गंगा साफ करने का सबसे बेहतरीन फॉमूला मेरे पास है। या तो गंगा की धारा मोड़ कर भाजपा दिल्ली आफिस से निकालो ये तो गंगा के रास्ते मे दो तीन जगह बीजेपी का आफिस बनवा दिया जाए। मैली गंगा पक्का साफ हो जाएगी। क्योकि बीजेपी में जाने के बाद बड़े बड़े आतंकवादी, हत्यारो, भ्रस्टाचारियो, उठाईगीरों का गंदा दामन साफ हो गया और वो "ईमानदार" "देशभक्त" और शरीफ हो गए। और इतने साफ की अब आकर सीधे शहीदों को देश द्रोही होने का सर्टिफिकेट बांट रहे है। अब इतने गंदे लोग भाजपा में जाकर  " साफ" हो सकते है तो फिर गंगा क्यों नही ???


देश के सारे बेईमानो ,देशद्रोहियो , हत्यारो, बलात्कारियो की के बचने की सिर्फ एक जगह है । और वो है वो पार्टी जो लोगो को देशभक्ति का सर्टिफिकेट बंटाती है। क्योंकि इस पार्टी में जाने के बाद शायद बेईमान हरिश्चन्द्र से भी ज्यादा ईमानदार बन जाता है। देशद्रोही इस पार्टी में जाने के बाद भगत सिंह और कलाम से भी बढ़ा वाला देशभक्त बन जाता है। हत्यारे इस पार्टी में जाने के बाद महात्मा बुद्ध और महात्मा गांधी से बढ़े वाले अहिंसा के उपासक बन जाते ही। और बलात्कारी तो इसमें जाने के बाद सन्यासी और कन्याउपसक बन जाते है।
मातृभूमि के लिए शहीद होने वाले व्यक्ति पर उसके फ़र्ज़ को लेकर प्रश्न खड़ा किया जाता है। और ये प्रश्न खड़ा करने वाली प्रज्ञा खुद आतंक फैलाने और हत्या के केस में नौ साल बाद जेल से ब्रेस्ट कैंसर के नाम पर जमानत पर रिहा है। हेमंत करकरे ने अपनी देशभक्ति और फ़र्ज़ के प्रति ईमानदारी सर्वोच्च बलिदान देकर और अशोक चक्र प्राप्त करके सिद्ध किया। वही दूसरी ओर कथित साध्वी अब चुनाव में उतरी है और शहीद पर अनाप सनाप आरोप लगा रही है। और अपने को सही सिद्ध करने के लिए अशोक चक्र विजेता शहीद हेमंत करकरे को " देशद्रोही" और "धर्मद्रोही"  बताने लगी।
इतिहास गवाह है कि जब जब  ढोंगियों पापियों और आतंकवादियो को अपनी पोल खुलती नज़र आती है तब तब ये सारे ढोंगी "राष्ट्रवाद" और "कट्टर धर्म" का कार्ड खेल देते है। ताकि जनता इनकी असलियत न जान सके। और अभी एक शहीद जवान को देशद्रोही बोलने वाली खुद एक आतंकवादी होने का आरोप लेकर बैठी है और उस केस में 9 साल जेल में रहकर बीमारी के नाम पर जमानत पर आई है।
गजब की न्याय व्यवस्था चल रही है भाई।हिंसा फैलाने के आरोपी हार्दिक पटेल चुनाव नही लड़ सकते।लेकिन आतंकवाद के आरोप में 9 साल जेल काट कर जमानत पर रिहा प्रज्ञा ठाकुर चुनाव लड़ सकती है। बुरी तरह से जेल में बीमार लालू यादव जब सारी मेडिकल रिपोर्ट दिखाकर जमानत मांगते है तो जज महोदय कहते है कि " आप बाहर जाएंगे तो राजनीति करेंगे "। और यह कह कर उनको जमानत नही देते। वही न्याय व्यवस्था आतंक और मकोका कर आरोपी को जमानत दे देती है और वो आकर खुले आम चुनाव लड़ने का एलान कर देती है। धन्य हो बड़की अदालत।  चरण कहा है तुम्हारे ?
