इतिहास युद्ध मे हार या जीत को याद नही करता। वो तो सिर्फ ये याद रखता है कि गोली पीठ और खाई गयी या सीने पे  खाई गयी। भारत माँ का लाल, उसका सूर वीर बेटा एक तानशाही के सामने हार माने भी तो कैसे माने। टूट जाएगा मिट जाएगा लेकिन घमंडी सरकार को उसकी औकात पर लाकर रहेगा। जब सेना के जवान ने मोदी जी की जवानों के प्रति लापरवाही और नेताओं के नेता के पैसों पर भ्रस्टाचार को उजागर किया,तो उस जवान को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। मोदी सरकार की नीतियो का विरोध करते हुए उस जवान ने अपने 25 साल के बेटे की संदिग्ध परिस्थितयो में मौत को देखा। और जब मोदी जी खिलाफ चुनाव लड़ने का एलान किया तो अब साजिशन अब उसका नामांकन रद्द किया जा रहा है।  तेज़ बहादुर को ये सजाये सिर्फ दो वजहों से दी जा रही है। एक सच बोलने का और ये सच्चा कृष्णवंशी यादव होने का।

तेज़ बहादुर यादव व नाम है जिसने सरकार की सेना के प्रति लापरवाही और गैरजिम्मेदाराना रवैये को दुनिया के सामने रखा। तो उस जवान से बदला लेने को मोदी सरकार ने ठान लिया। किसी ने भी इस बाग की चर्चा नही किया कि जवान की शिकायत में कितना दम है या जवान को शिकायत सोशल मीडिया पर करने की जरूरत क्यों पड़ी। सबकी चर्चा का रुख मीडिया के माध्यम से सिर्फ इस ओर मोड़ दिया गया कि जवान ने शिकायत किया क्यो ?
और ये कहा गया कि जवान को ड्यूटी करनी चाहिए । अच्छे खाने की मांग करके उसने अपना लालच दिखाया। उन लोगो को ये भी देखना चाहिए कि देशभक्त शिरोमणि सरदार भगत सिंह जी खुद जेल में अच्छे खाने और अच्छी सुविधाओ की मांग के लिए 66 दिनों की भूख हड़ताल कर चुके है। तो क्या वो भी गलत है ?? 

जो जवान कई बार सम्मान से नवाजा गया , आखिर वो ऐसे शिकायत करने पर मजबूर क्यों हुआ ?
वजह साफ है तेज़ बहादुर ने खराब खाने की शिकायत हर जगज अनुशाषित तरीके से किया । लेकिन जब उनकी बात नही सुनी गई तो उन्होंने भी वही तरीका अपनाया जो तरीका सरदार भगत सिंह जी ने अपनाया था। यानी कि तानाशाहों के कान के पास एक जोरदार धमाका । जिससे तानाशाही और भ्रस्टाचारियो कि जड़े तक हिल जाए।  सरदार भगत सिंह ने संसद में बम फोड़ कर अंग्रेजो को अपनी बात सुनने पा मजबूर किया।

उसी तरह तेज़ बहादुर ने भी अपनी बात हर जगह पहुचाने की कोसिस किया। लेकिन जब तानाशाही और भ्रष्ट शासन व्यवस्था ने उनको सुनने से इनकार कर दिया। तब तेज़ बहादुर ने सोशल मीडिया पर वीडियो डाल कर धमाका किया। इससे मोदी सरकार के द्वारा सेना पर किये जा रहे बड़े बड़े दावे खोखले नज़र आ गये।  मोदी सरकार जवानों की बेसिक ब्यवस्थाओ के प्रति कितनी गंभीर है ये भी सच्चाई लोगो के सामने आ गयी।  सिर्फ लापरवाह ही नही बल्कि इनके नेता लोग भ्रस्ट लोगो के साथ  मिलकर जवानों के हक के खाने के पैसे खुद डकार रहे थे।

