फेकाई और सिलाई
अभी देश में एक नया नवेला माहौल चला है, फेकाई और सिलाई का दौर।
थोड़ा बिस्तार से समझाता हु। गोविंदा और कदर खान की एक फ़िल्म आयी थी नसीब जिसमें गोविंदा नशे में आकर खूब लंबी-लंबी फेंकते हैं और उनके साथ में कादर खान उनके असिस्टेंट बनकर आया उनके मास्टर बनकर उनके फेकाई को रफ़ू करते हैं। और इसीलिए कादर खान को मास्टर बोलते थे उस फिल्म में।
आप सोच रहे होंगे कि मैं इस फिल्म का जिक्र यहां पर क्यों कर रहा हूं ? और उसका इस माहौल से क्या लेना-देना है ?
जय-वीरु , रंगा बिल्ला, सहवाग गंभीर , के बाद 2014 से एक और जोड़ी बहुत ज्यादा प्रसिद्ध हुई जोड़ी है शाह और साहेब की ।
अब इसमें किसका क्या काम है बिस्तार से समझाता हु,
साहेब खूब जम कर फेकते है, और उससे जो गड्ढा होता है, साहेब पीछे पीछे घूमते रहते है ,उन गड्ढो को रफू करने के लिए,
अगर अभी यह समझ में ना आया हो तो फिर मैं थोड़ा उदाहरण देकर समझाता हूं। जैसे साहब ने बोला कि नोटबंदी के बाद हर एक के अकाउंट में 1500000 रुपए आएंगे । उसके बाद इसको रफू करना भी जरूरी था, तो शाह जी सामने आए और उन्होंने कहा कि "चुनावी मौसम में ऐसे जुमले बोले जाते हैं , यह सिर्फ सिर्फ चुनावी जुमला है"
जैसे साहब ने कहा कि " पकोड़ा बेचने वाला भी रोजगार ही होता है " तो शाह जी उसे रफू करने के लिए संसद में राज्यसभा में बैठ गए । और वहां कहा कि "पकोड़ा बेचना बेरोजगार होने से ज्यादा अच्छा है "
अब मुझे समझ में आ रहा है कि अमित शाह जी को राज्यसभा में क्यों भेजा गया है ।
वह क्या है कि इसके पहले शाह जी साहब की बातों का रफू सिर्फ बाहरी कर पाते थे ।
संसद के अंदर साहिब की बातों का रफू नहीं हो पाता था । और कई बार तो भारी बेइज्जती हुई , दूसरे देश की सीमा को अपना देश का सीमा बताया गया । और कई बार इतना फेंक दिया कि उनके शब्दों को संसद की कार्यवाही से हटाना पड़ा ।
यह सब देखते हुए साहब को अपने रफू मास्टर की जरूरत संसद में भी महसूस हुई , और उसके बाद ही शाह जी को राज्यसभा में भेजा गया था कि अब सड़क से लेकर संसद तक हर जगह साहेब की बातों को शाहजी रफू कर सकें।
वरना पिछले 4 सालों से जो लपडझंडूस चक्र इन लोगो ने चला रखा है, वो चक्र से लोग बाहर हो जाएंगे, और अपने असली मुद्दे पे आ जाएंगे।
तो फिर दिक्कत हो जाएगी, तो किसी न किसी तरह जानता को देश को ब्यस्त रखना है।
वैसे ये शूरूआत से थोड़ा आगे तक चला आया है, लेकिन यकीन मानिए अभी बचे हुए एक साल में इतनी फेकाई और सिलाई होगी कि आप गोबिंदा और कादर खान को भूल जाएंगे, और आपके सामने नए राजनीतिक गोविंदा साहेब और कादर खान शाह आएंगे ।
ये अपमान है देश के शिक्षित वर्ग का, जो दिन रात एक करके , जी तोड़ मेहनत करके, कोई जमीन बेच कर, कोई माँ के गहने बेच कर , अपनी पढ़ाई पूरी करता है, और आप संसद में बैठ कर उसे पकोड़ा तलने की सलाह देते है। आपको थोड़ी भी शर्म नही आई ?
क्या आपके बेटे ने 50 हजार का 80 करोड़ पकोड़ा बेच कर ही बनाया है ?
खैर मेरा आपसे प्रश्न पूछना ही मेरे समय की बर्बादी है ।
प्रश्न उनसे पूछा जाता है, जो विरोध में विश्वास रखता हो। जो लोकतंत्र का रक्षक हो।
लोकतंत्र के भक्षकों से सवाल जवाब करना गधे को डिप्लोमा की पढ़ाई कराने जितना ही कठिन होता है। सिर्फ मैं ही सही हु वाली भावना देश को गर्त में ले जा रही है, और कई बार वैष्विक मंच पर देश का मज़ाक भी बनाती है। जैसे तक्षशिला विश्वविद्यालय बिहार में था, या जैसे भारत के 600 करोड़ लोगों ने वोट देकर मुझे चुना है, या फिर जैसे केरल में 7 लाख गांव गई, इत्यादि इत्यादि।
अब ये कुछ ऐसी फेकाई है जिनकी सिलाई शाह मास्टर के बस की बात नही। ऐसे मामलों में शाह जी अपना फीता आपने मुह पे बांध लेते है ।
और जहा देखते है कि सिलाई संभव है वह निकल पड़ते है अपना लाव लश्कर लेकर ।
करते रहिए, शायद इसी तरह आपके वाले भारत की खोज हो जाये, और आप उसमे जीने चले जाएं। सिर्फ आप जायेगा अपने भक्तों के साथ,वह पे शायद आपको सिलाई के लिए ज्यादा लम्बे लम्बे धागे मिल जाये, या फिर सिलाई की जरूरत ही न हो। हम सभी अपने पुराने वाले भारत मे ही बहुत खुश है।
जय हिन्द
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