वैसे कुछ साल पहले जाए तो एक बार सांसद में आतंकी हथियार लेकर घुसने की कोसिस कर रहे थे। आज फिर वही इतिहास दोहराया जा रहा है । जब फिर से कुछ आतंकी वापस संसद में घुसने की कोसिस कर रहे है। फर्क बस इतना है कि पहले वाले आतंकी हथियार लेकर घुसे थे। अब वाले आतंकी कथित देशभक्त पार्टी का "टिकट" लेकर उसी खतरनाक आतंकी इरादे के साथ संसद में घुसने की कर रहे है।
और ऐसा इस लिए हो रहा है क्योकि "देशभक्त" पार्टी ने न जाने कितनों को ऐसे पार कर दिया है। और इनकी इस सफाई का आलम ये रहा कि कल तक यह दूसरी पार्टी के जिन नेताओं पर भ्रष्टाचारी होने का और बीमार होने का आरोप लगाते थे उन नेताओं को त्रिपाठी छोड़ते ही अपनी पार्टी में शामिल करा कर उन्हें ईमानदार का सर्टिफिकेट दे दिया।
उन्नाव रेप केस और कठुआ रेप केस यह दोनों एक ऐसे उदाहरण हैं जिसमें यह साफ-साफ दिखा कि किस तरह से भारतीय जनता पार्टी ने इन दोनों रेप के आरोपियों को बचाने की भरपूर कोशिश की सिर्फ इसलिए क्योंकि रेप के आरोपी इनके पार्टी से संबंधित थे जहां कुल विधायक कुलदीप सिंह सिंगर ने चुनाव में बलात्कार करके पीड़िता  के बाप को मरवा दिया ।वहीं पर कठुआ में आसिफा का बलात्कार करने वालों को बचाने के लिए तत्कालीन जम्मू कश्मीर सरकार के दो मंत्री रैली और जन सभाएं करते हैं ।और पुलिस पर ,प्रशासन पर पूरा दबाव देकर इस रेप को एक घटना में बदलने की कोशिश करते हैं।
दूसरे को धर्म और सत्य अहिंसा इमानदारी की पाठ पढ़ाने वाली भारतीय जनता पार्टी पिछले 5 सालों में खुद में ही ना जाने कितने बेईमानों, कितने भ्रष्टाचारियों, कितने बलात्कारियों को शामिल करके पवित्र कर चुकी है । और हर बार सिर्फ वही पुराना राग धर्म और राष्ट्र भक्ति।  क्योंकि किसी और तरीके से यह खुद को सही साबित नहीं कर सकते ।और यह जिन मुद्दों से खुद को साबित तो नहीं कर पाते, बार-बार राष्ट्र और धर्म बोलकर अपने आने वाले सवालों से और अपनी काली करतूतों को पाने में कामयाब हो जरूर जाते हैं।
गंगा साफ करने का सबसे बेहतरीन फॉमूला मेरे पास है। या तो गंगा की धारा मोड़ कर भाजपा दिल्ली आफिस से निकालो ये तो गंगा के रास्ते मे दो तीन जगह बीजेपी का आफिस बनवा दिया जाए। मैली गंगा पक्का साफ हो जाएगी। क्योकि बीजेपी में जाने के बाद बड़े बड़े आतंकवादी, हत्यारो, भ्रस्टाचारियो, उठाईगीरों का गंदा दामन साफ हो गया और वो "ईमानदार" "देशभक्त" और शरीफ हो गए। और इतने साफ की अब आकर सीधे शहीदों को देश द्रोही होने का सर्टिफिकेट बांट रहे है। अब इतने गंदे लोग भाजपा में जाकर  " साफ" हो सकते है तो फिर गंगा क्यों नही ???