सेना के नाम पर और सेना के शौर्य की मार्केटिंग कर कर के मोदी जो ने देश के लोगो से पूरे पांच साल वोट को भीख मांगते रहे। लेकिन जब उसी सेना के जवान ने मोदी जी की जवानों के प्रति लापरवाही और नेताओं के नेता के पैसों पर भ्रस्टाचार को उजागर किया, जवानों के राशन का पैसा नेताओ, भ्रष्ट लोगो द्वारा खा जाने और जवानों को घटिया क्वालिटी का खाना देने का सच दुनिया के सामने उजागर किया तो उस जवान को नौकरी से बर्खास्त लर दिया गया। मोदी सरकार की नीतियो का विरोध करते हुए उस जवान ने अपने 2 साल के बेटे की संदिग्ध परिस्थितयो में मौत को देखा। और जब मोदी जी खिलाफ चुनाव लड़ने का एलान किया तो अब साजिशन अब उसका नामांकन रद्द किया जा रहा है।

तेज़ बहादुर की इस शिकायत की जांच करना तो दूर, खाने पीने के राशन में भ्रस्टाचार की जांच तो दूर उल्का सरकार ने तेज़ बहादुर यादव को ही शक के कटघरे में खड़ा  कर दिया। तेज़ बहादुर के खिलाफ भाजपा की आईटी सेल पूरे जी जान से लग गयी। लगती भी क्यों नही, इस बात आईटी सेल के आका खुद कटघरे में खड़े थे और उनकी असलियत लोगो को सामने जो आने वाली थी।  तो आईटी सेल ने उन्हें शराबी , जुआड़ी , अनुशाशन हीन सब कुछ साबित करने को कोसिस किया । किसी ने भी सेना के इस जवान की अस्मिता का खयाल नही किया और उनको नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।

तेज़ बहादुर को ये सजाये सिर्फ दो वजहों से दी जा रही है। एक सच बोलने का और ये सच्चा कृष्णवंशी यादव होने का।  यादव से इस सरकार की जलन जग जाहिर है। मेरी इस लाइन को शायद चुनाव आयोग में शिकायत के रूप में प्रस्तुत भी किया जा सकता है। लेकिन खुद मंच से प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह ने थानों में यादवो के ज्यादा होने की अफवाह उड़ा कर, 86 में 54 एसडीएम यादव होने की अफवाह उड़ा यादवो के प्रति अपनी नफरत को साफ कर चुके है। ऐसे में अब एक यादव जो कि सेना ला जवान है, वो अगर मोदी जी के सेना के प्रति सबसे मजबूत दावे की पोल खोल दे तो, उसका  बचना नामुमकिन ही था।

वो तो शुक्र है  की सरकार की सच्चाई को नँगा करने के बाद भी तेज़ बहादुर जिंदा है और "लोया" बनने से बच गए। फिर भी तेज बहादुर को नौकरी से निकाल कर एक तरह से उनकी हत्या ही की गयी। किसी ने भी उस जवान की नही सुनी। वो जवान हर जगह गया लेकिन किसी ने उसकी बात को रखने के लिए प्लेटफार्म उपलब्ध कराने का कष्ट नही किया । यहाँ तक को तेज बहादुर के इस मुद्दे को चुनावी मुद्दा बना कर इसको कैशइन कराने की कोसिस करने वाली कांग्रेस ने भी उनको प्लेटफॉर्म नही दिया। फिर भी हार न मानते हुए भारत माँ के लाल ने तानशाह के खिलाफ लड़ने का फैसला किया।

तेज़बहादुर को सपोर्ट और बोलने का प्लेटफार्म सिर्फ समाजवादी पार्टी और पार्टी के मुखिया श्री अखिलेश यादव जी ने दिया। वो इसलिए क्योंकि वो एक सच्चे भारतीय है , सेना का बहुत सम्मान करते है और उस रक्षा मंत्री के बेटे है जिसने शहीदों की शरीर को उनके घर तक पहुचाने का कानून बनाया , ताकि शहीद के परिजन  आखिरी बार तो अपने वीर बेटे को देख सके।

