पैगाम आया है
खामोश थे जो अब तक उनकी जुबान पर नाम आया है
बड़े दिनों बाद मुश्किलों का मेरे नाम एक पैगाम आया है
ये छोटी मोटी आंधियो से लड़कर जी नही भरता हमारा
मेरा भी मकान वहां बनाओ जहां कोई तूफान आया है
इन किताबो के एक एक हर्फ़ पर सौ सौ राते जलाई मैंने
तब जाकर मुकम्मल सुखनवर बनने का मुकाम पाया है
अभी तक हम ही मशहूर थे इश्क़ में बीमार होने खतिर
पर लगता है अब तुम्हे भी थोड़ा थोड़ा जुकाम आया है
खुदा का शुक्र है जो आपके लबो पे मेरा नामा आया है
मुकम्मल हुआ इश्क़ हमारा जो आज ये अंजाम पाया है
बादशाह मेरा तुगलकी है फिर भी रुतबा पूरा कायम है
उसका भी सही है उसने भी गूंगा बहरा आवाम पाया है
बड़े कसीदे पढ़े जा रहे थे साहेब के चारणों की सभा मे
किसी रविश ने चुपके से कहा चुपकरो बेईमान आया है
सिफारिश नाराजगी इल्तेजा जो समझ आया सब किया
हमारी शख्सियत में तभी शोहरत का ये गुमान आया है
जिसने सारे जहाँ का नाम अपनी सनक में बदल डाला
अपनी पहचान जताने आज वो खुद बेनाम आया है
कभी राधा ने आंशू बहाकर कान्हा को दिल में बसाया
तो कभी माँ मीरा ने भी जहर पी कर घनश्याम पाया है
जिसको जंग लगा समझके फेक दिया था मैंने कबका
आज वही खंजर दुश्मनो को भगाने के काम आया है
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