अभी हाल फिलहाल ही भाजपा नामक वैतरणी में डुबकी मार मार कर आरोपी आतंकी से महान संत और सात्विक राजनेता में कन्वर्ट होने वाली साध्वी प्रज्ञा की ही बात कर लेते हैं । वही साध्वी प्रज्ञा जो सिर्फ अपने श्राप से ना जाने कितने लोगों को मरवा चुकी है , ऐसा उनका खुद का कहना है।  उन्होने ये स्पष्ट रूप से कहा की "मैंने हेमंत करकरे को "सर्वनाश" होने का श्राप दिया और उसकी ठीक सवा महीनों के बाद हेमंत करकरे मुम्बई हमले में मारा गया।"
वैसे जितनी श्रापऔर इन सब के बारे में मेरी जानकारी है।  उसके हिसाब से मैं यही जानता हूं कि जब भी कोई पवित्र आत्मा जो की साध्वी प्रज्ञा खुद को मानती हैं,  श्राप देती है तो उस श्राप को पूरा करने का काम भगवान का होता है।  और उस श्राप को पूरा करने के लिए भगवान अपने दूत बेचते हैं। जो। ताकि उस दूत के माध्यम से पवित्र संत द्वारा दिए गए श्राप से , श्रापित पापी व्यक्ति को , श्राप के अनुसार सजा देकर धर्म की रक्षा करें।  सजा देने वाले दूत खुद एक पवित्र आत्मा होते है।
अब मुझे जरा इनके इन भाषणों का मतलब समझने दीजिए ।  क्या शादी प्रज्ञा यह कहना चाहती हैं ,कि हेमंत करकरे पापी थे  ? हालांकि उन्होंने कहा भी कि हेमंत करकरे देशद्रोही और धर्म द्रोही है अब देशद्रोही और धर्म द्रोही तो पापी ही होता है अब दूसरी बात साध्वी प्रज्ञा के अनुसार उनके सर आप लगने के कारण ही हेमंत करकरे मरे और आतंक वादियों की गोली से मरे तो शादी प्रज्ञा क्या यह कहना चाहती है कि आतंकवादियों को भगवान ने भेजा था ,हेमंत करकरे को मारने के लिए ?
क्या वह आतंकवादी आतंकवादी ना हो करके भगवान के भेजे हुए थे, जो हेमंत करकरे को सजा देने आए थे ? क्या साध्वी प्रज्ञा आतंकवादियों को भगवान का भेजा हुआ दूत मान रही है ? अगर यह बात सच है तो फिर शादी प्रज्ञा भगवान किसको मानती हैं , हाफिज सईद को या पाकिस्तान को ? 
क्या साध्वी आतंकवादियो को भगवान का भेजा हुआ दूत मानती है ?
क्या ऐसा नहीं हो सकता कि हेमंत करकरे और मुंबई एटीएस की टीम से बदला लेने के लिए ही 26/11 के हमले कराये गए हो ??क्योंकि जब भगवान आतंकी हफीज है , और भगवान के भेजे हुए दूध आतंकी कसाब और उसके साथी हैं,  तब तो यह मुमकिन है और बदले की भावना में  ऐसे  " भगवान का सहारा लिया गया हो " ??  यह बदले की भावना में इतने जले कि इन्होंने इसआग में 270 मासूमों को झोक दिया।
इस हमले ने  देश के ना जाने कितने लोगों की आत्मा तक को हिला कर रख दिया था।  देश के वीर जवानों को अपनी जान इस बदले की आग में जलानी पड़ी।  हमारे वो जवान इतने वीर और बहादुर थे कि  उन्होंने ना जाने कितने धर्म का चोला ओढ़े हुए आतंक वादियों और नक्सलवादियों को मार मार कर उनकी असली औकात दिखाई।  और उनको जेल में पहुँचा कर देश के सामने उनकी काली सच्चाई लाई। इन सब से बड़ा वो सिपाही देश की दुश्मनो से लड़ते हुए अपनी देशभक्ति और फ़र्ज़ के प्रति ईमानदारी को अपना सर्वोच्च बलिदान देकर सिद्ध कर दिया।
वैसे यह बात एक बार जाना बेहद जरूरी है कि कशिश साध्वी प्रज्ञा ने अशोक चक्र विजेता अमर शहीद हेमंत करकरे के खिलाफ अपने भाषण में क्या क्या जहर उगला है और किस स्तर पर अपनी मर्यादा को गिराई है । साध्वी ने कहा " मुझसे पूछताछ करने के लिए हेमंत करकरे को मुंबई बुलाया गया था। मैं उस समय मुंबई जेल में बंद थी। हेमंत करकरे से कहा गया था कि अगर सबूत नहीं है तो साध्वी को छोड़ दो।वो व्यक्ति कहता था कि मैं सबूत लेकर आऊंगा और इस साध्वी को नहीं छोड़ूंगा।ये उसकी कुटिलता थी, ये देशद्रोह था, ये धर्मविरुद्ध था। वो मुझसे प्रश्न करता था