तेज़ बहादुर ने मोदी सरकार की तानाशाही से तंग आकर खुद उनके खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ने का  एलान कर दिया। तब तक मोदी जी को इस बात से फर्क नही पड़ा। उनको फर्क तब पड़ा जब जवान तेजबहादुर यादव को अकेला पड़ते देख श्री अखिलेश यादव जी ने उनको वाराणसी से अपनी पार्टी का टिकट दे दिया। अब तेज़ बहादुर के पास खुद की मजबूती और एक तगड़ा कैडर था जिसे समाजवादी कहा जाता है। वही समाजवादी कैडर जिन्होंने अंग्रेजो की भ्रस्ट शासन व्यवस्था से लेकर कांग्रेस सरकार की गलत नीतियों की धज्जियां उड़ा दी।

खैर जब मोदी जी को पता चला कि अब तेज़ बहादुर अकेले नही है और उनके साथ समाजवादी कैडर खड़ा है तो उनकी जमीन खिसकने लगी। निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पे फॉर्म भरने पर कोई कमी नही मिली ।  कमी तब मिली जब उनको समाजवादी सपोर्ट मिला और मोदी जी को अपनी हार साफ नजर आने लगी। तब उन्होंने फलाने आयोग की तरफ मदद मांगी। अब बारी थी फलाने आयोग के अधिकारियों की। उन्होंने अब किसी तरह साजिस करके उनका नामांकन रद्द करने की कोसिस किया, और लगतार कर रहे है।

सवाल का जवाब जानना बेहद जरूरी है कि कौन है तेजबहादुर यादव । जिसने नौकरी से निकलने के बाद , 25 साल के बेटे को खोने के बाद भी ये मोदी के खिलाफ क्यो लड़ रहा है, ये सोचने वाली बात जरूर है। आखिर भ्रष्टाचार से लड़ने के सबसे सटीक प्रतीक क्यों हैं तेजबहादुर यादव , ये जवाब जानना हमारे लिए बेहद जरूरी है। क्यो इस जवान ने सचाई सामने लाने के लिए न सिर्फ अपना सब कुछ दाव पर लगाया बल्कि बहुत कुछ खो भी दिया।

तेज बहादुर यादव ने अपनी जिंदगी बीएसएफ में खपा दी थी। दिन रात हर मौसम में देश का ये प्रहरी अपनी माँ की रक्षा को तत्त्पर था।  न जाने कितने बार वीरता का परिचय दिया। न जाने कितने बार दुश्मन की गोलियों की बीच जिंदा बच निकला। देश का वह लाल अपना सब कुछ छोड़ कर भारत माँ की रक्षा के लिए पूरी नौकरी भर सीमा पर डटा रहा।
बाकी की कहानी ये है कि रिटायरमेंट के करीब आखिरी पोस्टिंग थी। चंद महीने बचे थे उनके सेवा समाप्त करके घर आने में।

वहां खाना खराब मिला, तो उन्हें गुस्सा आया। और ये रोज रोज हर जगह होता रहा। उन्होंने ये भी सोचा कि  मोदी राज में सैनिकों को ऐसा खाना कैसे मिल रहा है ? उन्होंने सभी अफसरों और सभी विभागों में शिकायत दर्ज कराई। लेकिन सुनवाई नही हुई। फिर उन्होंने फेसबुक पर वीडियो डाला।  उन्हें लगा कि शिकायत करूंगा तो सरकार खुश होगी कि राशन में भ्रष्टाचार का पर्दाफाश कर दिया। देश के भ्रस्टाचारियो का चेहरा देश के सामने लाया। उन दिनों कुछ वैसा ही माहौल था कि सरकार भ्रष्टाचार से लड़ रही है। सरकार भ्रस्टाचार के खिलाफ लड़ने वालों की मदद कर रही है। लेकिन तेज़ बहादुर को क्या पता था कि सेना का राशन का पैसा चट करने में सरकार की मिली भगत है।

