बैंकिंग घोटाला

किसी एक बैंक की प्रमुख शाखा से किसी एक आदमीको उस बैंक के आठ, दस अधिकारियों द्वारा एक शपथपत्र मिल जाता है , और उस शपथ पत्र के माध्यम से वहआदमी अगले चार- पांच सालों में करीब करीब 21000करोड़ रुपए ले लेता है ।यह सुनने और करने में कितनाआसान रहा होगा ?  इसका  दर्द उन बैंकिंग सरकारी कर्मचारियों से पूछे जो सालों साल से रहरहे हैं काम कर रहे हैं,  लेकिन उनकी सैलरी नहीं बढ़ रहीहै । और मजा तब आता है जब  कई हजार करोड़ रुपए का चोर डाओस जैसी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर प्रधानमंत्री के डेलीगेट मेंशामिल होकर जाता है , एक बार तो सबको झटका लगाहै कि 21 हजार करोड़ का चोर नीरव मोदी प्रधानमंत्री के साथ दावोस के डेलीगेट्स में उनके साथ खड़ा होकरफोटो खिंचवा रहा है।

लेकिन जब ललित मोदी जैसे भगोड़े के लिए विदेश मंत्रीखुद दूसरे देश में स्थापित करने के लिए पत्र लिखती हैं ।

विजय माल्या रेड कॉर्नर नोटिस जारी होने के बाद भी देश छोड़कर भागने में सफल रहता है। तो वहां पर प्रधानमंत्री के साथ नीरव मोदी के फोटो जैसे चमत्कार की उम्मीद की जा सकती है। जिस आदमी के ऊपर इतने बड़े घोटाले का आरोप है वह भी प्रधानमंत्री के साथ घूमरहा है ।क्या प्रधानमंत्री के साथ रहना और उनके पास जाना इतना आसान है ? उनकी संगत पाना इतनाआसान है ?

और इस बात कि सफाई देने की जिम्मेदारी ना तोप्रधानमंत्री समझते हैं ना ही उनके मंत्रीगण समझते हैं ।अगर नीरव मोदी या ललित मोदी को छोड़ दिया जाए तो इस देश में ऐसे बहुत सारे किसान हैं जिनका ₹10000 का कर्ज बाकी है,  और उन्होंने इसके लिए आत्महत्या कर लिया या  अपनी जमीनों को बेचदिया ।

आत्महत्या करने वाले किसानों को अगर यह बात मालूम होती कि नीरव मोदी प्रधानमंत्री के साथ जा सकता है तो शायद वह भी प्रधानमंत्री के साथ जा सकते थे ।  और बड़े ही आसानी से सारे कर्ज से मुक्ति पा सकते थे।यह बात समझ से परे है कि कोई आदमी इतना बड़ा घोटाला करता है , फिर विदेश भाग जाता है,  प्रधानमंत्री के साथ रहताहै । और छोटा मोटा 10000 , 5000 का लोन लेने वाला किसान ना तो शहर से भाग पाता है , ना तो किसी मंत्रीके साथ रह पाता है ।अगर कुछ करता है तो बस यही कि फांसी लगाकर , पानी में कूद कर अपनी जान दे देता है ।

अब थोड़ा उस पर आते हैं बैंक में हुआ ।  जिसने मई 2016 में 5370 करोड़ का घाटा दिखाया था । ये बैंकिंग इतिहास का सबसे बड़ा घाटा था । पर इससे बड़ी हैरानी तब होती है जब इससे ही 4 गुना ज्यादा राशि इसी बैंक की एक ब्रांच से निकाल लियाजाता है । खैर इसके बाद बैंक के अधिकारियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और बैंक का पूरा इतिहास भूगोल बताया ,जो आजकल सभी कर रहे हैं ।

मेहता साहब ने यह तो बताया कि लोन शुरू होने कासाल 2011 था ।  लेकिन यह नहीं बताया कि लोन खत्म होने का साल कब तक था ? और यह 21000 करोड़ का गबन कब हुआ ? कुछ कर्मचारियों नेएक लेटर ऑफइंटेंट जारी कर दिया और इसी के आधार पर सारे बैंकों ने धड़ाधड़ उसको लोन दे दिया ।
यकीन मानिए अगर नीरोव मोदी कोई किसान होता तो अभी तक यह पैसे उसके हलक से खिंच कर निकाल लिए गए होते ।

