"सरदार जी आपको अब आना ही होगा" सरदार भगत सिंह जी को मेरा पत्र।

परम आदरणीय सरदार जी,
सरदार जी हमे आपकी जरूरत आन पड़ी है। संकट से गुज़र रही भारतीयता को बचाने के किये आप एक बार वापस आ जाओ। आपको बताते हुए बेहद दुख हो रहा है कि जो सपना आपने देश के लिए आज़ादी के बाद देखा था, आपके उसी सपने को आपके ही लोग आपके ही नाम पर तोड़ रहे है। मुझे ये भलीभांति पता है कि आप भी स्वर्ग में बैठे ये देख कर बहुत दुखी होंगे कि जिन लोगो के लिए आप फांसी पर झूल गए वो लोग आपके सपने तोड़ने पर तुले हुए है।

सरदार जी आपको बहुत पढ़ा और बहुत जाना। आपने अपने समय मे ही कहा था कि लोग धर्म का धंधा कर रहे है और शायद आज़ादी के बाद ये सही हो सके, लेकिन ऐसा नही हुआ है सरदार जी। धर्म के धंधे से एक कड़ी ऊपर बढ़ते हुए हम लोगो ने राष्टीयता का धंधा शुरू कर दिया है।  सरदार जी आपने सही कहा था कि धर्म के नाम पर जानवरो को इंसानों से भी ज्यादा कीमती समझा जाएगा। लेकिन शायद आपको इस बात का अंदाजा नही रह होगा कि धर्म के नाम पर अपनी लोग खुद का अस्तित्व भूल जाएंगे।


आपने देश मे समाजवाद लाने की कल्पना किया था।  आज के नेता कथित रामराज लाने की बात कर रहे है। मुझे पता है कि आपको इसबात पर हंसी आ रही होगी कि समाजवाद या रामराज तो एक ही स्थिति के दो नाम है। लेकिन मैं क्या करूँ , आज सरे आम हमारे संविधान द्वारा बनाये गए पदों पर बैठे लोग ऐसा बोल रहे है। 


आपने कहा था कि ये आप इसलिए मरना चाहते है कि आपकी शहादत देश मे लाखो भगत सिंह पैदा कर देगी। लेकिन आज़ादी के बाद आज के समय ने देश मे करोड़ो गोडसे और जिन्नाह पैदा हो गए है सरदार जी। मुझे आपको ये भी बताते हुए दुख हो रहा है कि आपके नाम का सहारा सिर्फ हिंसा को जायज ठहराने के लिए लिया जाता है। आपके अदालती  बयानों, आपकी जेल डायरी और आपकी समाजवाद वाली किताब का कोई असर नही है सरदार जी।आपको हर जगह सिर्फ हथियारों के साथ प्रदर्शित किया जाता है, आपको उस आदमी के खिलाफ दिखाया जाता है, जिसका आप सबसे ज्यादा सम्मान करते थे।

सरदार जी आपने देश के लोगो को लेकर एकता, भाईचारा, विकाश, समृद्धि , और शांति का सपना देखा था, आपने समाजवाद के रचना का सपना देखा था। लेकिन अब यहाँ आपके अपने को तोड़ा जा रहा है सरदार जी।  आपकी चीज़ों को तोड़ने के मामले में ये यही नही रुके , आपके आदर्श लेनीन की मूर्तियों तक को तोड़ दिया। आपके विचार और आपकी बातों का मज़ाक बना लिया गया है सरदार जी। 

आपने आस्था को तर्क की कसौटी पर कसने को कहा था, आज ऐसा करने वाले को धर्म विरोधी कहा जाता है, उसका सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाता है। आपने कमियों को उजागर करके उसे सही करने की बात कही थी, आज ऐसा करने वालो को गद्दार राष्ट्रविरोधी घोषित कर दिया जाता है सरदार जी। आपने सरेआम खुद को नास्तिक कहा था सरदार जी, आज ऐसा करने पर शायद हत्या भी कर दी जा रही है सरदार जी।आपने सवाल पूछने और तर्क वितर्क को समाज का सबसे मजबूत खंभा बताया था, आज वो करने पर ताकते हमारा निशान तक मिटाने पर लगी हुई है।