आप तेज बहादुर तो इस सच्चाई से वाकिफ नहीं थे उन्हें लगा कि सरकार भ्रष्टाचार से लड़ रही है  साहेब बहुत बड़े वाले ईमानदार नेता है  और उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में बहुत बड़े बड़े वाले ईमानदार ओं को भर रखा है तो यादव साहेब ने उठाकर भोलेपन में फेसबुक पर सब बता दिया कि अफसर कैसे खाने में भ्रष्टाचार करते हैं. कैसे अफसर और नेता जवानों के आए हुए पैसे मिल कर खा जाते हैं और जवानों को खाने में क्या देते हैं पानी वाली दाल सड़ी गली रोटियां घटिया क्वालिटी का चावल साड़ी और खराब सब्जियां इन्हीं सब की शिकायत उन्होंने तब के अपनी नजर में बेहतरीन और ईमानदार प्रधानमंत्री के पास भेजने की सूची कि देखिए आपके सैनिकों को कितना खराब खाना  मिलता है.

तेज बहादुर को उम्मीद थी कि शाबाशी मिलेगी। भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी उस लड़ाई में सरकार का और देश की जनता का सहयोग मिलेगा सेना में से भ्रष्टाचार दूर होगा जो नेता और अफसर अपनी मिलीभगत से सेना के पैसों पर ऐश कर रहे हैं उन पर लगाम लगेगी और उन्हें सजा होगी सेना के खाने का पैसा सीधा उनके पास जाएगा सेना के लोगों के खाने और उनके रहने की मूलभूत सुविधाओं की गुणवत्ता में बढ़ोतरी होगी जवानों को थक हारकर ड्यूटी करने के बाद वापस कैंप में आने पर अच्छी क्वालिटी का खाना मिलेगा और उन्हें अपना पेट जलाने की नौबत नहीं लानी होगी

लेकिन इसके उलट  अब जानिए कि तेज बहादुर को मिला क्या मिला क्या?तत्काल नौकरी से विदाई कर दी गई सफाई का मौका भी सही से नहीं दिया गया। कोर्ट मार्शल एक छोटे से मामले में कर दिया गया। रिटायरमेंट का विकल्प था लेकिन ये नहीं मिल पाया।कुछ ही समय बाकी था उनके रिटायरमेंट में  लेकिन सरकार को तो अब बदला लेना था क्योंकि उनका नंगा चेहरा सबके सामने था ।लिहाजा तेज बहादुर बर्खास्त किए गए.यानी सारी रिटायरमेंट बेनिफिट की छुट्टी. पेंशन नहीं, ग्रेच्युटी नहीं. मेडिकल सुविधा नहीं।कहीं और नौकरी करने से मनाही। सारे एजुकेशनल सर्टिफिकेट पर रेड मार्क। तेज बहादुर की पूरी जिंदगी पूरी तरह बर्बाद कर दी गई.इसी तनाव के बीच  में उनके जवान 22 साल के बेटे रोहित की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गयी। ये सब इनाम तेज़ बहादुर को भ्रस्टाचार की खिलाफ लड़ने का इनाम मिला।

भ्रष्टाचार से लड़ना मोदी राज में कितना जोखिम भरा काम था, इसका प्रतीक है तेज बहादुर यादव। कैसे मोदी राज में भ्रष्टाचारियों के खिलाफ लड़ने वाले को हर तरह से सजा दी जाती है, और उसका सामाजिक बहिष्कार भी करने की कोशिश की जाती है। उन्हें वार्निंग देकर छोड़ा जा सकता था। लेकिन सरकार ने तय किया कि इस आदमी की जिंदगी बर्बाद कर दी जाए। ताकि कोई और आवाज न उठे।वैसे भी कुछ दिन में वह रिटायर होने ही वाले थे। हो जाने देते।  लेकिन नहीं सरकार को तो बदला लेना था आखिर में कैसे कोई इनके नंगे सच को जनता के सामने रख सकता है ?

