जो मेरा अपना है

जो मेरा  अपना  लगता है  उसे ये पराया कहते है,
दुनिया वाले हमसे अक्सर फरेब निभाया करते है।

ये हवा जरा संभल संभल के चलना तू मेरे गाँव में,
घास फूसों से बने मकान का हम किराया भरते है।

किसी दिन सबसे बहाना बनाकर  चली भी आना,
हम अक्सर अपने ख्वाबो में तुम्हे बुलाया करते है।

यूँ कसमे देकर मुझको, मेरा इम्तेहान न लेना तुम,
हमने जो भी  वादा किया  उसे  निभाया  करते है।

जब भी जी चाहे  आकर मेरे आंगन से चुन  लेना,
हम यहाँ फूल बस तुम्हारे लिए ही लगाया करते है।




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