन्हें सही गलत , उल्टा सीधा , ऊपर नीचे , कुछ भी समझ में नहीं आता है। इनके पास आंख कान नाक, मुंह नाम के हार्डवेयर तो होते हैं, लेकिन उसके सॉफ्टवेयर को चलाने वाला कोड इनके साहब के पास है । और इनके साहब वहीं से तरह-तरह की उजूल फिजूल बातें इनके दिमाग में डालते रहते हैं।
ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ अपने तक सीमित रहते हैं , यह भक्त अपने वायरस से दूसरे को भी ग्रसित करने की पूरी कोशिश करते हैं । और सिर्फ आम लोग ही नहीं बड़े-बड़े रसूखदार लोग भी इस अंधभक्ति का शिकार हैं। और कुछ तथाकथित बिजनेसमैन हमारी इसी कमजोरी का फायदा उठा रहे हैं । TV पर एक कथित देशभक्त हीरो आता है , जो मिलिट्री की कपड़े पहन कर टाइल्स को बेचता है , और कहता है कि "यह देश की बनी हुई मिट्टी की टाइल्स है"।
अब जहां पर मिलिट्री या देश की बात आती है हम तो बड़े देश भक्त बन जाते हैं। होना भी चाहिए , क्योंकि हम सच में देशभक्त हैं। लेकिन देश भक्त बनने में और देश भक्त के नाम पर बेवकूफ पढ़ने में बहुत बड़ा फर्क है । वह देश भक्त को बेवकूफ बनाकर अपने लाखों-करोड़ों बना रहे हैं , और अपने बीवी बच्चों को विदेशों में पढ़ा लिखा रहे हैं।
और हम एक बार भी यह सोचने का कष्ट नहीं करते कि क्या एक टाइल्स खरीदने से या, एक तार खरीदने, से या एक गंजी खरीदने से हमारी देशभक्ति दिख जाएगी? अगर ऐसा होता तो फिर हर कोई वही टाइल्स खरीद कर अपने आप को देशभक्त बता देता। और देश के गद्दार तो उसी टाइल्स के खान अपने यहां पर भर लेते ।
हम एक बार भी यह नहीं सोचते हैं कि हमें बेवकूफ क्यों बनाया जा रहा है? क्योंकि हम कुछ ज्यादा ही भावनाओं से जुड़े हुए हैं। और हमारी उसी भावना का फायदा ये फरेबी और मक्कार लोग उठा रहे हैं।
एक बाबा भी आए हैं , जो स्वदेशी के नाम पर 20,000 करोड़ का साम्राज्य खड़ा कर लिए हैं। भर भर कर लूट मचाये है । बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियां टर्नओवर के मामले में इनसे पीछे हैं। फिर भी वह कंपनियां सरकार को पूरी टैक्स दे रही हैं । और यह बाबा ट्रस्ट के नाम पर सारी टेक्स चोरी कर रहे हैं । और सवाल पूछने पर एंकरों को चैनल से बाहर करवा देते हैं।
हमें किस तरह से बेवकूफ बनाया जा रहा है यह जरा समझने की जरूरत है । और साथ ही हमें अपने टीवी देखने के तरीके को बदलने की जरूरत भी है। वरना टीवी देखने का तरीका ना बदलने पर ये हमें गुलाम बना देगी । हमारा दिमाग हमेशा खुराफाती चीजों को खोजता है , चाहे वह सच हो या गलत। और इसी चक्कर में हम बेवकूफ बन जाते हैं । और बेवकूफ बनने के बाद भक्त बन जाते हैं।
माफ करिएगा अंधभक्त बन जाते हैं
अंध भक्तों की जमात की पहचान बड़ी आसान है। और उससे भी आसान उन लोगों की पहचान करना है जो अंधभक्ति की शुरुआती स्टेज में है। अगर आपके पास कोई ऐसे मैसेज करता है की " रात में दुर्गा माता प्रकट हुई थी और उन्होंने कहा कि यह मैसेज 20 लोगों को फॉरवर्ड कर देना, और जिसने नहीं किया उसकी मौत हो गई । जिसने किया उसको लाखों करोड़ों रुपए का लाभ हो गया। " या आपके पास ऐसे मैसेज करें " की फ्लॉ फोन कंपनी फ्री में रिचार्ज दे रही है, फला नेता फ्री में रिचार्ज दे रहा है , फ्री में फोन मिल रहा है । "
तो समझ जाइए यह लोग भक्त बनने की श्रेणी में है । क्योंकि इनका बुद्धि विवेक सब कुछ ख़त्म हो चुका है। यह पागल हो चुके हैं। और यही निशानी है अंधभक्त बनने की शुरुआत की। जब यह अपने परिपक्वता पर पहुंच जाता है, तो सामने मिलता है एक धार्मिक उन्माद करने वाला एक नफरत का पुजारी "अंधभक्त"।
बृजेश यदुवंशी
Nice Magar ek baat Dhyan Dena koi bhi tanasha Banta hai uska itihas utha Kar dekhna pehale woh bhakt aur andh bhakt paida karta hai.desh kidhar ja Raha hai khud andaza Laga lo
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