ऐसा क्यों हुआ, वैसा क्यों हुआ तो मैं कह देती थी कि मुझे क्या पता भगवान जानें। 'तो क्या ये सब जानने के लिए मुझे भगवान के पास जाना पड़ेगा,' मैंने कह दिया अगर आपको ज़रूरत हो तो आप अवश्य जाइये । मुझे इतनी यातनाएं दीं। इतनी गालियां दी. ये मेरे लिए असहनीय था। मैंने कहा "तेरा सर्वनाश होगा "और ठीक सवा महीने में, सूतक लगता है, जब किसी के यहां मृत्यु या जन्म होता है तो सूतक लगता है।जिस दिन मैं गई थी उस दिन इसके सूतक लग गया था और ठीक सवा महीने में जिस दिन उसे आतंकवादियों ने मारा उस सूतक का अंत हो गया।"
भगवान राम के काल में रावण हुआ तो सन्यासियों के द्वारा उसका अंत करवाया गया।जब द्वापर युग में कंस हुआ तो सन्यासी पुनः आए और उसका अंत करवाया। जिन संतों सन्यासियों को उसने जेल में डाल रखा था उनका श्राप लगा और कंस का अंत हुआ।2008 में ये षड़यंत्र देशविरुद्ध रचा गया और सन्यासियों को अंदर डाला गया उस दिन मैंने कहा इस शासन का अंत हो जाएगा, सर्वनाश हो जाएगा और आज ये प्रत्यक्ष उदाहरण आपके सामने हैं
ऊपर वाला बयान साध्वी प्रज्ञा ने अपने जहर भरे शब्दों और अपने खमंड को दिखाते हुए दिया। इस पर ना तो कथित देशभक्त कुछ बोलने की हिम्मत जुटा सके और ना ही दिन रात राष्ट्रवाद के नाम पर अपनी दुकान चलाकर भाट गिरी करने वाले दोगले पत्रकार कुछ बोले । साध्वी प्रज्ञा के इस बयान पर इन पत्रकारों को जैसे कहीं से यह पता चल गया हो कि इनके नाना आतंकवादी रहे हैं।  दोगले पत्रकारो ने  इस बयान पर ना तो एक भी डिबेट बैठाई नाही एक भी एसएमएस या हैशटैग कंपटीशन चलाया । मीडिया का यही दोगलापन आज उसके गिरते हुए स्तर और खत्म हो चुकी विश्वसनीयता का सबसे बड़ा वजह है।
कुछ कथित देशभक्त पत्रकार जो कि भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के लिए टीवी पर दिन रात हिंदू मुस्लिम और भारत पाकिस्तान चिल्लाते रहते हैं। वह कथित दोगले पत्रकार भी एकदम चुप्पी मारे बैठे रहे । और अन्य खबरों को प्राथमिकता के तौर पर दिखा कर प्रज्ञा के इस बयान को छुपाने की कोशिश करने लगे। राष्ट्रभक्ति के नाम पर अपनी दुकान के बड़े-बड़े प्रोडक्ट बेचने वाला और चिल्ला चिल्ला कर कानों में दर्द पैदा करने वाला अर्णब गोश्वामी। एनालिसिस कर तिहाड़ की हवा खाकर आने वाला चौधरी और खुद के नाम में मोदी जोड़कर बताने वाली पत्रकार मैडम सब इस मामले पर खामोश थी ।किसी ने बोलने की जहमत नहीं उठाई । सिर्फ प्रज्ञा ही नहीं जितने भी भ्रष्टाचारी हत्यारे और इस तरह के लोग भारतीय जनता में पार्टी में शामिल हुए तब भी इन पत्रकारों ने इस पर कोई भी सवाल नहीं उठाया।
ये सारा मामला तब शुरू हुआ जब  , महाराष्ट्र के मालेगांव में अंजुमन चौक और भीकू चौक के बीच शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट के सामने 29 सितंबर 2008 की रात 9.35 बजे बम धमाका हुआ । जिसमें छह लोग मारे गए और 101 लोग घायल हुए थे।इस धमाके में एक मोटरसाइकिल इस्तेमाल की गई थी। एनआईए की रिपोर्ट के मुताबिक़ यह मोटर साइकिल प्रज्ञा ठाकुर के नाम पर थी।महाराष्ट्र एटीएस ने हेमंत करकरे के नेतृत्व में इसकी जांच की और इस नतीजे पर पहुँची कि उस मोटरसाइकिल के तार गुजरात के सूरत और अंत में प्रज्ञा ठाकुर से जुड़े थे। तभी से प्रज्ञा को जेल में रखा गया था।
