कासगंज मनमानी
अब देश मे ऐसा माहौल बन चुका है कि लोग एक दूसरे को देखना तक पसंद नही कर रहे है,
सबसे ताज़ा उदाहरण हम कासगंज घटना का ले सकते है,
नेता सिर्फ अपनी चुनावी रोटियां सेंकने में लगे हुए है, सत्ता के गलियारों में बैठे कथित चौकीदार, और कथित संत धीरे धीरे देश की सर्वधर्मसम्भाव की भावना को खोखला कर रहे है,
कासगंज की हिंसा हमे हिन्दू मुस्लिम नही , या देश प्रेमी, और देश द्रोही नही, बल्कि एक अलग ही दिशा में जाने वाले माहौल को दिखा रही है,
जहाँ पर दो गुट थे, दोनों देश से प्रेम करने वाले, दोनों के हाथों में तिरंगा था, फिर भी वो आपस मे लड़े और एक दूसरे की खून तक के प्यासे हो गए,
जिसे देख सत्ता मगन हो गयी , और सत्ता के नुमाइंदे वही जाकर जश्न मना कर आते है। और ये हुआ क्यों, सिर्फ इस लिए क्योकि बिगत 3 या 4 वर्षो से हम सबके मन मे दूसरे सम्प्रदाय के खिलाफ जहर घोला जा रहा है, और ये नफरत इस हद तक पहुच गयी है कि हमे दूसरे सम्प्रदाय का देश प्रेम भी बर्दाश्त नही होता, एक सम्प्रदाय जहाँ चौक पे तिरंगा फहराने की योजना में था, तो दूसरा सम्प्रदाय तिरंगा यात्रा निकालने की फिराक में, भारत मे को कितना दुख हुआ होगा कि उसके बेटे तिरंगा हाथ मे लिए एक दूसरे के खून के प्यासे हो चुके है। और चांद तटपुँजिये नेता पहुच जाते है अपनी राजनीति रोटी सेकने, और यही करते करते वो आज सत्ता तक आ गए है, जनता को मूर्ख बना कर ।
लेकिन सवाल ये उठता गई कि क्या हम इतने यह
असहाय हो चुके है कि हम अपने बुद्धि और विवेक का भी इस्तेमाल करने का सामर्थ्य नही रखते है,
ये नेता हमे मुद्दों में ब्यस्त रखते है, ताकि हम असली मुद्दे, बिजली, सड़क ,पानी, नौकरी , पढ़ाई, महगाई जैसे मुद्दों पे ध्यान न दे सके, और अगर कोई गलती से ध्यान दे भी देता हैओ तो उसे देशद्रोही की श्रेणी में डाल दिया जाता है, और देश को पकोड़े तलने की सलाह दी जाती है,।
पिछले कुछ समय से पूरे देश को किस तरह मुख्य मुद्दों से भक्त कर रखा गया आइये आपको बताता हूं,
सुरुआत राम मंदिर से होती है, इनका करवा भगवा , गौरक्षा, से होते हुए आगे बढ़ा। फिर ये पहुँचे जनगणमन, भारत माता की जय तक। फिर आया जेएनयू , गुरमेहर कौर, उसके बाद मीडिया ट्रायल, फिर जजो का मुद्दा, वहाँ से निकले तो पद्मावत, और अब कासगंज। और इन मुद्दों के पीछे जो मुख्य मुद्दे छिपाए गए वो थे, महंगाई पेट्रोल के दाम दंगे फसाद विकास रोजगार रक्षा इत्यादि।
यकीन मानिए आपको पढ़ने के बाद लगेगा कि आने अपनी जिंदगी के 4 साल सिर्फ इन्ही मुद्दों पे बेकार पर दिए,
ये मुद्दे भी जरूरी है, लेकिन तब जब आपके बेसिक मुद्दे खत्म हो जाये,
जैसे महंगाई खत्म हो गयी हो, सबको नौकरी मिलने लगी हो तेल के दाम जमीन पर हूं सीमा पर सुख शांति हो ।
एक बार जरा 4 साल पहले जाइये, आपको समझ आएगा कि उस समय हमारे मुद्दे, महंगाई, रक्षा, रोजगार भ्रस्टाचार था । और अब क्या है , गौ रक्षा, हिंदुत्व, हत्या, ?
देश मे जनता का ध्यान सिर्फ उन मुद्दों में जानबूझ कर उन मुद्दों में डाल गया जिनका जनता से अभी कोई सरोकार नही है,
गरीब को हिन्दू या मुसलमान होने से पहले दो वक्त की रोटी चाहिए,
हम आने मुद्दों से भटक रहे है, और हमे भटकाने का काम सरकार अपने पालतू मीडिया से करवा रही है,
कासगंज की घटना को बढ़ाने और इसे मजहबी रूप देने में सबसे बड़ा हाथ रोहित सरदाना जैसे बेकार पत्रकार का है, सत्ता का गिलियारे इन्हीं के वजह से अफवाहों से चकाचौंध है,
अब मोदी जी क्या उन सब के ऊपर कार्यवाई करेंगे, या अपना कोई नया प्रोपेगेंडा लेकर आएंगे,
और हम मूर्खो की तरफ फिर से उसी में लग जायेगे और सत्ता के भूखे भेड़िये सत्ता पाकर देश का खून नोचते रहेंगे।
बृजेश यदुवंशी
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