हर जगह से उनको अनसुना ही किया गया। इसीलिए तेजबहादुर ने चुनाव लड़ने का एलान फ़र्ज़ी चौकीदार के खिलाफ किया। पहले निर्दलीय पर्चा भरा। फिर सपा के टिकट पर जोर शोर से मजबूती के साथ मैदान में आये। कुछ भी हो, सेना पर सियासत के आरोप सहने वाली भाजपा के करिश्माई नेता नरेंद मोदी जीत जायेंगे और सेना का प्रतीक सैनिक तेज बहादुर हार जायेंगे। ये अनुमान सही हुआ तो मान लीजिएगा कि राष्ट्रवाद का पर्याय सेना को लेकर जनता के मन में जज्बात नहीं उमड़ते बल्कि राष्ट्रभक्ति को सियासत के बाजार में भुनाने वाली राजनीति लोगों को ज़्यादा प्रभावित करती है। सेना का जनसमर्थन नहीं है बल्कि जनाधार तो सेना के शौर्य को बेचने वाले नेताओं का  होता है। शायद ये जनाधार अंधा होता है!

वाराणसी लोकसभा सीट राष्ट्र भक्तों की परीक्षा लेगी। सैनिकों के मान-सम्मान और उनके प्रति आदर-विश्वास की भावना जग जाहिर हो जायेगी। वाराणसी के चुनाव के मायने ही बदल गये हैं। यहां का चुनाव सिर्फ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्सेज बर्खास्त सैनिक तेज बहादुर नहीं है। देश की हिफाजत के लिए सीने पर गोलियां खाने वाले सैनिकों के हक़ की लड़ाई है। घर-परिवार को छोड़ कर सरहदों के बियाबानों, वीरानों, तपती धूप में जलती रेत पर दिनो-रात खड़े होने वालों के अधिकारों की लड़ाई है। देश की हिफाज़त के लिए माइनस ज़ीरो डिग्री में बर्फ में धंस कर जान गंवाने वाले देश के सपूतों के सम्मान की लड़ाई है।

ये लड़ाई शहीद जवानों की बेवाओं की सूनी मांग के दर्द के अहसास की है। अपनी ही सरकार द्वारा अपने ही सैनिक को प्रताड़ित किये जाने के खिलाफ आवाज उठाने की लड़ाई है। सेना के हक़ को भ्रष्टाचार की बली चढ़ा देने की व्यवस्था के विरुद्ध युद्ध है।फौजी पिता तेज बहादुर को बर्खास्त/प्रताड़ित किये जाने की परेशानियों और ग़म मे मर जाने वाले 22 वर्षीय पुत्र को ये सच्ची श्रद्धांजलि है।

हो सकता है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने नरेन्द्र मोदी को शिकस्त देने की मंशा से एक पीड़ित/बर्खास्त सैनिक को वाराणसी से टिकट देकर सेना पर सियासत का ही कार्ड खेला हो। लेकिन हमें तमाम सियासतों से दूर हटकर एक सैनिक का समर्थन कर सेना के प्रति अपना जज़्बा तो दिखाना ही पड़ेगा। भले ही सैनिक तेज बहादुर देश के सबसे लोकप्रिय नेता नरेंद्र मोदी से हार जायें, लेकिन इस फौजी को बढ़िया नाचने वाले निहरवा, रवि किशन, हेमामालिनी, सनी दयाल और उर्मिला मातोंडकर से तो ज्यादा वोट मिलना ही चाहिए।

समाजवादी पार्टी ने एक सैनिक की इच्छा का सम्मान किया और उनको बाराणसी से मजबूती से लड़ाने की तैयारी किया। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने तेज बहादुर के बारे में बोलते हुए कहा कि, ‘हमारा जवान असली है। उसने सरहद पर देश की सेवा की है, देश की रक्षा की है। जब से हमने बनारस में एक सिपाही को लड़ा दिया है। तेज बहादुर फौज का सिपाही रहा है वो असली चौकीदार है जिसने वर्दी पहनी है, इन्होने देश की सीमा की सुरक्षा की है।लेकिन बीजेपी वाले कहते हैं कि इनकी वजह से देश सुरक्षित है। मगर हम कहते हैं कि हमारे नौजवान और जो जवान हैं जो भर्ती होकर सीमा पर गए हैं उनकी वजह से हमारा देश सुरक्षित है। बीजेपी की वजह से नहीं बल्कि सेना की वजह से देश सुरक्षित ।

