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Showing posts from November, 2020

सुदर्शन

आग

वाह जज साहब वाह। "अगर आपको इनके चैनल पर प्रसारित किए जाने वाला कंटेंट पसंद नही है तो आप इनका चैनल मत देखिए" ये वाक्य जस्टिस चंद्रचूड़ ने अर्णब की जमानत पर सुनवाई करते हुए कहा।तो इस आधार पर कुणाल कामरा पर केस का कोई औचित्य नही है। क्योंकि "माननीय" कोर्ट को उनका ट्वीट पसंद नही तो न्यायालय को ट्वीटर नही देखना चाहिए। कम से कम जस्टिस चंद्रचूड़ और उनकी बेंच के मुताबिक तो यही होना चाहिये।और अगर अर्णब बोलने की आज़ादी से 2 महीने तक एक लड़की को दिन रात देश के सामने सवालों।के घेरे में रखता है तो मैं भी उसी आज़ादी के माध्यम से ये सवाल पूछता हूँ कि क्या कोर्ट और के नाम ले आगे "माननीय" लगाना अनिवार्य है? कोर्ट के फैसले पर सवाल क्यों नही उठाया जा सकता है ? वो भी तो मेरी अभिव्यक्ति की आज़ादी है। और हमे वो तब, जब "अतिमाननीय" जज साहब "उधारी" की हार्ले डेविसन पर घूमते दिखे थे।

निशानी

ख्वाबो का माहताब