इसी मिट्टी से आया हूँ बस इसी का होके रहना चाहता हूँ
खुदा अगर पूछे तो उससे यही ख्वाहिश कहना चाहता हूँ
इसी मिट्टी से आया हूँ बस इसी का होके रहना चाहता हूँ
चाहत मेरी ये नही की बुलंदी भरे नारो में बोला जाऊँ
मुझे लालच नही की मैं गुलाबो की खुशबू में घोला जाऊँ
मैं तो हवा बन कर यहाँ के खेतों में बस बहना चाहता हूँ
इसी मिट्टी से आया हूँ बस इसी का होके रहना चाहता हूँ
कभी महबूब के कंगन में आके बस खनखना चाहता हूँ
कभी किसी माई के आंचल में सोके सिमटना चाहता हूँ
तो कभी किसी बहना की राखी में बस बंधना चाहता हूँ
इसी मिट्टी से आया हूँ बस इसी का होके रहना चाहता हूँ
शहीदों के शहादत वाली फेरहिस्त में मेरा भी नाम आये
उस मौत से लहू का कतरा कतरा मिट्टी के काम आये
मैं तो बस ऐसी ही किसी मौत के हाथों मरना चाहता हूँ
इसी मिट्टी से आया हूँ बस इसी का होके रहना चाहता हूँ
चाहत नही की महबूबा के कंगने की खनक सा खनकू
मुझे जरूरत नही सूरज की रोशनी सा जहाँ में चमकू
मैं तो शहादत के इत्र वाली खुशबू से महकना चाहता हूँ
इसी मिट्टी से आया हूँ बस इसी का होके रहना चाहता हूँ
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