तूफान ले आओ
थोड़ा सुकून और ढेर सारी बर्बादी का अरमान ले आओ
शाम है,शाकी है,रिन्द है, बस पीने का सामान ले आओ
ये चंद कागज क्या लिखेंगे हमारी मयकशी के अफ़साने
जो हमारे किस्से लिखने हो तो सारा आसमान ले आओ
इन ऊंची ऊंची हवेलियों में जाने से भी दम घुटता है मेरा
मुझे सुकून से पीना है, मेरा वही पुराना मकान ले आओ
आंखों में रौब और चेहरे पर फिर वही गुमान ले आओ
रिन्दों की महफ़िल में बैठने,कुर्सियां नही मचान ले लाओ
ये तो दिल्लगी का मामला है होशियारों से नही सुलझेगा
जाओ मीर तकी या ग़ालिब सा कोई नादान ले आओ
ये प्यादों और सीपहसालारो से काम नही चलना तुम्हारा
जो मुझसे टकराना है तो जाओ इनका कप्तान ले आओ
जो जो तूने मुझसे छीना, मेरा वो सारा सामान ले आओ
मेरे बचपन का वो आंगन बरामदा और दालान ले आओ
जाम पीकर खामोश निकल जाना ये कोई की बात नही
जो सच्चे रिन्द हो तो एक जाम पर सौ तूफान ले आओ
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