करणी "आतंकी" सेना

हमारे देश में यह बेहद ही शर्म की बात है कि जहां पर देश का प्रधानमंत्री किसी मुख्यमंत्री के इस्तीफा देने के 2 मिनट बाद ही उसका इस्तीफा देने पर खुशी जताते हुए ट्वीट कर देता है,  वहीं पर कुछ आतंकवादियों की फौज जो अपने आप को कथित सेना कहती है ,वह देश में पिछले दो महीनों से उपद्रव मचा रही है । खुले आम पब्लिक में लोगों को मारने की धमकी दे रहे हैं , सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ा रहे हैं ।और हमारे प्रधानमंत्री जी बैठे हुए "600 करोड़ मतदाता गिन रहे हैं ।
मुझे एक बात समझ में नहीं आ रही है कि आखिर में पद्मावती फिल्म का विरोध सिर्फ गुजरात, राजस्थान ,हरियाणा , या महाराष्ट्र में ही क्यों हो रहा है ?या सिर्फ उन्हीं राज्यों में क्यों हो रहा है जो बीजेपी शासित है ? उन राज्यों में क्यों नहीं हो रहा है जिन में BJP की सत्ता नहीं है?
इसका मतलब इशारा साफ है की सत्ता में बैठे हुए भूखे दानव भेड़िए अपने वोट के चक्कर में, और जनता का ध्यान मुख्य मुद्दों से हटाने के लिए ऐसे आतंकवादियों और ऐसे नामर्दों को (जिनकी की तुलना कुत्तों से भी करना कुत्तों की बेइज्जती होगी ) सपोर्ट कर रहे हैं । ऐसे लालची नेताओं को सुप्रीम कोर्ट ने भी बेइज्जत करते हुए फटकार लगा दिया ।लेकिन इनकी मोटी चमड़ी पर कहीं कोई असर नहीं है ।
करणी सेना द्वारा किया गया हिंसा पूरी तरह से वहां के राज्य सरकार के सपोर्ट के माध्यम से हुई है।
बिना राज्य सरकार की सपोर्ट के कुछ नपुंसक आतंकवादी इस तरह से बच्चों की बस पर हमला नहीं कर सकते हैं। खास करके तब जब वहां पर पूरी पुलिस फोर्स तैनात हो ।
लोगों की गाड़ियों के शीशे तोड़े गए, सिनेमा हॉल के शीशे तोड़े गए,
इन नामर्दों को अगर इतनी ही गर्मी चढ़ी हुई है तो इनको बॉर्डर पर भेज दो । दो गोली की आवाज से इनकी सारी गर्मी ढीली हो जाएगी।
मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि करणी सेना के अध्यक्ष लोकेंद्र कव्वली से लेकर के करणी सेना के हर कार्यकर्ता, उनमें से किसी को भी ना तो पद्मावती के और ना ही किसी अन्य के इतिहास के बारे में एक शब्द भी कुछ मालूम होगा ।
इन गधों की बस इतनी ही औकात है कि इनको फिल्म फ्री में देखनी है,  जिस दिन इनको फिल्म फ्री में दिखा दी जाएगी यह उसी दिन चुप होकर बैठ जाएंगे ।
क्योंकि इनकी औकात एक फिल्म के टिकट के दाम के बराबर की ही है ।
ये एक तरफ तो यह कहते हैं कि हम हिंसा के पक्षधर नहीं हैं और बच्चों पर हुई हिंसा गलत है,  और वही पर यह दोगले दूसरी तरफ खुद ही कहते हैं कि अगर पद्मावती रिलीज हुई तो पूरा देश को जलना पड़ेगा ।
आज यह आतंकवादी सिर्फ इसलिए बोल पा रहे हैं क्योंकि इनके आका सत्ता में बैठे हुए हैं ।
इन लोगों को मालूम है कि यह कुछ भी बोल लेंगे कुछ भी कर लेंगे इनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा।
यूपी, राजस्थान, हरियाणा ,महाराष्ट्र ,गुजरात इन राज्यों में अभी करणी सेना के आका लोग बैठे हुए हैं ।
और खास करके इन्हीं राज्यों में इस तरह की हिंसा हो रही है । करणी सेना का विरोध हमने केरल में तो नहीं सुना,  ना ही किसी अन्य उस राज्य में सुना जहां पर बीजेपी का शासन नहीं है।
यह सिर्फ गरीबी ,भुखमरी,  रोजगार,  महंगाई जैसे मुख्य मुख्य मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने की , और अपना काला चिट्ठा अपनी चोरी छुपाने की एक साजिश है।  जिसमें पूरी तरह से मीडिया इन्वॉल्व है ।खास करके जी न्यूज , आज तक , इंडिया टीवी ,रीपब्लिक टीवी जैसे चैनल । और रोहित सरदाना,  अर्नब गोस्वामी,  सुधीर चौधरी,  रजत शर्मा , अंजना ओम कश्यप जैसी चाटुकार पत्रकार अपना जीवन बसर इन्हीं सब फालतू और मुख्य मुद्दों से भटकाने वाली चीजों को दिखाकर कर रहे हैं।
हमें और आपको इन सब चीजों से सतर्क रहने की , और मुख्य मुद्दों पर ध्यान टिकाए रहने की जरूरत है ।
एक बात हमें यह भी समझने की जरूरत है कि हमने जहां अपना ध्यान इन मुद्दों से हटाया वही पर हमारे साथ यह नेता और यह चाटुकार पत्रकार धोखा करेंगे ।
हमने या किसी और ने पद्मावत नहीं देखी है,  लेकिन फिर भी उसका विरोध कुछ लोग करे जा रहे हैं , कुछ मूर्ख उनके पीछे हां में हां मिला कर समर्थन किए जा रहे हैं ।
मुझे समझ नहीं आ रहा है कि उनके विरोध करने का आधार क्या है?
पहले इन लोगों ने राज्य सरकार के माध्यम से फिल्म पर प्रतिबंध लगाया,  लेकिन सुप्रीम कोर्ट से लात खाने के बाद इन लोगों ने अब दूसरे तरीके अपनाए हैं ।जिसमें उन्होंने फिल्म के डिस्ट्रीब्यूटर्स और थिएटर एसोसिएशन वालों को डरा धमका कर उनसे फिल्म का बायकॉट करवा लिया।
मैंने आज एक वीडियो देखा जिसमें करणी सेना के आतंकवादी उस बस पर हमला कर रहे हैं जिसमें बच्चे बैठे हुए हैं।
बच्चे सीट के नीचे और बस के बीच में घुसकर अपनी जान बचा रहे हैं।
मेरी जितनी जानकारी राजपूतों के बारे में है उतने में मैंने कहीं नहीं जाना कि ऐसा कहीं कोई राजपूत हुआ हो जिसने बच्चों पर हमला किया हो। सिर्फ राजपूत ही नहीं अपनी देश की मिट्टी की रक्षा के लिए हर जाति हर संप्रदाय के लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है।
ऐसे में किसी एक संप्रदाय के नाम पर कुछ लोग अपनी खोखली राजनीति चमकाना चाह रहे हैं।

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