तेरी मेरी कहानी का

तेरी मेरी कहानी का यही अंजाम होना था
मुझे बर्बाद होना था तुझे गुमनाम होना था
लाख कह ले जमाना पर थी खबर मुझको
तेरा मेरा ये किस्सा भी  सरेआम होना था

फलक से टूट के गिरता हुआ एक तारा हूँ
थाम लो मुझकी आके मैं भी तो तुम्हारा हूँ
कहे किससे सुने किससे,है कश्मकश कैसी
सुलझा दो उसे आके मैं जिस उलझन का मारा हूँ


कोई दरिया कोई सागर भी ये कर नही सकता,
प्यासे मेरे दिल की आस ये भी भर नही सकता।
तुम्हारे पास होने की बस इतनी सी है ये मुश्किल,
तेरे संग जी नही सकता बिना तेरे मर नही सकता।

कई किस्से जवानी के यूँ  पीछे छूट जाते है
कई पत्थर भी शीशे से लड़ कर टूट जाते है
बड़ी कश्मकश है ये मेरे साथ मेरे अल्लाह,जो
गैरो को मानता हूँ तो मेरे अपने रूठ जाते है


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