तू चाहे आलिंगन कर ले, या कर दे मेरे प्रेम का खंडन
तू चाहे आलिंगन कर ले, या कर दे मेरे प्रेम का खंडन
है ये इच्छा तेरी, मेरा तन मन तो बस तुझ पर अर्पण
संग हो मौसम की बातें, गूंजे धरा पर प्रियतम वंदन
तेरे बिना हर दिशा मौन रहे, मन रहे वीराना उपवन
तेरी छुअन से खिले धरा,उठे मन में उमंग का स्पंदन
उठे नज़र तो सूरज निकले, जग में फैले अभिनंदन,
सूरज संग तेरे मुस्काए, चन्द्र करे अधरों का चुम्बन
तेरे कदम से राह सजे, हर क्षण बने स्वर्णिम वृंदावन
तू चाहे आलिंगन कर ले, या कर दे मेरे प्रेम का खंडन,
पर मेरा तन-मन, जीवन भर रहेगा तुझ पर अर्पण।
तेरी हंसी से खिलती ये धरती, बहके हवा का चंदन,
तेरे बिना हर गीत अधूरा, टूटे सुरों का बंधन।
तू चाहे सपनों में आये,या दे दे प्रत्यक्ष नैनो को दर्शन
तेरे रूप से फैले उजाला,सारे जग में फैले अभिनंदन
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