इश्क़ टूटे हुए तारो से भरा आसमान हो गया

इश्क़ टूटे हुए तारो से भरा आसमान हो गया
चाँद  जुगुनूओं से पुर-असर बेईमान हो गया

मेरे  अब्र ए करम से वो कुछ ऐसे है बाबस्ता
उसने  बोली  लगाई और मैं नीलाम हो गया

उनका  हर  लफ्ज़ आयत ए कुरान हो गया
एक काफिर  हुस्ने खुदा का गुलाम हो गया

दिल सोज़, जहन मुन्तशिर , आंखे पुरनम
उनकी इबादत में मैं इतना बेहाल हो गया

हुस्ने किताब में मुत्मइन  ऐसे हुआ इलाही
जमात ए रेख्ता में अब मैं बदनाम हो गया

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