पगड़ी वाला वो सरदार बड़ा जिगरवाला था

पगड़ी वाला वो सरदार बड़ा जिगरवाला था
बाते भोली लेकिन इरादा उसका भाला था
आज़ादी का मतवाला वो मौत को चूमने वाला था
निडर हुए वो खुद की मौत सजाने वाला था
पगड़ी वाला वो सरदार बड़ा जिगरवाला था

जलियांवाला से जब देश का बच्चा बच्चा रोया था
जब दहल गया बचपन मन मे बंदूके तब बोया था
अंधियारी उम्मीदों में स्वाभिमान सबका सोया था
तब फिरंगी हुकूमत को उसने तबियत से धोया था।
सत्ता को दूध छठी का याद दिलाने वाला था
पगड़ी वाला वो सरदार बड़ा जिगरवाला था


जिद से जिसके अंग्रेजी हुकूमत बात न बनी थी
इरादों के उसके चर्चा देश की जुबान पर चली थी।
तोड़ दिया जिसने गुरुर जेल का सिर्फ इरादे से
वो भूख हड़ताल पैसठ दिनों तक नाबाद चली थी
समाजवादी क्रांति पहरुआ देश का रखवाला था
पगड़ी वाला वो सरदार बड़ा जिगरवाला था


मरते रहे वो भूख से पर आस न लगाई पानी को
सच्चा रंग दिया जिसने जतिन दास की कुर्बानी को
मौत को दुल्हन बना मुहब्बत उसने खूब निभाया
इश्क़ में वतन के विखेर दिया अपनी जवानी को
खुशियों भरे देश में आज़ादी का वो मतवाला था
पगड़ी वाला वो सरदार बड़ा जिगरवाला था

सुन जसकी गर्जना अंग्रेजी शासन भी थर्राया था
वीर शहीद ने वो धमाका पूरे विश्व को सुनाया था
बहरो के कानों को उसने एक झटके में खोल दिया
चढ़ सीने पर लंदन के वो शेर उस दिन गुर्राया था
गीदड़ों के भीड़ में वो शेरो को मार गिराने वाला था
पगड़ी वाला वो सरदार बड़ा जिगरवाला था

चढ़े मस्तके , चढ़ी जवानी और चढ़ा वो याराना था
मातृभूमि वास्ते बलिदानी चढ़ावे का वो जमाना था
रणभेड़ी का कुरुक्षेत्र भी दहल उठे सुनकर जिसे
आज़ादी का वो पद्म शंख इस कृष्ण को बजाना था
लालासाहब की शहादत को व्यर्थ न करने वाला था
पगड़ी वाला वो सरदार बड़ा जिगरवाला था।



Comments

Popular Posts