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Showing posts from January, 2019
जहां भगत सिंह ने पूरे देश को एकता के सूत्र में पिरोने की कोशिश की, वहीं पर आरएसएस ने हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग के साथ मिलकर कि देश को धर्म के नाम पर दो टुकड़ों में बांटने का एक शानदार प्लेटफार्म तैयार किया । जहां भगत सिंह देश को सामाजिक व्यवस्था के आधार पर बराबरी का माहौल बनाना चाहते थे , वही आरएसएस ने धर्म और जाति के नाम पर लोगों में एक दूसरे से दूरियां पैदा की । जहां भगत सिंह समाजवाद के सिद्धांतों को लागू कर देश में खुशहाली और तरक्की लाना चाहते थे , वही आरएसएस धर्मवाद और जातिवाद को लागू कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने पर लगी थी। जहां भगत सिंह ने देश के लोगों में प्यार और अमन चैन बांटने की कोशिश की , वहीं आरएसएस ने लोगों के बीच में धार्मिक उन्माद कराकर नफरत और गुस्सा भर दिया।
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बाबा साहब ने जो आरक्षण संविधान में बनाया था वह सिर्फ सामाजिक आधार पर था । क्योंकि उस समय जाति विशेष और वर्ग विशेष के लोगों को टारगेट करके उन्हें पीछे धकेला जाता था। लेकिन अब प्रधानमंत्री ने आर्थिक आधार पर आरक्षण लाकर एक नई बहस को जन्म दे दिया है। आर्थिक आधार पर आरक्षण का मतलब यह होता है कि कोई जानबूझकर भी कमाई नहीं करेगा तो भी उसे आरक्षण के द्वारा मदद दी जाएगी । और कमाल की बात यह है कि ढाई लाख रुपए सालाना कमाने वाला टैक्स भरेगा और लगभग सत्तर हजार महीना कमाने वाला सामान्य जाति वाला व्यक्ति गरीब लाकर आरक्षण का लाभ उठाएगा। अगर सच में आरक्षण देना ही है तो "जिसकी जितनी हिस्सेदारी उसकी उतनी भागीदारी" के सिद्धांत पर जातियों के हिसाब से आरक्षण उनके प्रतिशत में बांट दिया जाए।
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