खयाली पीड़

नाम दाम शोहरत तोहमत सब रख ले
तू मेरे उड़ते जुनून का पर रख ले
रख ले मेरे ख्वाबो के दीपक की परछाई
भरे मैदान तो क्या तू मेरे जुगनू का घर रख ले


शोहरत इतनी नही की तेरे इल्ज़ाम को मिटा सकूँ
हिम्मत इतनी नही की तेरे खिलाफ इसे जुटा सकूँ
इतना बेबस हो गया हूँ मैं तेरे इम्तहानों से जिंदगी
शोहबत इतनी नही की तेरे बिना ही इसे बिता सकूँ।


इश्क़ मुश्क दवा जहर दुआ या जाम  कुछ भी दे
आँख मिलाने के गुस्ताखी का अंजाम कुछ भी दे
अब आ गया  तेरे डगमगाते महलो के शामियाने में
जन्नत दे या न दे बस शुकून का इंतज़ाम कुछ भी दे


एक तारा टूट जाता है हर रोज किसकी याद में
एक बंधन छूट जाता है हर रोज किसकी याद में
टूटना और छूटना तो किस्मत है इन तारो की लेकिन
एक सपना लूट जाता है हर रोज किसकी याद में


दरिया में कश्ती उतार तो उसपर सवारी किया कर 
मुस्किलो पर चढ़ आगे आ लहरों से यारी किया कर
लड़कर बदले न बदले तू खुद का लिखा मुक़्क़द्दर
हसरत बदलने की इसको सारी की सारी किया कर


अंधेरे शाम का दिया अक्सर उसकी याद दिलाता हैं 
खुली आँखों की पलको पर एक ख्वाब बिछाता है 
हवा के झोंकें से फिसल गई उसकी चाहत हाथों से
अब दिया जल कर जले दिल का साथ निभाता है 


तेरा यू बिखेरना मुझे अब मेरे किसी काम तो आया जुड़कर न बिका,बाजार में उसका दाम तो आया
बोली भी लगा रहे वो नाकाबिल मेरी शख्शियत की
मेरे हाथ लगाने से जिनका जहाँ में नाम तो आया 









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