जनता ही नहीं कांग्रेस की भी परीक्षा है। उत्तर प्रदेश में मजबूती से लड़ रहे सपा-बसपा गठबन्धन द्वारा तेज बहादुर को वाराणसी से टिकट दिये जाने के बाद कांग्रेस पर तेजी से दबाव बनाया जा रहा है। लोग मांग कर रहे हैं कि एक फौजी के सम्मान में कांग्रेस को वाराणसी की सीट छोड़ देना चाहिए है। तेज बहादुर का समर्थन कर देना चाहिए है। खुद कांग्रेसी कार्यकर्ता भी सोशल मीडिया के जरिए कांग्रेस पर दबाव बना रहे हैं। वही सशक्त सोशल मीडिया, जिसे हथियार बनाकर तेज बहादुर ने सेना के हक़ की लड़ाई की अलख जलायी थी।

ठीक ही होगा कि कांग्रेस एक सैनिक के खिलाफ अपना प्रत्याशी नहीं उतारे। उससे कहीं बेहतर ये होगा कि सेना से प्यार का जबरदस्त जज़्बा पैदा करने वाले राष्ट्रवादी चौकीदार नरेंद्र मोदी ही सैनिक तेज बहादुर के समर्थन में वाराणसी की सीट छोड़ दें और देश की किसी भी दूसरी सीट से चुनाव लड़ें।न सिर्फ दूसरी सीट से  चुनाव लड़े बल्कि तेज़ बहादुर के समर्थन का एलान भी करे।  साथ ही भरसक प्रयास करके हर हाल में तेज बहादुर जी को जीता कर संसद में भेजे। जिससे को वो सेना के जवानों के हक़ की मांग संसद में उठा सके।

तेजबहादुर को इसलिए वोट नहीं मिलना चाहिए कि बहुत महान आदमी है. सारी कमजोरियां हैं उनमें।ये सही है कि उन्हें अनुशासन हीनता के कारण बर्खास्त किया गया है।आरोप गलत भी नहीं है। लेकिन ये भोलेपन में हुआ है। नीयत बुरी नहीं थी बंदे की। जो सजा मिली वो सही थी। कोई भी सुरक्षा बल अनुशासन हीनता के साथ नहीं चल सकता। लेकिन सजा देने में मानवीय होने का रास्ता था। लेकिन सरकार ने ये रास्ता नहीं चुना।मुझे उनसे सिंपैथी है, सहानुभूति है, दया है, करुणा हैं।और अब जब वो चुनाव लड़ने जा रहे है तो मेरा उनको पूरा पूरा सहयोग है। 

लेकिन देश के प्रधानमंत्री को ये बात गवारा नही गुज़री। किसी तरह उनका नॉमिनेशन रद्द कर के अपनी राह आसान करने की पूरी तैयारी में लगे हैं प्रधानमंत्री जी। आनन फानन में मोदी जी की फलाने आयोग के अफसर ने उन्हें नोटिस जारी किया और 24 घंटे से भी कम समय मे दिल्ली से पेपर लेकर वनारस जमा करने का समय दिया। वैसे पेपर देखा जाए तो उसमें तेज़ बहादुर को 90 साल का समय दिया गया है इस जवाब को दाखिल करने के लिये। क्योकि डेडलाइन की तारीख 1 मई 2109 लिखी गयी है। अंधभक्ति, जवाब और मूर्खता के वशीभूत होकर अगर कोई पेपर तैयार करेगा तो ऐसी ही गलती करेगा।

चुनाव आयोग ने वाराणसी से गठबंधन के टिकट पर चुनाव लड़ रहे बीएसएफ से बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव को नोटिस भेजा है। और इसका बहन ये बताया है की निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन कर चुके तेज बहादुर यादव ने जब गठबंधन के टिकट पर नामांकन किया तो उन्होंने दोनों जगह नौकरी से बर्खास्त किए जाने को लेकर अलग-अलग दावे किए। जिसके बाद उन्हें नोटिस भेजकर एक मई को 11 बजे तक जवाब देने के लिए कहा । यानी कि 24 घंटे से भी के का समय। वाराणसी के जिला अधिकारी/जिला निर्वाचन अधिकारी सुरेन्‍द्र सिंह ने तेज बहादुर से अपने दावे के समर्थन में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी निर्णायक साक्ष्‍य प्रस्‍तुत करने का निर्देश दिया ।