यह सब बहुत पहले से देखा जा रहा था । और इसी कंपनी के पूर्व सीओ ने जब इसकी शिकायत पीएमओ से की तो पीएमओ ने ने बिना जांच के ही पत्र आगे बढ़ा दिया । और वहां से भी बिना जांच किए 2 महीने में ही केस कोबंद कर दिया गया।  यह सब बातें मई 2016 की है ।और उल्टा उन्हीं लोगों के ऊपर केस दर्ज दर्ज कर दिया गया ।एक संस्था सरकारी संस्था ने इसकी जांच की और उसने अपनी भी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया कि ‘’गीतांजलि जो कि नीरव मोदी की कंपनी है उसके खाते में संदिग्ध लेन देन है और उसकी एकाउंटिंग व्यवस्था सही नहीं है ‘’ ।इन सबके बाद भी क्या प्रधानमंत्री है वित्त मंत्री की यह जिम्मेदारी नहीं बनती है कि वह बताएं कि इतनी रिपोर्टों के बाद भी उन्होंने ऐसा एक्शन क्यों नहीं लिया जिससे नीरव मोदी या चौकसी जैसे चोर बाहर न जा सके?  फिर जब बात हुई   तो कानून मंत्री रविशंकरप्रसाद जी सामने आए और उन्होंने कहा कि ‘’छोटा मोदी’’ ना बुलाया जाए और उन्होंने यह भी कहा कि‘’अगर फोटो दिखाया जा रहा है तो उनके पास भी फोटोहै ‘’ ये वही लोग है जो रामबृक्ष को सिर्फ यादव होने की वजह से सीधे अखिलेश यादव से जोड़ देते थे, और जब आज बात खुद पे आ गयी तो सारे एथिक्स याद आने लगे ।तो हम भी उम्मीद करते हैं कि जल्दी ही फोटो कोदिखाएंगे ।

मुझे 5 नवंबर 2015 की एक घटना याद आती है जिस दिन सोने का सिक्का जारी हुआ था ।समारोह में सभीलोग थे।  और रघुराज राम राजन उस समय के गवर्नर थे। सुनिए उसमें रविशंकर प्रसाद ने किस तरह ‘’मेहुलचौकसी’’ का नाम लिया।  और फिर प्रधानमंत्री ने कैसेउन लोग का नाम लियाI यह भी सुन लीजिए क्या दोनों ही अलग-अलग मेहुल चौकशी की बातें कर रहे थे ? पर आप लोगों को इससे    मतलब नहीं है आप लोग बस ’’राम मंदिर वहीं बनेगा’’  के नारे लगाते रहिए । शायद विकास वही से आएगा, या घोटालो की पूर्ति वही से होगी।

19 जनवरी 2018 की खबर है भोपाल के व्यापारियो के यहा  सीबीआई ने छापेमारी कि,  और 27 व्यापारियोंको डिफाल्टर घोषित किया ।  उनपर 217 करोड रुपएका लोन था । आपको शायद यह भी नहीं मालूम होगाकि स्टेट बैंक को तीसरी तिमाही में 2416  करोड़ का घाटा हुआ है । 17 साल के इतिहास में पहली बार स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को इतना बड़ा घाटा हुआ । पिछले साल इसी तिमाही में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को 1820 करोड़ रुपए का लाभ हुआ ।और इस साल की तिमाही में 2416 करोड़ का घाटा हुआ । जब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने 31मार्च 2017 को समाप्त वित्तीय वर्ष की सारा हिसाब रिजर्व बैंक को सौंपा तो उसमें SBI ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को बताया कि मुनाफा 36% बढ़ा बढ़ गया है।  और एनपीए का हिस्सा 21% कम बता दिया ।क्या इतने बड़े बैंक कोई मुनाफा 100 रुपये की जगह 136 रुपये  यूं ही बता सकता है ? क्या पानी लगाकर उंगलियों से नोट गिने जा रहे थे ?  जब इतनी बड़ी गलती हुई तो क्या स्टेट बैंकऑफ इंडिया के किसी अधिकारी खिलाफ कोईकार्यवाही हुई ?  

इन सब के बाद हमें याद आते हैं हमारे प्रिय विनोद रायजी उन्होंने देश के कथित घोटाले 2जी का जो प्रकाशनकिया था । और उन्होंने उसके ऊपर एक पूरा ग्रंथ लिखाथा , एक किताब लिख डाली थी । अभी विनोद राय जीकिसी बहुत बड़े सरकारी बैंकिंग संस्था के अध्यक्ष हैं । और जानकारी में तो यहां तक है कि उनका ऑफिस रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के दिल्ली ऑफिस में है । उन्होंनेअभी तक कौन सी किताब लिखी ? कौन सा आर्टिकल लिखा है ? इस घोटाले पर अभी तक कुछ पता नहीं चला है ?  या विनोद राय जी ने अपने मुंह पर टेप मारकरबैठना ही बेहतर समझा है ?  उनसे बात करने के बाद हीपता चलेगा । क्योंकि उनसे यह भी पूछना है कि जिसघोटाले की बात उन्होंने कि 2जी घोटाला , उसके सभीआरोपी बरी हो चुके हैं और उनकी किताब भी खूब  बिकी । ये उनके मार्केटिंग के नए तरीके हैं ।जिसमें आप एक घोटाले के ऊपर पूरी किताब लिख सकते हैं। और जब आपके संस्थान में घोटाला हो तोआप छुट्टी मारकर चुपचाप बैठ सकते हैं करते रहिएसचमुच क्योंकि मेरा देश बदल रहा है ।

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