उम्मीद
बहाने मैंने खोज डाले खुद को जंग जिताने के
मकान मैंने सारे तोड़ डाले शिकस्त के ठिकानो के
मुस्किलो की राह मोड़ ,अड़ कर सामने आया हूँ
पर्वतो की ऊँचाई छोड़, अब उसे थामने आया हूँ।
ऊँचाई से भी ऊंचा अपने हौसलो का मकान होगा
ख्वाब की इस मंडी में अपने सपनो का दुकान होगा
लड़ के मैं इस जहाँ से आया तभी तो खुद खड़ा हूँ
पड़ के सामने मैं निभा पाया तभी तो खुद बढ़ा हूँ।
घिसते घिसते तकदीर को कोहिनूर सा गढ़ा हूँ।
अंधेरी उम्मीदों भरे संसार में एक चमक सा पड़ा हूँ।
जीत के सारे दरवाजे अब मेरी राहो में है खुले हुए ।
कलंक सारे नाकामियो के माथे से अब है धुले हुए।
इंतेज़ार कर रही किस्मत ख्वाबो के शोहरत की
डर नही अब हार की बदनामी भरे तोहमत की
मंजिल खड़ी है मुसीबतो के लिए कटार लिये
खुद बढ़ आगे आयी है जीत का श्रृंगार लिए।
राह भी अब खुद मेरे मुकाम की तरफ चली है।
खिल रही मुस्कुराती एक अब उम्मीद की कली है।
तोड़ आया ताले सारे खुशियो के आलीशान मकानों के
बहाने मैंने खोज डाले खुद को जंग जिताने के
मकान मैंने सारे तोड़ डाले शिकस्त के ठिकानो के
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