वहीं चुनाव आयोग की नोटिस के बाद गठबंधन प्रत्याशी तेज बहादुर यादव ने सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि चुनाव आयोग सरकार के दबाव में काम कर रहा है। उन्होंने दावा  किया कि जब से समाजवादी पार्टी ने उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपना प्रत्याशी बनाया है, तब से भाजपा नेताओं की चिंता काफी बढ़ गई है। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया कि उन्हें किसी भ्रष्टाचार के कारण नहीं बर्खास्त किया गया, बल्कि उन्हें अनुशासनात्क कार्रवाई के तौर पर बर्खास्त किया गया। उन्होंने कहा चुनाव आयोग के नियम अनुसार, भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त कर्मचारी ही चुनाव नहीं लड़ सकता है।

चुनाव आयोग ने जो बहाना दिया है  उसके मुताबिक बात ये है कि तेज बहादुर यादव ने निर्दलीय उम्‍मीदवार के तौर पर दाखिल किए शपथ पत्र के भाग 3 (क) के क्रमांक 6 में पूछे गए सवाल ”क्‍या अभ्‍यर्थी को भारत सरकार या किसी राज्‍य सरकार के अधीन पद धारण करने के दौरान भ्रष्टाचार के कारण या अभक्‍ति के कारण पदच्‍युत किया गया है?” के जवाब में कहा था कि ”हां, 19 अप्रैल 2017”।

वहीं, सपा प्रत्याशी के तौर पर दाखिल शपथ पत्र में उन्होंने लिखा कि ”गलती” से प्रथम नामांकन पत्र के भाग 3 (क) के क्रमांक 6 में उन्होंने ”नहीं” की जगह ”हां” लिख दिया. वहीं उन्होंने दावा किया कि ”उन्हें 19 अप्रैल 2017 को बर्खास्‍त किया गया लेकिन, भारत सरकार एवं राज्‍य सरकार द्वारा पदधारण के दौरान भ्रष्‍टाचार आदि के कारण पदच्‍युत नहीं किया गया है।

खैर नॉमिनेशन बर्खास्त करने की ये साजिस दिखा रही है कि प्रधानमंत्री तेज़ बहादुर के खिलाफ लड़ने से कितना डरे हुए है। उन्हें पता है कि भारत माँ का ये लाल,देश का ये असली चौकीदार , फ़र्ज़ी चौकीदारों को धूल चटा देगा।  सेना के साथ , खुद के साथ कोई गए सारे अन्याय का बदला लेगा। दिखा देगा कि।देश का जवान किसी से न डरता है न किसी से हार मानता है। वो सबके हराने में सक्षम है चाहे वो देश के बाहर का धूर्त और मक्कार दुश्मन हो या देश के  अंदर का भ्रस्ट और जवानों के हक़ का पैसा खाने वाला नेता और कथित चौकीदार।  तेज़ बहादुर जार बात का जवाब दुश्मनो को देने में सक्षम हैं। और वो देंगे। अगर उनको चुनाव लड़ने से रोका नही गया तो , मेरा ये दावा है कि लोक सभा चुनाव में सिर्फ 2 या तीन तक वनारस में रहने वाले प्रधानमंत्री को बनारस की गलियो को खाक छानने पर मजबूर कर देंगे। सिर्फ तीन दिन कर वनारस में रुकने वाले मोदी जी को पूरे 20 दिन रुकने पर मजबूर कर देंगे। कर में सवार होकर रोड शो करने वाले साहेब , सिर्फ तेज़ बहादुर की वजह से बनारस की सड़कों पर धूल फांकते हुए आराम से नज़र आयेंगे।



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