प्रज्ञा के इस बयान पर सिर्फ  आईऐएस एसोसिएशन ने एक ट्वीट करके विरोध जताया ।चिड़िया सुबह बीट करती है , आईएएस एसोसिएशन विरोध में ट्वीट करते हैं । उन्होंने लिखा "अशोक चक्र विजेता दिवंगत हेमंत करकरे ने आतंकवादियों से लड़ते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। हम एक उम्मीदवार के उनका  अपमान करने वाले बयान की निंदा करते हैं और मांग करते हैं कि हमारे सभी शहीदों के बलिदान का सम्मान होना चाहिए।" 
इसके अलावा आईएएस एसोसिएशन ने कहीं कोई विरोध दर्ज नहीं कराया। ये बिल्कुल वहीं आईएएस एसोसिएशन है , जिसने दिल्ली में सचिव के साथ एक कथित मारपीट जो कि आज तक साबित नहीं हो पाई उसके विरोध में दिल्ली सरकार को सपोर्ट देने से मना कर दिया । और खुद कोर्ट में चली गई ।और वहां जाकर बोला कि हमारे अधिकारी सुरक्षित नहीं है ।अब वही आईएएस एसोसिएशन सिर्फ एक ट्वीट करके एक छोटी सी बात कहती है । और एसोसिएशन में अब इतनी हिम्मत नहीं रह गई है कि वह प्रज्ञा के बयानों का मुखर तरीके से विरोध कर सकें। नाम लेकर भारतीय जनता पार्टी इसके लिए ब्लेम लगा सके। और इसके खिलाफ कोर्ट में जा सके।जैसा कि इन्होंने दिल्ली में आम आदमी पार्टी के खिलाफ़ किया।  अब एसोसिएशन चुप हैं। क्योंकि अब बात खुद भारतीय जनता पार्टी और उनके द्वारा के कैंडिडेट पर आ चुकी है।
अपनी मोटरसाईकिल में आरडीएक्स बाँध कर धमाका करवा देने वाली साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने कम से कम 40 लोगों की हत्या कराई ।और कोई 125 लोगों को घायल कर दिया। अब वही साध्वी प्रज्ञा दावा कर रही हैं कि उन्होंने शहीद हेमंत करकरे को श्राप दिया था ,कि वह बर्बाद और तबाह हो जाए और हेमंत करकरे शहीद हो गये।
साध्वी के बयान को यदि सच माना जाए तो उस दैवीय शक्ति के श्राप की महिमा देखिए कि वह सीधे पाकिस्तान बैठे मुसलमान आतंकी हाफिज़ सईद में घुस गयी , और फिर उसी शक्ति ने हाफिज सईद के ज़रिये अजमल कसाब जैसे कई आतंकी पैदा कराए , मुंबई पर आतंकी हमला कराया और हेमंत करके समेत 250 से अधिक लोगों की जान ले ली।
इसका अर्थ हुआ कि मुंबई आतंकी हमले का मुख्य आरोपी हाफिज सईद या अजमल कसाब ना होकर साध्वी प्रज्ञा और उसका श्राप है।सरकार तो फालतू का अजमल कसाब को लटका चुकी है और हाफिज सईद को लेकर पाकिस्तान से संबन्ध खराब कर चुकी है।लटकाना तो इस साध्वी को चाहिए जिसने श्राप की अपनी दैवीय शक्ति से मुंबई पर हमला करवाया और हेमंत करकरे शहीद हो गये।
साध्वी जी को अब देखकर लगता है कि जेल के बाहर आकर वह हट्ठी कट्ठी हो गयी हैं , जेल के अंदर वह स्तन कैन्सर से पीड़ित थीं और मरियल फोटो दिखाकर देश से सहानुभूति प्राप्त कर रही थीं और इसी अधार पर अदालत से ज़मानत प्राप्त कर अब चुनाव लड़ रही हैं।साध्वी लोग झूठ नहीं बोलते , अब उनके स्तन का क्या हाल है नहीं पता पर उनके बयान बता रहे हैं कि कैन्सर उनके स्तन में नहीं बल्कि उनकी सोच और विचार में है।
खैर फ़र्ज़ी साध्वी के इस बयान से करकरे परिवार को बेहद दुख हुआ । हेमंत करकरे की पत्नी के भाई किरन करकरे ने कहा "मैं कविता करकरे का छोटा भाई हूं। मैं उनका सगा भाई हूं। मेरी बहन मुझसे तीन साल बड़ी थी। बहन के परिवार से मेरे बहुत अच्छे रिश्ते रहे हैं। मैं हेमंत को बहुत क़रीब से जानता हूं। प्रज्ञा ठाकुर के कहने से क्या होता है?  जो कुछ भी वो कह रही हैं वो पूरी तरह ग़लत है।मैं ख़ुद भी बीजेपी का समर्थक हूं लेकिन प्रज्ञा ठाकुर को टिकट मिलने के बाद मेरे मन में सवाल है कि अगर पार्टी वाक़ई शहीदों का सम्मान करती है तो फिर ऐसे शख़्स को टिकट देने का फ़ैसला क्यों? और बीजेपी क्यों खुलकर प्रज्ञा के बयान का विरोध नहीं कर रही है?"
