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मंजिल मंजिल ढूंढे राही

"सरदार जी आपको अब आना ही होगा" सरदार भगत सिंह जी को मेरा पत्र।

वो कहावत पुरानी है, नालायक औलादे अपने पुरखों की अर्जित की हुई संपत्तियां बेच कर अपना गुजारा करती है।कुल मिलाकर ये एक ऐसी फिल्म थी जिसकी कहानी का पता नही था, सिर्फ एक जबरजस्ती बनाई गई नायिका थी। फ़िल्म का मैसेज समझ नही आया। फ़िल्म का स्क्रीनप्ले, स्क्रिप्ट, लोकेशन सब गायब था। फिर भी जबरजस्ती ये फ़िल्म सबको दिखाई गई । और खासियत ये बताई गई कि फ़िल्म की घोषित नायिका ने लगतार ढाई घंटे तक पेपर देख कर डायलॉग बोला।