बाबस्ता शायर को बेहाल किया है
उनकी निगाह ए ताक ने कुछ ऐसा कमाल किया है
सुकून ए उन्स से बाबस्ता शायर को बेहाल किया है
दिल्लगी,दिलकशी ये सब तो बाद में आते है इलाही
तूने नज़रे मिलाके एक शरीफ को बदनाम किया है
फिरता था जो शाह बन कर दुनिया के बाजारों के
आज उसे तुम्हारी एक नज़र ने गुलाम किया है
कोई कैसे ना कैद ए ताउम्र हो इनकी गिरफ्त में
इन आँखों ने तो फरिश्तो का भी बुरा हाल किया है
सदियां लग गयी पीरो को शहर ए अम्न बसाने में
और तूने आँचल सरका के जहाँ में बवाल किया है
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