 मैं कैसे आपको बताऊ की जिस धरना और 64 दिनों की भूख हड़ताल से  अंग्रेजो के मुह से निवाला छीन लिया, उनको आपके आगे हार मानने पर मजबूर कर दिया , जिस धरने में आपका साथ देते देते आपके दोस्त जतिनदास जी शहीद हो गए , आज उस धरने को राष्ट्रविरोधी करार दे दिया गया है सरदार जी। आपने जिन कानूनों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, आपने जिन कुव्यवस्थाओं को अपने सामने झुका कर सही कर दिया , आज  वैसी ही व्यस्थाओ को देशभक्ति और राष्ट्रवाद के नाम पर लागू किया जा रहा है।

सरदार जी आपने, रामप्रसाद बिस्मिल, असफाक उल्ला खान, दुर्गा भाभी में कभी कोई फर्क नही किया। आज देश मे बिस्मिल को मानने वाले असफाक उल्ला का नाम तक नही सुनना चाह रहा है, और दुर्गा भाभी जैसी हज़ारो दुर्गा हत्या बलात्कार का शिकार हो रही है। आपके विरोध करने के तरीके को मजाक बना दिया गया है। 

बम फेंकने से पहले आपने जो रसगुल्ले खाये थे, उन रसगुल्लों का स्वाद अब कड़वा हो चुका है सरदार जी। आपका सपना , आपके इरादे , आपका विश्वास सब आपके अपने लोगो ने ही तोड़ दिए। जजो को फैसला मन मुताबिक न सुनाने पर सीधा तबादला कर दिया जाता, कई बार दूसरे शहर में तो कई बार सीधे दूसरे लोक में।

सरदार जी आपने देश को एकता , अखण्डता के धागे में पिरोने का सपना देखा, लेकिन आज के लोग अपकेस सपने को तहस नहस कर रहे है। आपके न होने पर राष्ट्रीयता का धंधा कर रहे है। धर्म के नाम पर सरेआम मारकाट कर रहे  है । 

सरदार जी हमे आपकी जरूरत आन पड़ी है, कही से तो आप आ जाओ । आप एक बार आ जाओ और इन जाहिलो को समझो कि राष्ट्रीयता क्या होती है। देश भक्तो जान लेकर नही जान बचा कर सिद्ध की जाती है। एक बार आ जाओ सरदार जो इन मूर्खो को समझाने की धर्म के नाम पर सिर्फ इनका इस्तेमाल हो रहा है।  एक बार आ जाओ सरदार जी इनको समझाने की सवाल पूछना , कसौटियों पर आस्था को कसना , उस धर्म की भलाई के किये होता है। सरदार जी एक एक बार आपको फिर वापस आना होगा, आपको इन्हें फिर समझाना होगा कि जब अपने बिस्मिल और असफाक उल्ला में कोई फर्क नही किया तो ये कौन होते है फर्क करने वाले। 

एक बार आप वापस आओ सरदार जी , और इन्हों रोको। 
इन्हें रोको अपने सपने तोड़ने से।  इनको समझाओ की रामराज और समाजवाद एक ही होता है। सरदार जी आपको आना होगा, आकर इनको ये बताओ कि धर्म के नाम पर लड़ाने वाले आपके समय आज़ादी के आंदोलन को कमजोर कर रहै थे, और आज देश की विकास और भाईचारे को दीमक की तरह चाट रहे है।आकर इनको समझाओ सरदार जी की जब तक हम धर्म के नाम पर मारकाट करके मरते रहेंगे, तब  तक हमारी लाशें इनकी वोट वाली फसल के लिए खाद का काम करती रहेंगी। 


सरदार जी देश को बचाने के लिए तब भी आपकी जरूरत पड़ी थी, आज भी देश को बचाने के लिए आपकी जरूरत पड़ी है। तब भी आपने देश को बचाया, सही रास्ता दिखाया, आज भी देश को बचाना और सही रास्ता दिखाना पड़ेगा। तब भी आपने सीधे सवाल कर बड़े बड़े लोगो को धर्म और राष्ट्र के धंधे वाली दुकान बंद कराई थी, आज भी आपको वो दुकान बंद करानी होंगी। क्योकि ये काम सिर्फ और सिर्फ आप ही कर सकते है। क्योंकि सरकार भगतसिंह कोई और बन नही हो सकता। क्योकि कोई और "भाँगावाला" पैदा नही हो सकता। क्योंकि कोई और करतार सिंह सराभा को मनाने वाला बचा नही। आपको आना ही होगा सरदार जी।




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