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तेरे जुल्मो से डर कर भागे , सरदार भगत की पीढ़ी इतनी बुजदिल नही ये छात्र एक शक्ति है गुर्राते नाहर की, तेरे जैसे कायर की ये महफ़िल नही।

"हिंदुस्तान किसी के बाप का थोड़ी है" जनाब राहत इंदौरी ने जो लिखा वो सिर्फ शायरी न होकर देश के न जाने कितने लोगों के अंतरात्मा की आवाज है, ये वो लोग है जिन्हें हर दिन अपना प्यार अपने वतन के लिए सिद्ध करना पड़ता है, एक गुंडा मव्वाली भी इसने ये सबूत मांगता है, ये वो लोग है जिन्हें हमेशा पाकिस्तान जाने की सलाह दी जाती है। ये वो लोग है जिन्होंने बंटवारे के समय आने धर्म के नाम पर बने देश मे जाने की जगह इसी मुल्क में रह कर इसी मुल्क की मिट्टी में दफन होना मंजूर किया। शायद उनको उस वक़्त आज के इस हालत का अंदाजा नही रहा होगा। वो तो गांधी और नेहरू के सपनो वाले भारत की कल्पना में यहाँ रुके, देश और मातृभूमि में रहना पसंद किया।