तेरे जुल्मो से डर कर भागे , सरदार भगत की पीढ़ी इतनी बुजदिल नही ये छात्र एक शक्ति है गुर्राते नाहर की, तेरे जैसे कायर की ये महफ़िल नही।
देश मेरा जल रहा है, इन ठेकेदारों को खबर नही।
खा गए ये अमन सारा फिर भी इनको सबर नही।
शिक्षा के मंदिर को भी अपने इरादों से नापाक किया
भारत को बदनाम कर अस्मत के साथ मजाक किया
आपसी घृणा की चिंगारी से तूने जामिया सारा जला दिया
पढ़ते सोते मासूमो पर तूने अपना जुल्मी हंटर चला दिया
कुछ को किताबीआंचल में मारा, कुछ को पुस्तकालय में।
बहा दिया ज्ञान को दरिया में , आग लगा दी विद्यालय में
तेरे गुलाम आते है, रक्षा का दावा सामने सबके कर जाते है
नाम कानून का लेकर वो खौफ अपना दिल मे भर जाते है
कौन है ये, जो धर्म कर्म जाति नियत का ढोंग रचते
कौन है इनका आका जिसके सहारे ये सारे है बचते।
क्या है, कितना है इनका ईमान ,जरा थोड़ा तो समझाओ
हत्या बलात्कार कर घूमे चरित्र इनका थोड़ा तो बतलाओ
सबला पर लाठी डंडो से कायरता पूर्ण प्रहार किया
देश के शिक्षा मंदिर को भी अपने इरादों से बीमार किया
किसके इशारे पर आये, और पूरा किया किसका आदेश
शायद ये वही है जो कहता है बिकने नही दूंगा अपना देश
सत्ता की खातिर तूने ईमान, धर्म, देश, सब तो बेच दिया
हैवानियत का नंगा नाच उसी ने पूरे देश मे पेश किया
जला कर दिलो की मुहब्बत अब किसे जलाने आये हो
नफरत वाली आग में क्या अपनी दाल पकाने आये हो
खिला होगा तेरा फूल साम्प्रदायिकता के इस पंक में
मरा होगा भाईचारा सबका तेरे कुसमय वाली शंख मे
सिर्फ अपनी सत्ता देखी तूने हर राजा, प्रजा और रंक में
भाई ने मारा होगा कुछ ऐसा जहर है तेरे उन्मादी डंक में
चेहरे ढके आकर तूने बस अपनी कायरता को दर्शाया है
भय आतंक और हिंसा वाले झंडे पूरे देश मे फहराया है।
खिले इसका फूल दिन रात ,खुद देश को कीचड़ बनाया है
माथे पर सबके मृत्यु खौंफ की लकीरें तूनेखुद छपावाया है
किस सत्ता के बलबूते तू ताकत पर अपनी इतराया है
तेरा सारा जीवन अब तो बस निरंकुशता का सरमाया है
तेरे जुल्मो से डर कर भागे , सरदार भगत की पीढ़ी इतनी
बुजदिल नही
ये छात्र एक शक्ति है गुर्राते नाहर की, तेरे जैसे कायर की ये महफ़िल नही।
भगत सिंह बनकर हम, बहरी तुम्हारी जमात को धमाके सदा सदा सुनाएंगे।
जैसे भगाया तुम्हारे आआको को, वैसे ही देश से तुमको मार भगाएंगे ।
मातृ भूमि ये प्यारी है हमको, न तुझे इन इरादों से से गंदा करने देंगे
राष्ट्र धर्म और भारत माता के नाम का न हम तुझको धंधा करने देंगे।
तू सिर्फ वजीर है इस सल्तनत का, राजा को अब मत गुमराह कर।
खुद जमीर को क्या मुह दिखायेगा,थोड़ी सी इसकी तो परवाह कर।
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