पहली बात तो ये कि मैं श्राप जैसी बातों में यक़ीन नहीं करता। कोई भी पढ़ा-लिखा और समझदार व्यक्ति ऐसा नहीं करेगा। सब जानते हैं कि हेमंत करकरे मुंबई हमलों में शहीद हुए थे।  आज उनके तीनों बच्चे अच्छे पदों पर हैं, उन्होंने अच्छी पढ़ाई की है  उनकी दोनों बेटियों की शादी हो गई है और वो अपनी ज़िंदगी में ख़ुश हैं। उनका बेटा भी अच्छी तरह सेटल है। अगर प्रज्ञा ठाकुर का श्राप इतना ही प्रभावी होता तो ये सब कैसे होता?हेमंत करकरे ने पुलिस विभाग और एटीएस में काम करते हुए बेहतरीन सर्विस दी है। उन्हें ढेरों मेडल भी मिले हैं. आईजी लेवल पर उनकी तारीफ़ें हुईं हैं। वो रॉ (खुफ़िया एजेंसी) में भी रहे हैं। एकेडमिक करियर में भी वो बहुत इंटेलिजेंट थे।
उनके जैसा पुलिस ऑफ़िसर हो ही नहीं सकता। सुशिक्षित और शालीन। हम सबको उन पर बहुत गर्व है। लाखों जनम में एक ही ऐसा आदमी पैदा होता है और वो है शहीद श्री हेमंत करकरे। मैं उनके बारे में बस इतना ही कहूंगा। जब मेरी बहन और हेमंत की शादी हुई तब वो हिंदुस्तान यूनिलीवर में बहुत अच्छे पद पर थे। शादी के बाद उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में कामयाबी पाई और भारतीय पुलिस सेवा ज्वाइन की। हेमंत के काम को देखकर मेरी बहन हमेशा चिंता में रहती थी लेकिन वो बहुत बहादुर भी थी। उसने कभी उनके ऑफ़िस के काम में दखल नहीं दिया। इन सबके बावजूद मैं प्रज्ञा को कोई बद-दुआ नहीं दूंगा। उनकी भी अपनी ज़िंदगी है लेकिन उन्हें हेमंत के बारे में ऐसी बात नहीं कहनी चाहिए थी"।
किरन करकरे जी का ये बयान उनकी श्रेष्ठता और उनकी शहीद के प्रति सम्मान को दिखाती है। लेकिन ये सोचने वाली बात अब हम लोगो के लिए है क्या हमें ऐसे आतंकवाद के आरोपी और शहीदों का अपमान करने वाली को वोट देना है ? वोट छोड़िये क्या ऐसी प्रत्याशी चुनाव लड़ने के भी लायक है ? अपनी खरीदी हुई बाइक में बम रख कर ब्लास्ट कराने की आरोपी आज के वतन पर शहीद होने वाले व्यक्ति की कर्तव्यपरायणता और देशभक्ति पर सवाल उठा रही है।
और कह रही है कि उसके श्राप देने से उस देशभक्त की मौत हुई । अगर ऐसा ही है तो कथित साध्वी प्रज्ञा चुनाव क्यो लड़ने जा रही है ? अगर उन्हें नेता या सांसद बन कर अपनी राजनीति चमकानी है तो वो दिग्विजय सिंह को श्राप देकर उनको मार दे । उसके मुकाबले में कोई रही नहीं जाएगा।  साध्वी प्रज्ञा को अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करना चाहिए,  और अपने सारे विरोधियों को श्राप देकर मार देना चाहिए। उनके कथनानुसार जिन लोगो ने  उन पर अत्याचार किया , उनको और मासिक यातनाएं दी साध्वी प्रज्ञा को भी मार देना चाहिए था। मीडिया के सामने आकर अभी वो टेसुए क्यों बहा रही है ?

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