खुद को भी चुकाया है
बेज़ार होके भी नगमे वफ़ा के सबको सुनाया है
बावरें ने दुनिया को अब कुछ ऐसे बहकाया है
शर्त थी उनकी मोहब्बत संभालने की इलाही
और कीमत में हमने खुद को भी चुकाया है
बस एक घूंट शराब, और तोहमतें जिंदगी भर
एक दौलत ये भी हमने जमाने से कमाया है
बस घूंट दो घूंट की ही दरिया है मेरे खजाने में
जमाने ने जिस पर इतना हंगामा मचाया है
अशर्फियों, दीनारों, के तोहफ़ों जरा रास्ता दो
मेरा शाकी दो चार घूंट शराब छुपा के लाया है
ना किसी शाकी ना मैखाने के लिए छुपाया है
रिन्दों ने खुद पी और गैरो को भी पिलाया है
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